दैनिक जागरण, 9 अगस्त, 2011
प्रतिनिधि, बड़सर : चीन में भी लोकतंत्र की हवा बह रही है। इसलिए भारत सरकार को चाहिए कि वह वहां पर हो रहे परिवर्तन को समझे व सार्थक बात करे, ताकि दोनों देशों का हित हो।
यह बात भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने मंगलवार को विश्राम गृह बिझड़ी में पत्रकारों से कही। उन्होंने कहा कि चीन अरुणाचल प्रदेश में बराबर घुसपैठ कर भारत को घेरने की फिराक में है और उसकी सैन्य तैयारी भी भारत के विरूद्ध है।
ऐसे में भारत को चाहिए कि वह तिब्बत के स्वतंत्र होने की आवाज विश्व मंच पर उठाए। तुर्कीस्तान में भी आजादी के लिए लड़ाई जारी है। ऐसे समय में भारत अगर तिब्बत के साथ खड़ा हो जाता है तो चीन पर दबाव बढ़ेगा। लोबसांग सांग्ये के प्रधानमंत्री बनने से तिब्बत व चीन के भीतर उन शक्तियों को बल मिलेगा जो दोनों देशों में लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ रही हैं।
चीन में साम्यवादी तानाशाही है, जिससे वहां के लोगों का दम घुट रहा है। तिब्बत के लोकतंत्रिक उदाहरण से आशा है कि चीन में भी परिवर्तन की हवा बहेगी। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बना रहा है, जो भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया की लाइफ लाइन है लेकिन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का इस विषय पर दिया गया बयान भारत की कम तथा चीन की ज्यादा तरफदारी कर रहा है। इस अवसर पर किसान मोर्चा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य संजीव शर्मा व शिक्षाविद सुरेश शर्मा भी उपस्थित थे।