‘अलगाववाद विरोधी‘ कार्यशाला में शिक्षकों और छात्रों को एकदलीय शासन के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा करने के लिए कहा जाता है।
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तिब्बत के अंदर रहने वाले दो तिब्बतियों ने बताया है कि चीन पश्चिमी तिब्बत में शिक्षकों और छात्रों से एकदलीय शासन-प्रशासन के प्रति निष्ठा व्यक्त करने और दलाई लामा और उनके अधिकारियों द्वारा परिभाषित अलगाववादी तरीकों की निंदा करने का आग्रह कर रहा है।
सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों ने चीन के पश्चिमी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के न्गारी प्रिफेक्चर से प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के ४०० से अधिक शिक्षकों और छात्रों को अक्तूबर में ‘अलगाववाद विरोधी’ कार्यशाला में भाग लेने के लिए बुलाया था।
एक तिब्बती ने लिखित संदेश में आरएफए को बताया, कार्यशाला में उपस्थित लोगों से कहा गया कि वे ‘सरकार की विचारधारा के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करें और अलगाववाद और परम पावन दलाई लामा की निंदा करें।‘उन्होंने लिखा, ‘उपस्थित लोगों को स्कूलों में किसी भी धार्मिक गतिविधियों से दूर रहने के लिए भी कहा गया।‘चीनी सरकार का मानना है कि दलाई लामा तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और पश्चिमी चीन के तिब्बती आबादी वाले क्षेत्रों को देश के बाकी हिस्सों से अलग करना चाहते हैं।
हालांकि, तिब्बती बौद्ध धर्म के निर्वासित आध्यात्मिक धर्मगुरु ने स्वतंत्रता की वकालत नहीं की है, बल्कि एक ‘मध्यम मार्ग’ की अवधारणा पेश की है जो तिब्बत को चीन के एक हिस्से के रूप में स्वीकार करता है और तिब्बत के लिए अधिक सांस्कृतिक और धार्मिक स्वायत्तता का आग्रह करता है, जिसमें चीनी संविधान के प्रावधानों के तहत नस्लीय अल्पसंख्यकों के लिए मजबूत भाषा अधिकार की गारंटी शामिल है।
सांस्कृतिक दमन
तिब्बत में रहनेवाले एक दूसरे तिब्बती ने पुष्टि की कि कार्यशाला के दौरान तिब्बती शिक्षकों और छात्रों को चीनी सरकार के प्रति अपनी वफादारी और देशभक्ति की प्रतिज्ञा करने और धर्म से संबंधित कोई भी शिक्षा देने और पढ़ने- पढ़ाने से परहेज करने के लिए कहा गया।
उन्होंने एक लिखित संदेश में आरएफए को बताया, ‘शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे छात्रों को सरकार की विचारधारा के प्रति निष्ठा का पालन करना सिखाएं।‘यह कदम तब उठाया गया है जब चीनी सरकार ने तिब्बती संस्कृति, भाषा और धर्म को दबाने और राज्य के प्रति देशभक्ति और वफादारी सुनिश्चित करते हुए चीन की बहुमत वाली प्रमुख हान नस्ल की आबादी में तिब्बती पहचान को जबरन विलय करने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है।
आरएफए ने यह भी सूचना दी है कि अक्तूबर में सिचुआन प्रांत में तिब्बती समुदायों के बीच जातीय अल्पसंख्यक भाषा-शिक्षण पर सरकार की ओर से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि कार्यशाला में भाग लेने के लिए जिन स्कूलों को बुलाया गया था, उनमें न्गारी गारज़ोंग मिडिल स्कूल, कुंग-फेन-सेन एलीमेंट्री स्कूल, न्गारी वोकेशनल मिडिल स्कूल, न्गारी मॉडल स्कूल और न्गारी चाइल्ड केयर सेंटर शामिल थे।
सीटीए के आधिकारिक थिंक टैंक- तिब्बत नीति संस्थान- के निदेशक दावा छेरिंग ने कहा कि यह पूरा प्रपंच लोगों को दलाई लामा, भारत के धर्मशाला स्थित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और निर्वासित तिब्बत सरकार की निंदा करने के लिए मजबूर करने के चीनी सरकार के प्रयासों का हिस्सा है। हालांकि अब तक प्रयास सफल नहीं हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘हाल ही में हमने सरकारी मीडिया में दलाई लामा की निंदा करने में चीनी सरकार की ओर से थोड़ी ढील देखी थी। लेकिन चीनी सरकार ने एक बार फिर कठोर नीतियां लागू करना शुरू कर दिया जब (उसे) एहसास हुआ कि प्रयास और दमनकारी नीतियों के बावजूद दलाई लामा के प्रति तिब्बतियों की आस्था और श्रद्धा को खत्म करना असंभव होगा।‘