धर्मशाला। आज २५ अप्रैल को तिब्बत के प्रमुख धार्मिक नेताओं में से एक ११वें पंचेन लामा की ३४वीं जयंती है। पंचेन लामा को पूरे परिवार के साथ छह साल की उम्र में अपहरण कर लिया गया और इसके बाद पिछले २७ साल से अधिक समय से वह गुप्त रूप से चीनी हिरासत में हैं। अपने धार्मिक नेता की जयंती दुनिया भर के तिब्बतियों और बौद्धों के लिए पवित्र और आनंदमय दिन होना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय यह दिन अब चीन द्वारा पंचेन लामा को अपहरण किए जाने और गायब कर दिए जाने का दर्दनाक यादगार बन कर रह गया है।
जेट्सन तेनज़िन गेधुन येशी ट्रिनली फुंटसोक पाल संगपो जिन्हें गेधुन चोएक्यी न्यिमा के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म २५ अप्रैल १९८९ को कुंचोक फुंटसोक और डेचेन चोएडन के पुत्र के रूप में तिब्बत के नागचू के लहारी में हुआ था। १४ मई १९९५ को परम पावन दलाई लामा ने छह वर्षीय गेधुन चोएक्यी न्यिमा को स्वर्गीय १०वें पंचेन लामा के ११वें अवतार के रूप में घोषित किया। बीजिंग के अधिकारी चयन प्रक्रिया को नियंत्रित करने की योजना बनाए हुए थे। लेकिन अपनी योजना में बाधा पड़ते देख वे आगबबूला हो गए। परम पावन दलाई लामा की घोषणा के ठीक तीन दिन बाद यानी, १७ मई १९९५ को बच्चे और उसके परिवार के लापता होने की सूचना फैली। इस तरह छह वर्षीय पंचेन लामा तत्कालीन दुनिया के सबसे कम उम्र के राजनीतिक कैदी बन गए।
पंचेन लामाओं को तिब्बत में सबसे सम्मानित धार्मिक नेताओं में से एक माना जाता है, जिनका दलाई लामाओं के साथ विशेष आध्यात्मिक संबंध होता है। इन दोनों धार्मिक नेताओं की तुलना अक्सर तिब्बती बौद्ध आध्यात्मिक आकाश में ‘सूर्य और चंद्रमा’ की तरह की जाती है। इन दो प्रमुख लामाओं की वंशावली ने न केवल तिब्बतियों के आध्यात्मिक और भौतिक कल्याण में बहुत बड़ा योगदान दिया है, बल्कि तिब्बती लोगों के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। महान १४वें दलाई लामा के शब्दों में ११वें पंचेन लामा ‘विशेष जिम्मेदारी वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति’ हैं और जिन्हें दलाई लामा के काम को आगे बढ़ाना है।
पूरे इतिहास में विभिन्न पंचेन लामाओं ने तिब्बती समाज की बेहतरी के लिए बड़ा योगदान दिया है। उन सभी में सबसे उल्लेखनीय १०वें पंचेन लामा लोबसांग थ्रिनले चोएक्यी ग्यालत्सेन थे, जिन्होंने विशेष रूप से तिब्बती संस्कृति, परंपरा और भाषा को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने विश्वासों में दृढ़, अडिग और साहसी १०वें पंचेन लामा को समकालीन तिब्बत में सबसे प्रभावशाली धर्मगुरुओं में से एक माना जाता था। १०वें पंचेन लामा ने १९६२ में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के नेताओं को अपनी प्रसिद्ध १४,००० शब्दों (७०,००० वर्णों) का ज्ञापन दिया था। इसमें उन्होंने तिब्बत में तिब्बती संघर्षों को उजागर करते हुए चीनी नेताओं से तिब्बत की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति में सुधार की जिम्मेदारी लेने का आग्रह करना। इस ‘अति स्वाभिमानी पंचेन लामा’ से नाराज माओ ने उन पर ‘प्रतिक्रियावादी शक्ति’ होने का आरोप लगाया। पीआरसी के अधिकारियों ने पंचेन लामा को १९६४ से १९७७ तक १३ वर्षों तक कैद में रखा। इस दौरान उन्होंने अत्यधिक यातना और कष्ट सहे। जेल से रिहा होने के बाद जून १९८२ में तिब्बत लौटने पर १०वें पंचेन लामा ने तिब्बती जीवन शैली के पुनर्निर्माण और तिब्बती धर्म और संस्कृति को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए लगातार और साहसपूर्वक अथक काम किया। २८ जनवरी १९८९ को रहस्यमय परिस्थितियों में उनका आकस्मिक निधन हो गया।
बीजिंग द्वारा ११वें पंचेन लामा का अपहरण और पंचेन लामा की पसंद के रूप में ग्यालत्सेन नोरबू का चयन पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित कार्य हैं। इसका उद्देश्य अगले दलाई लामा के चयन को नियंत्रित करना और तिब्बत पर उसके अवैध कब्जे को वैध बनाना है। पिछले २७ वर्षों से पीआरसी द्वारा ११वें पंचेन लामा की अनौपचारिक हिरासत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संधियों और कानूनों द्वारा संरक्षित कई मानवाधिकार घोषणाओं का घोर उल्लंघन है, जिनमें से कई का सम्मान करने, बढ़ावा देने और रक्षा करने के लिए चीन कानूनी रूप से बाध्य है।
इस अवसर पर डीआईआईआर के सचिव श्री कर्मा चोयिंग ने विभाग का वक्तव्य जारी किया, जिसमें कहा गया है कि ‘केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग (डीआईआईआर) ११वें पंचेन लामा के ३४वें जन्मदिन पर उनकी कुशलता के लिए हार्दिक प्रार्थना करता है। साथ ही, हम दुनिया भर की सरकारों, संसदों, गैर-सरकारी संगठनों, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकायों और संस्थाओं, बौद्धों और आम लोगों को पंचेन लामा के लंबे समय से गायब करने को लेकर सामूहिक तौर पर दुख और चिंता प्रकट करते हुए पीआरसी सरकार से अपनी संवैधानिक गारंटी और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को बनाए रखने और पीआरसी की सरकार से पंचेन लामा और उनके परिवार को तुरंत रिहा करने का आग्रह करने को लेकर लगातार दबाव डालने के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं। हम पीआरसी सरकार से तिब्बती लोगों के मौलिक अधिकारों का सम्मान करने और तिब्बती धार्मिक नेताओं और समुदाय के प्रभावशाली व्यक्तियों के जबरन गायब होने की प्रथा को तुरंत रोकने का भी आह्वान करते हैं। जब तक चीन पंचेन लामा के बारे में विश्वसनीय जानकारी प्रदान नहीं करता है और तुरंत उन्हें, उनके परिवार और चाद्रेल रिनपोछे को आज़ाद करते हुए रिहा नहीं करता है, तब तक हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन को तिब्बती बौद्ध धर्म और तिब्बती लोगों के धर्म, स्वतंत्रता और विश्वास के निकृष्टतम अनादर के लिए जवाबदेह ठहराने की वकालत करते रहेंगे।‘