सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तार लोगों को अपना बिस्तर और भोजन लाने के लिए कहा जाता है, जिससे पता चलता है कि उन्हें जल्द रिहा नहीं किया जाएगा।
rfa.org / काल्डेन लोडो और तेनज़िन पेमा
तिब्बत के अंदर से दो सूत्रों ने रेडियो फ्री एशिया को बताया कि पुलिस ने शुक्रवार को दक्षिण-पश्चिमी चीन के सिचुआन प्रांत में दो स्थानीय मठों के भिक्षुओं सहित १,००० से अधिक तिब्बतियों को गिरफ्तार कर लिया। ये लोग एक डैम के निर्माण का विरोध कर रहे थे। इस डैम से छह मठों के खत्म होने के साथ ही दो गांवों को जबरन विस्थापित किए जाने की आशंका है।
सुरक्षा कारणों से नाम न छापने की शर्त पर सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार किए गए दोनों मठों के भिक्षुओं और स्थानीय निवासियों को कार्दज़े तिब्बती प्रिफेक्चर में डेगे काउंटी में विभिन्न स्थानों पर रखा गया है। क्योंकि पुलिस के पास उन्हें हिरासत में रखने के लिए कोई जगह नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों को अपना बिस्तर और छम्पा लाने के लिए मजबूर किया गया है। छम्पा तिब्बतियों के आहार में मुख्य भोजन है, जिसका उपयोग लंबे समय तक खुद को जीवित रखने के लिए किया जा सकता है।
सूत्रों में से एक ने कहा, ‘पुलिस तिब्बतियों को छम्पा और बिस्तर लाने के लिए कह रही है, यह संकेत है कि उन्हें जल्द रिहा नहीं किया जाएगा।’
गुरुवार, २२ फरवरी को चीनी अधिकारियों ने स्थानीय निवासियों के साथ वोंटो और येना मठों से १०० से अधिक तिब्बती भिक्षुओं को गिरफ्तार करने के लिए कार्दजे के ऊपरी वोंटो गांव क्षेत्र में विशेष रूप से प्रशिक्षित सशस्त्र पुलिस बलों को तैनात किया था। सूत्रों ने कहा कि इन बलों ने कई लोगों और भिक्षुओं को पीटा और घायल कर दिया। बाद में चिकित्सा उपचार के लिए उन्हें डेगे के काउंटी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
गुरुवार को विशेष रूप से आरएफए को उपलब्ध कराए गए सिटीजन वीडियो में साफ दिख रहा है कि काली वर्दी में चीनी अधिकारियों ने भिक्षुओं को जबरन रोक रहे हैं। इस दौरान भिक्षु डैम निर्माण को रोकने के लिए जोर- जोर से नारे लगा रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि सामूहिक गिरफ्तारियों की खबर के बाद ऊपरी वोंटो गांव के कई तिब्बती जो देश के अन्य हिस्सों में काम करते हैं, अपने गृहनगर लौट आए और गिरफ्तार तिब्बतियों की रिहाई के लिए हिरासत केंद्रों तक गए। लेकिन उन्हें भी वहां गिरफ्तार कर लिया गया है।
आरएफए द्वारा टिप्पणी का अनुरोध किए जाने का डेगे काउंटी अस्पताल ने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया।
वाशिंगटन में चीनी दूतावास ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि देश कानून के शासन का सम्मान करता है। बयान में कहा गया, ‘चीन कानून के मुताबिक चीनी नागरिकों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करता है।’ इसके अलावा चीन की ओर से गिरफ्तारियों पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
मेगा डैम परियोजना
स्थानीय तिब्बती चीन द्वारा गंगटुओ जलविद्युत स्टेशन के निर्माण के खिलाफ १४ फरवरी से विरोध-प्रदर्शन और अपील कर रहे थे। चीन द्वारा इसके बाद ये गिरफ्तारियां की गईं हैं।
आरएफए ने १५ फरवरी को रिपोर्ट दी कि गंगटुओ डैम के निर्माण का विरोध करने के लिए कम से कम ३०० तिब्बती काउंटी टाउन हॉल के बाहर एकत्र हुए। गंगटुओ डैम ड्रिचू नदी पर १३,९२० मेगावाट की कुल नियोजित क्षमता के विशाल १३-स्तरीय जलविद्युत परिसर का हिस्सा है।
