दिल्ली। भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) और तिब्बत पर कार्रवाई के लिए हिमालय समिति (हिमकैट) ने सिक्किम और उत्तर बंगाल में तिब्बत समर्थक समूहों (टीएसजी) के सशक्तिकरण और पुनर्जीवित करने के प्रयासों के तहततिब्बत समर्थक समूहों की बैठक आयोजित की। पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में अवस्थित सालुगाड़ा में२८ अगस्त, २०२३ कोहिमालयन बुद्धिस्ट कल्चरल स्कूल (एचबीसीएस) में यह बैठक आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़-इंडिया (सीजीटीसी-आई) के राष्ट्रीय सह-संयोजक श्री सुरेंद्र कुमार जीऔर विशिष्ट अतिथि के रूप में सीजीटीसी-आईके क्षेत्रीय संयोजक श्री सौम्यदीप दत्ता जी उपस्थित थे। साथ ही संगठन केअन्य लोग शामिल हुए।
उपस्थित लोगों में गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिनिधि, स्थानीय निवासी और स्कूल के वरिष्ठ छात्र शामिल थे।हिमकैट सिलीगुड़ी के सचिव और कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया (सीजीटीसी-आई) के पूर्व क्षेत्रीय संयोजक श्री सोनम लुंडुप ने हिमकैट और एचबीसीएस की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए मेहमानों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने अपने संबोधन में सालुगाड़ा के आसपास सक्रिय विभिन्न तिब्बत समर्थक समूहों (टीएसजी) और तिब्बती गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग और समन्वय के महत्व पर जोर दिया।
श्री सौम्यदीप दत्ता ने भारत की सुरक्षा के साथ तिब्बती मुद्दे के नाभिनाल संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तिब्बत पर चीनी अतिक्रमण के बाद भारत की सुरक्षा को खतरा, कैलाश-मानसरोवर जैसे हिंदू धर्मस्थलों की तीर्थयात्रा में बाधाएं पैदा की जाने लगीं। तिब्बत में गतिविधियों के कारण ब्रह्मपुत्र नदी में प्रदूषण फैला और तिब्बती बौद्ध धर्म की रक्षा करने की आवश्यकता पैदा हो गई है। उन्होंने हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के बीच ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए तिब्बती मुद्दे को सांस्कृतिक चश्मे से देखने पर बल दिया।
आईटीसीओ के समन्वयक थुप्टेन रिनज़िन ने भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) का परिचय दिया। उन्होंने अपने संबोधन में चीनी नीति को लेकर संयुक्त राष्ट्र की उसरिपोर्ट का खुलासा किया, जिसमें दस लाख तिब्बती बच्चों को चीनीकम्युनिस्ट शासन द्वारा संचालित अनिवार्य आवासीय विद्यालयों में जबरन भेजे जाने, तिब्बती संस्कृति, धर्म और भाषा को खतरे में डालने की खतरनाक साजिशेंकी गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तिब्बत के साथ ऐतिहासिक संबंध और आत्मीयता के कारण हिमालयी लोगों पर तिब्बती मुद्दे का समर्थन करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी है।
मुख्य अतिथि श्री सुरेंद्र कुमार जी ने तिब्बती मुद्दे के लिए भारत के ऐतिहासिक समर्थन को स्वीकार किया और जागरुकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया।उन्होंने भारत के राजनीतिक दलों के घोषणा-पत्रों में तिब्बत मुद्देको शामिल करने और तिब्बत-समर्थक उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने का आग्रह किया। उन्होंने तिब्बत पर चीन के अवैध कब्जे से उत्पन्न मौजूदा सीमा चुनौतियों का जिक्र किया और तिब्बत और भारत के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने १४वें दलाई लामा के नेतृत्व की प्रशंसा की और तिब्बती मुद्दे के लिए स्थानीय समर्थन का अनुरोध किया।
इस कार्यक्रम ने सिलीगुड़ी में हिमकैट की नई कार्य समिति कागठन किया गया। कार्यक्रम का समापन नई समिति को सफल कार्यकाल के लिए आभार और शुभकामनाओं के साथ हुआ। इसके बाद गणमान्य व्यक्ति सालुगाड़ा से दार्जिलिंग के लिए प्रस्थान कर गए।