दैनिक जागरण, 11 मार्च, 2012
वाराणसी : केंद्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय के प्रो. एलएन शास्त्री ने कहा है कि तिब्बत में शैक्षणिक व धार्मिक स्वतंत्रता जरूरी हो गई है। निर्वासित तिब्बत सरकार के नवनियुक्त प्रधानमंत्री भी मध्यम मार्ग से ही आजादी चाहते हैं। वहां के युवक स्वतंत्रता के लिए आत्मदाह कर रहे हैं। इस मुद्दे पर अब गंभीरता से विचार करना चाहिए।
सारनाथ में शनिवार को आयोजित 53वें तिब्बती क्रांति दिवस समारोह में भिक्षु शास्त्री विचार व्यक्त कर रहे थे। अध्यक्षता डॉ. जम्पा समतेन ने की। तिब्बती मंदिर में सुबह तिब्बत व भारत का झंडा फहराया गया और राष्ट्रगीत गाए गए। तत्पश्चात महात्मा गांधी व परम पावन दलाई लामा की तस्वीर के समक्ष दीप जलाकर विश्वशांति के लिए प्रार्थना की गई।
समारोह में मो. हबीब, डॉ. अश्वनी मिश्र, डॉ. राम सिंह, सुमिता नंद, ओपी सिंह आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन भिक्षु तेनजिग नीमा नेगी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पेमा तेनजिंग ने किया।