दैनिक जागरण, 11 दिसम्बर 2012
मेरठ : अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर अंतरराष्ट्रीय भारत-तिब्बत सहयोग समिति एवं आइआइएमटी ग्रुप ऑफ कालेजेस के संयुक्त तत्वावधान में तिब्बत जागरूकता अभियान पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए कोर ग्रुप ऑफ तिब्बत कॉज के संयोजक डा. नंद किशोर त्रिखा ने कहा कि तिब्बत की आजादी एवं भारत की सुरक्षा के लिए विकसित राष्ट्रों को आगे आना चाहिए। विशेषकर अमेरिका से तिब्बत के मामले में विशेष दखल की आशा जतायी।
समारोह के मुख्य अतिथि और झारखंड से सांसद इंदर सिंह नामधारी ने कहा कि 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया था तो वे इंजीनियरिंग के छात्र थे और इस समय पढ़ने वाले छात्र भी सेना में भर्ती होकर देश के लिए प्राणों की आहुति देने का जज्बा रखते थे। चीन के हाथों भारत की हार को नामधारी ने राष्ट्रीय शर्म की संज्ञा दी। उन्होंने उस समय के कवि गोपाल सिंह की कविता की पंक्तियां ‘गंगा के किनारों को शिवालय ने पुकारा, चालीस करोड़ को हिमालय ने पुकारा..’ सुनाकर सबके रोंगटे खड़े कर दिए। उन्होंने संसद में 1962 में पारित प्रस्ताव को रखने का वायदा किया। साथ ही सरकार के इस मुद्दे पर नरम रूख के प्रति नाराजगी जतायी।
अंतरराष्ट्रीय भारत-तिबबत सहयोग समिति के कुलभूषण बख्शी ने नौजवानों से तिब्बत जागस्कता के लिए इंटरनेट के माध्यम से आगे आने का आह्वान किया। तिब्बती निर्वासित सरकार के सांसद फुसांक यशी ने चीन द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को याद दिलाया। उन्होंने बताया कि अब तक 93 तिब्बती चीन के अत्याचार से आत्महत्या कर चुके हैं।
संचालन डा. निर्देश वशिष्ट ने किया। मौके पर कृष्ण बल शर्मा, सुंदर बख्शी, डा. गौरव अग्रवाल, सरोजनी वासन, डा. डीके पाल, एसएस ब्रोका आदि लोग मौजूद थे।