अमर उजाला, 12 जुलाई, 2012
पूरी दुनिया का ध्यान तिब्बत मसले की ओर आकर्षित करने के लिए वर्ष 2009 से अब तब कुल 43 तिब्बती आत्मदाह कर चुके हैं। चेन्नई में निर्वासित तिब्बती संसद के एक सदस्य कर्मा येशी ने संवाददाताओं को बताया कि हमारे पास इस बात की पुख्ता जानकारी है कि इसमें से 31 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि अभी भी 12 बचे लोगों की हमारे पास कोई जानकारी नहीं है।
पिछली छह जुलाई को एक 22 वर्षीय व्यक्ति ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा में खुद को आग के हवाले कर लिया। कर्मा ने बताया कि आग लगाने वाले सभी पीड़ितों की उम्र 16 से 44 साल के बीच है। उन्होंने तिब्बत के हालात को अभी भी चिंताजनक करार देते हुए आरोप लगाया कि तिब्बत में चीनी सरकार तिब्बती संस्कृति और भाषा को तहस नहस कर रही है।
कर्मा यहां सत्य की लौ नामक यात्रा के दौरान चेन्नई आए थे। यह यात्रा कोच्चि से दिल्ली के बीच हो रही है। सत्य की लौ दुनिया भर के नेताओं को तिब्बत के हालात के बारे में जागरूक करने के लिए चलाया जाने वाला कार्यक्रम है। यह इस बात की मांग करता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ तिब्बत के समाधान के लिए कदम उठाए। मालूम हो कि लगभग एक लाख 20 हजार से भी ज्यादा तिब्बती भारत के विभिन्न भागों में शरण लिए हुए हैं।