बांध परियोजना ड्रिचू नदी पर है, जिसे चीनी में जिंशा कहा जाता है। यह चीन के सबसे महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक, यांग्त्ज़ी के ऊपरी इलाके में अवस्थित है।
सूत्रों ने आरएफए को बताया कि जलविद्युत स्टेशन के निर्माण से दो गांवों- ऊपरी वोंटो और शिपा के अलावा डेगे काउंटी के वांगबुडिंग टाउनशिप में येना, वोंटो और खारधो के साथ तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में रबटेन, गोंसार और ताशी जैसे क्षेत्र के छह प्रमुख मठों को जबरन विस्थापित किया जाएगा। इसे लेकर स्थानीय तिब्बती विशेष रूप से परेशान हैं।
सूत्रों ने शुक्रवार को यह भी पुष्टि की कि खराब स्वास्थ्य स्थिति वाले गिरफ्तार किए गए कुछ भिक्षुओं को अपने मठों में लौटने की अनुमति दे दी गई है।
हालांकि इन मठों में छोत्रुल डुचेन या चमत्कार दिवस की पूर्व संध्या पर विरानगी ही छाई रही। इनमें वोंटो मठ भी शामिल है, जो १३वीं शताब्दी के अपने प्राचीन भित्ति चित्रों के लिए विख्यात है। छोत्रुल डुचेन तिब्बती नव वर्ष या लोसार के पहले महीने के १५ वें दिन मनाया जाता है। यह बुद्ध द्वारा किए गए शृंखलाबद्ध चमत्कारों के उत्सव का प्रतीक है।
सूत्रों में से एक ने कहा, ‘अतीत में वोंटो मठ के भिक्षु पारंपरिक रूप से बड़ी प्रार्थना सभाओं की अध्यक्षता करते थे और सभी धार्मिक गतिविधियों का आयोजन करते थे। लेकिन इस बार मठ शांत और खाली हैं। ऐतिहासिक महत्व के ऐसे मठों को विनाश की कगार पर खड़े देखना बहुत दुखद है। येना मठ में भी यही स्थिति है।’
चहुंओर विरोध–प्रदर्शन
निर्वासित तिब्बती दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसमें भारत का धर्मशाला भी शामिल है, जो निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा का मुख्य केंद्र है।
पिछले सप्ताह तिब्बतियों ने न्यूयॉर्क और स्विट्जरलैंड स्थित चीनी दूतावासों के समक्ष प्रदर्शन किया है। साथ ही कनाडा और अन्य देशों में इस तरह के और अधिक विरोध-प्रदर्शन करने और एकजुटता अभियान चलाने की योजना बनाई गई है।
इंटरनेशनल कैंपेन फॉर तिब्बत के प्रबंध निदेशक काई मुलर ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘डेर्गे की घटनाएं तिब्बत में बीजिंग की विनाशकारी नीतियों की एक झलक हैं। चीनी शासन तिब्बतियों के अधिकारों को कुचलता है और मूल्यवान तिब्बती सांस्कृतिक संपत्तियों को बेरहमी से और सदा-सर्वदा के लिए नष्ट कर देता है।’
उन्होंने कहा, ‘बीजिंग की विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं न केवल तिब्बतियों के लिए, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं। खासकर तब, जब प्रभावित एशियाई देशों को पानी की आपूर्ति की बात आती है।’
ह्यूमन राइट्स वॉच ने आरएफए को बताया कि वह इस गतिविधि की निगरानी कर रहा है लेकिन चीन द्वारा कड़ी निगरानी किए जाने और सूचना प्रवाह पर लगाए गए प्रतिबंधों को देखते हुए तिब्बत के अंदर से जानकारी निकालना बेहद दुर्लभ है।
समूह की अंतरिम चीन निदेशक माया वांग ने कहा, ‘जो लोग इस तरह की जानकारी और वीडियो भेजते हैं उन्हें कारावास और यातना का सामना करना पड़ता है।’
उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि भारत में निर्वासित तिब्बतियों के लिए यहां अपने परिवारों से बात करना भी कारावास का कारण बन सकता है। अब हम जो देखते हैं वह वास्तव में तिब्बत में दमन के विशिष्ट दृश्य हैं, लेकिन अब हमें अक्सर यह देखने को नहीं मिलता है कि तिब्बत में किस तरह का दमन चल रहा है।’