भाषा समर्थक कार्यकर्ता और पूर्व राजनीतिक कैदी ताशी वांगचुक पर शनिवार १९ अगस्त को कुछ अज्ञात और नकाबपोश लोगों के समूह ने हमला कर दिया था। ‘फ्री तिब्बत’ के शोध सहयोगी संस्था ‘तिब्बत वॉच’ ने खुलासा किया है कि स्कूलों में चीनी भाषा लागू करने के लिए तिब्बती भाषा में पढ़ाई को खत्म करने को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से ताशी वांगचुक ने १९ अगस्त की शाम को पूर्वी तिब्बत में डार्लक काउंटी की यात्रा की थी। उन्होंने डार्लक काउंटी नेशनलिटी मिडिल स्कूल के पास एक वीडियो फिल्माया और उसे चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डॉयिन पर पोस्ट किया। इसके बाद वे अपने अपने होटल चले गए।
उसी रात लगभग ०८ बजे ताशी वांगचुक के होटल के कमरे का दरवाजा जबरदस्ती तोड़ा गया और नकाबपोशलोगों के एक समूह ने उन्हें लगभग १० मिनट तक लात-घुसों से पीटा। उनका मानना है कि स्कूल से होटल तक उनका पीछा किया गया था।
ताशी वांगचुक हमलावरों के सामने गिड़गिड़ाते रहे और उन्हें छोड़ने की विनती करते रहे। बाद में उन्होंने होटल मालिक से पुलिस बुलाने के लिए आग्रह किया। पुलिस रात करीब ०९ बजे उनके होटल के कमरे में पहुंची और उन्हें पूछताछ के लिए थानेले गई, जहां ताशी वांगचुक रात करीब ११:३० बजे तक रहे। इस दौरान पुलिस ने ताशी वांगचुक को अपने फोन से उस दिन ली गई तस्वीरें और वीडियो को मिटाने के लिए मजबूर किया।
इसके बाद उनके रुकने वाले होटल ने उन्हें वहां कमरा देने से इनकार कर दिया। इसके बाद कई अन्य होटलों ने भी उन्हें कमरा देने से मना कर दिया। इसके बाद वह डार्लक काउंटी अस्पताल गए और डॉक्टर से अपने सिर की जांच करने के लिए कहा। डॉक्टर ने जवाब दिया कि सीटी स्कैनर खराब है। ताशी वांगचुक ने पूरी रात अस्पताल की पहली मंजिल पर एक स्टूल पर बैठकर बिताई। इस दौरान उन्होंने दिन भर की घटनाओं का एक विस्तृत विवरण तैयार किया। इसमें उन्होंने अपनी पिटाई का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने इस रिपोर्ट में ‘अपराधीगिरोह और सरकारी अधिकारियों द्वारा कानून तोड़ने वाले अवैध कृत्य करने और एक-दूसरेको बचाने’ वालों के रूप में संदर्भित किया।
ताशी वांगचुक पूर्वी तिब्बत के युलशुल (चीनी: युशु) प्रीफेक्चर में क्येगुडो से है। स्थानीय स्कूलों में तिब्बती भाषा की कक्षाएं बंद होने के बाद स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दायर करने के अपने प्रयासों को लेकर २०१५ में न्यूयॉर्क टाइम्स से बात करने के बाद वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि में आए। इसमें उन्होंने तिब्बत की भाषा और संस्कृति के भविष्य को लेकर भी आशंका व्यक्त की। ताशी वांगचुक ने आरोप लगाया कि न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख और वीडियो वृत्तचित्र के लिए ही उन्हें चिहि्नत किया गया और हमला किया गया। यह लेख और वीडियो नवंबर २०१५ में प्रकाशित- प्रसारित किया गया था।
जनवरी-२०१६ में ताशी वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया उन्हें एक गुप्त स्थान पर रखा गया और प्रताड़ित किया गया। दो साल बिना मुकदमें के हिरासत में रखे जाने के बाद उन्हें ‘अलगाववाद भड़काने’ का दोषी पाया गया और पांच साल जेल की सजा सुनाई गई। उनकी हिरासत और कारावास की सजा के खिलाफ तिब्बती समूहों ने दुनिया भर में अभियान चलाया और ताशी वांगचुक को रिहा करने की मांग की।
ताशी वांगचुक ने जनवरी-२०२१ में जेल से रिहा होने के बाद भी तिब्बत में अधिकारियों से चीनी संविधान का सम्मान करने की वकालत करना जारी रखा है, जिसमें तिब्बती सहित अल्पसंख्यक भाषाओं को पढ़ाने का प्रावधान किया गया है।
जनवरी-२०२२ में ताशी वांगचुक ने तिब्बती भाषा के संरक्षण के लिए ज्येकुंडो में स्थानीय सरकारी कार्यालयों से संपर्क किया। इसके चलते उन्हें युशू के सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो में पूछताछ के लिए बुलाया गया। उन्होंने चीन के कब्जे वाले तिब्बत के अन्य स्कूलों की भी यात्राएं कीं और तिब्बती भाषा की जगह चीनी भाषा में शिक्षा देने वाली पाठ्य-पुस्तकें एकत्र की हैं।
एक ओर जहां ताशी वांगचुक तिब्बती भाषा के पक्ष में शांतिपूर्ण ढंग से अभियान चला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चीनी कब्जे वाले तिब्बत में अधिकारियों ने सार्वजनिक क्षेत्र के कामकाज में तिब्बती भाषा को हाशिए पर रखने या यहां तक कि खत्म करने की नीतियां लागू की हैं। इन नीतियों में तिब्बती भाषा के स्कूलों को बंद करना और चीनी सरकार की आवासीय स्कूल नीति को लागू करना शामिल है। इन आवासीय स्कूलोंमें ०४से १८ वर्ष की आयु वर्गके लगभग दस लाख तिब्बती बच्चों को जबरन रखा गया है। इस माहौल में बच्चों की अपने परिवारों से बहुत कम मिलने दिया जाता है और उन्हें ऐसे शैक्षणिक माहौल में रखा जाता है जहां तिब्बतियों की अपनी भाषा और इतिहास के खिलाफ चीनी भाषा और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा अनुमोदित इतिहास को बढ़ावा दिया जाता है। इस नीति की संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों संबंधी समिति ने आलोचना की है। इस विश्व संस्था ने मार्च २०२३ में चीन से आवासीय विद्यालय प्रणाली को समाप्त करने का आग्रह किया था।