समय, 30 May, 2011
धर्मशाला: तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने निर्वासित तिब्बतियों के निर्वाचित नेतृत्व को अपने औपचारिक अधिकार सौंप दिए हैं. यह जानकारी एक अधिकारी ने यहां सोमवार को दी.
अधिकारी ने स्पष्ट किया कि दलाई लामा तिब्बत के लिए काम करते रहेंगे और तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु बने रहेंगे.
संसदीय सचिव के प्रवक्ता तेनजिन नोरबू ने कहा, “हमने (तिब्बती संसद) संविधान में जो भी संशोधन किए हैं, दलाई लामा ने उन्हें रविवार को मंजूरी दी. अब दलाई लामा की प्रशासनिक और राजनीतिक शक्तियां लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेताओं के पास आ गई हैं.”
तिब्बत की निर्वासित संसद ने संशोधनों को दलाई लामा के समक्ष उनकी मंजूरी के लिए रविवार को पेश किया. अपनी मंजूरी देने के बाद दलाई लामा ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) और उसके निर्वाचित नेतृत्व को वे सारी जिम्मेदारियां व शक्तियां सौंप दीं, जो औपचारिक रूप से उनके और सीटीए पास संयुक्त रूप से थीं.
शनिवार 28 मई को समाप्त हुए संसद के तीन दिवसीय अतिरिक्त सत्र के दौरान संविधान के अनुच्छेद-1 के तहत एक नई प्रस्तावना और दलाई लामा को दी जाने वाली जिम्मेदारियों व अधिकारों को मंजूरी दी गई.
संशोधित संविधान के अनुसार, अनुच्छेद-19 के तहत सरकार प्रमुख के रूप में जो अधिकार पहले नोबेल पुरस्कार विजेता दलाई लामा के पास थे, वे अब कालोन त्रिपा या प्रधानमंत्री के पास चले गए हैं.
इसके अनुसार, कालोन त्रिपा संसद द्वारा पारित विधेयकों और नियमों को मंजूरी दे सकते हैं और लागू कर सकते हैं.
चार्टर (संविधान) में एक अन्य ऐतिहासिक संशोधन के तहत अनुच्छेद-31 से 35 में मौजूद ‘काउंसिल ऑफ रिजेंसी’ को समाप्त कर दिया गया है. इन अनुच्छेद के प्रावधान इसके पहले उन परिस्थितियों में परिषद को दलाई लामा की भूमिका अदा करने का अधिकार देते थे, जब दलाई लाम राज्य प्रमुख के रूप में काम न कर रहे हों.
संसद ने ‘निर्वासित तिब्बती सरकार’ के बदले ‘तिब्बती प्रशासन’ नाम रखे जाने को भी मंजूरी दे दी है.