मैं उन तिब्बती दोस्तों के साथ पूरी एकजुटता से खड़ा हूं जो आज वाशिंगटन डी.सी. में और दुनिया भर के विभिन्न शहरों में यह बताने के लिए जुटे हैं कि तिब्बत का संकट गहरा होता जा रहा है और तिब्बत के पीडि़त लोगों के लिए हमें मिलजुलकर आंदोलन चलाना होगा।
आपका चीनी दूतावास के बाहर प्रदर्शन करना बिल्कुल वाजिब है क्योंकि इस मानवाधिकार संकट के लिए चीन सरकार की बर्बर एवं दमनकारी नीतियां ही जिम्मेदार हैं। आज़ाद दुनिया पिछले एक साल में तिब्बतियों द्वारा किए जाने वाले कर्इ आत्मदाह की घटनाओं से संत्रस्त है जिसमें कर्इ भिक्षु एवं भिक्षुणी शामिल रहे हैं। शांति पसंद करने वाले इन तिब्बती नागरिकों ने खुद को आग लगा लिया क्यों कि वे चीन सरकार द्वारा अपने लोगों के प्रति किए जा रहे दुवर्यवहार से हताश थे।
मैं तिब्बत जा चुका हूं। मैं ड्रापची जेल में बंद बौद्ध भिक्षुओं एवं भिक्षुणियों से मिल चुका हूं। मैं ऐसे भयभीत तिब्बतियों से मिला हूं जिन्होंने चुपचाप मुझे दलार्इ लामा के छुपा कर रखे गए चित्र दिखाए। हाल में जिस तरह से जानें गर्इ हैं उससे मुझे काफी धक्का पहुंचा है, लेकिन मुझे इस बात में कोर्इ अचरज नहीं है कि तिब्बत के लोगों को यह चिल्लाकर बताना पड़ रहा है कि दुनिया उनकी दुर्दशा को समझे और अपने स्तर पर उसके लिए कुछ करे।
हाल के महीनों में पशिचमी देशों के पत्रकारों के तिब्बत दौरे की कोशिश को सुरक्षा बल विफल कर चुके हैं। मेरे आकलन के मुताबिक शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस द्वारा फायरिंग शुरू कर देने से कम से कम 11 तिब्बती मारे गए हैं। इस इलाके में चीनी सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। इंटरनेट पर रोक लगा दी गर्इ है। वाल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, “शायद ही कोर्इ अधिकारी नरमी बरतने की सोचे, तिब्बत के सरकारी अखबार में चेतावनी दी गर्इ है कि जो अगुआ सिथरता कायम रखने में अक्षम रहेंगे, उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। एक ‘कृतज्ञता शिक्षा’ अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत तिब्बतियों को अपने घरों में चीनी नेताओं की तस्वीरें लगानी पड़ती हैं।” चीन में काफी कुछ दांव पर लगा है और चीन सरकार इसे जानती है। वह इस इलाके पर अपनी पकड़ और सख्त कर रही है। मैं अमेरिकी राजदूत गैरी लाक से निवेदन करता हूं कि वह वरिष्ठ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी नेताओं के सामने तिब्बत में जारी सरकारी दमनकारी नीतियों का मसला उठाएं और अपने मंच का इस्तेमाल करते हुए सार्वजनिक तौर पर तिब्बती जनता को यह संदेश दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका उनका दोस्त है।
इसके अलावा मैं राष्ट्रपति ओबामा से अनुरोध करता हूं कि वे अगले हफ्ते चीनी उप राष्ट्रपति जी जिनपिंग से मुलाकात के दौरान सार्वजनिक रूप से तिब्बत के उस मौजूदा माहौल के प्रति अपनी गहरी चिंता जताएं, जिसका तिब्बतियों के दिन-प्रतिदिन के जीवन पर सीधा असर पड़ रहा है। मैं राष्ट्रपति से यह अनुरोध भी करता हूं कि वे ल्हासा में अमेरिका का अगला वाणिज्य दूतावास खोलने के लिए दबाव जारी रखें।
संविधान दिवस के एक भाषण में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की हमारे संस्थापक दस्तावेजों के बारे में यह बात काफी प्रसिद्ध रही है कि इनमें ‘जिन बुनियादी स्वतंत्रताओं को प्रतिष्ठापित किया गया है वे ऐसे शपथ हैं जो न केवल हम अपने लिए बलिक समूचे मानवता के लिए करते हैं।’ यदि हम जरूत के इस मौके पर तिब्बत की जनता के आंदोलन के साथ नहीं खड़े होते हैं तो हम उक्त शपथ को तोड़ने का जोखिम लेते हैं।