tibet.net / २७ अप्रैल, २०२३
धर्मशाला। ब्रिटेन पहुंचने के एक दिन बाद २५ अप्रैल को केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने लोकतंत्र के आदर्शों को बढ़ावा देनेवाले अलाभकारी एनजीओ ‘डेमोक्रेसी फोरम’ द्वारा ‘तिब्बत में चीनी औपनिवेशिक शासन के ७२ साल’ शीर्षक से आयोजित एक वेबिनार में भाग लिया।
सिक्योंग ने दलाई लामा के पुनर्जन्म के लामाओं और तिब्बतियों के अधिकार पर दावा करने की चीन की अनुचित इच्छा पर प्रकाश डाला और बताया कि कितने युवा तिब्बती अब तक अपनी दुर्दशा के विरोध में आत्मदाह कर चुके हैं। वेबिनार को संबोधित करते हुए सिक्योंग ने उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनकी सहायता के लिए आगे आएगा।
ऑल पार्टी पार्लियामेंटरी ग्रुप फॉर तिब्बत (तिब्बत के लिए सर्वदलीय संसदीय समूह या एपीपीजी) के सह-अध्यक्ष, एमपी टिम लॉटन, सांसद केरी मैक्कार्थी और एमपी वेरा हॉबहाउस द्वारा चीन-तिब्बत संघर्ष पर गहन चर्चा के लिए २५ अप्रैल को सिक्योंग की मेजबानी ब्रिटिश संसद में की गई थी। यहां पर सिक्योंगे ने स्पीकर सर लिंडसे हॉयल से संक्षिप्त मुलाकात की और हाउस ऑफ कॉमन्स की कार्यवाही देखी। उन्होंने उसी दिन अपनी आधिकारिक कार्यक्रम के तहत पोर्टकुलिस हाउस में यूके संसद की विदेश मामलों की समिति की अध्यक्ष सांसद एलिसिया किर्न्स से भी मुलाकात की।
इसके अलावा, सिक्योंग ने ब्रिटिश संसद में तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता पर ब्रिटेन की ऑल पार्टी पार्लियामेंटरी ग्रुप फॉर इंटरनेशनल फ्रीडम ऑफ रिलिजन एंड बिलीफ (एफओआरबी) के समक्ष गवाही दी, जो ब्रिटेन की संसद में सबसे बड़े सर्वदलीय संसदीय समूहों में से एक है। टाशी ल्हुन्पो मठ के मठाधीश श्रद्धेय ज़ेक्याब रिनपोछे; तिब्बती पूर्व राजनीतिक कैदी और दिवंगत तुल्कु तेनज़िन डेलेक रिनपोचे की भतीजी न्यिमा ल्हामो और लंदन स्थित तिब्बत कार्याल के प्रतिनिधि सोनम फ्रैसी सुनवाई के दौरान सिक्योंग के साथ थे।
इंग्लैंड में अपने कार्यक्रमों को समाप्त करने से पहले सिक्योंग ने २६ अप्रैल को वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी के फेवी हॉल में मानव अधिकारों, निर्वासन में तिब्बती लोकतंत्र और तिब्बत-चीन संघर्ष से संबंधित मुद्दों पर बात की। इस वार्ता की मेजबानी विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेमोक्रेसी द्वारा की गई थी और वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के प्रमुख प्रोफेसर दिब्येश आनंद द्वारा आयोजित की गई थी।