जांगकर जामयांग ने स्कूलों में तिब्बती शिक्षा बंद करने के चीन के कदम की आलोचना की थी
rfa.org / लोब सॉकत्सांग
लगभग तीन साल पहले चीनी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक तिब्बती लेखक को ‘अलगाववाद भड़काने और इंटरनेट चैट समूहों में अफवाहें फैलाने’के आरोप में चार साल की जेल की सजा दी गई है। स्थिति की जानकारी रखने वाले तिब्बतियों ने इसकी पुष्टि की है। अब ४५ वर्ष के हो चुके ज़ंगकर जामयांग ०४ जून, २०२० की रात को अचानक गायब हो गए। बाद में पता चला कि उन्हें दक्षिण-पश्चिमी चीनी प्रांत सिचुआन में तिब्बती क्षेत्रन्गाबा के क्यूंगचू काउंटी में अधिकारियों ने उन्हें बिना किसी सूचना के गिरफ्तार कर लिया था।
क्षेत्र के अंदर के एक तिब्बती ने बताया कि बहुत समय तकउनके परिवार को उनके ठिकाने के बारे में कुछ मालूम नहीं था। यहां तक कि उनकी गिरफ्तारी के बारे में भी कोई सूचना परिवार को नहीं थी। सूत्र ने ‘रेडियो फ्री एशिया’को बताया, आखिरकार परिवार को पता चला कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और उन पर ‘अलगाववाद भड़काने’और विभिन्न विषयों पर ऑनलाइन चर्चाओं में भाग लेने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें सिचुआन प्रांत में चेंगदू शहर के पास मेनयांग जेल में हिरासत में रखा गया है और उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को उनसे मिलने की अनुमति नहीं है। चीनी अधिकारी तिब्बती राष्ट्रीय पहचान और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले तिब्बती लेखकों और कलाकारों को अक्सर हिरासत में लेते हैं, जिनमें से कई को जेल की लंबी सजा सुनाई जाती है।
कई बार, तिब्बतियों ने बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन करके अपनी भाषा और संस्कृति को दबाने के चीनी प्रयासों का विरोध किया है, जिन्हें आम तौर पर बल प्रयोग के द्वारा दबा दिया जाता है। जमयांग तिब्बती और चीनी दोनों भाषाएं धाराप्रवाह बोल सकते हैं। उन्होंने एक किताब भी लिखी है और ‘डांग चार’सहित तिब्बती साहित्यिक पत्रिकाओं में वह लिखते रहे हैं। मार्च- २०२० के आसपास जमयांग ने स्कूलों में तिब्बती भाषा पढ़ाने के महत्व के बारे में बोलना शुरू किया था। जब अधिकारियों ने स्कूलों में क्षेत्र की मातृभाषा के शिक्षण को बंद करने के लिए नीतियों को लागू करना शुरू किया तो उन्होंने चीनी सरकार की आलोचना करना शुरू कर दिया था।
जमयांग विवाहित हैं और उनके दो बच्चे हैं। उन्होंने तिब्बतियों को प्रोत्साहित किया कि वे तिब्बतियों को अपनी भाषा का उपयोग करने और पढ़ाने से रोकने के चीनी सरकार के प्रयासों की निंदा करें। स्थिति की जानकारी रखने वाले एक अन्य तिब्बती ने कहा कि अधिकारियों ने लेखक से कई बार पूछताछ की और उसके लैपटॉप,कंप्यूटर और मोबाइल फोन की तलाशी ली। उन्होंने उन्हें कई बार हिरासत में भी लिया। तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु परम पावन का जिक्र करते हुए सूत्र ने कहा, ‘जमयांग सक्रिय रूप से परम पावन दलाई लामा की महानता और तिब्बती भाषा के संरक्षण के बारे में ऑनलाइन चैट समूहों में जानकारी पोस्ट कर रहे थे। ‘ जमयांग ने १९९८ में तिब्बत छोड़ दिया और भारत में दलाई लामा का निवास और निर्वासन में तिब्बती सरकार के मुख्यालय धर्मशाला में रहते हुए अंग्रेजी सीखी।
लेकिन २००२ में वह तिब्बत लौट आए और संयुक्त राष्ट्र संगठनों और संयुक्त राज्य अमेरिका के गैर सरकारी संगठनों के लिए दुभाषिया का काम करने लगे। उन्होंने क्षेत्र में आनेवाले पर्यटकों के लिए टूर गाइड और अनुवादक के रूप में भी काम किया। २०१९ में अमेरिका जाने के लिए वीजा के लिए उनके आवेदन को मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन वह कोविड-१९ महामारी के बीच यात्रा नहीं कर सके। दूसरे सूत्र ने कहा कि ०४ जून, २०२० को वह अचानक गायब हो गए और बहुत समय के बाद ही उसके परिवार को चीनी पुलिस द्वारा उसकी गिरफ्तारी की सूचना दी गई।