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ल्हासा (तिब्बत), २६ जनवरी (एएनआई)।तिब्बत प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अस्पतालों और अन्य चिकित्सा केंद्रों तक पहुंच पर मौजूदा प्रतिबंधों के कारण कोविड मृत्यु दर में वृद्धि ने तिब्बतियों के जीवन को लगातार कठिन बना दिया है। तिब्बतियों को चिकित्सा केंद्रों का लाभ उठाने की अनुमति नहीं हैऔर पूरी समस्या को गुपचुप तरीके से बाहरी दुनिया को कोई सूचना दिए बगैर नियंत्रित किया जा रहा है। तिब्बत प्रेस ने बताया कि तिब्बती निर्मम चीनी शासन के साथ-साथ वर्तमान कोविड महामारी से भी अंतहीन पीड़ा और मृत्यु को सहन करते हैं। रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) से बात करने वाले सूत्रों के अनुसार, अस्पतालों और अन्य चिकित्सा केंद्रों तक पहुंच पर वर्तमान प्रतिबंधों के कारण चामडो प्रिफेक्चर के ड्रैगयाब काउंटी में दो स्थानीय सरकारी कर्मचारियों सहित चार व्यक्तियों की ०७ जनवरी को मृत्यु हो गई।
इसके अतिरिक्तकुछ स्रोतों के अनुसार, मृतकों को दाह संस्कार के लिए आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में सिचुआन के सर्टा काउंटी में लारुंग गार बौद्ध अकादमी में ले जाया गया। सूत्रों के मुताबिक, इस बीच चीन सरकार ने तिब्बत को चीन के अन्य हिस्सों के पर्यटकों के लिए फिर से खोल दिया है। तिब्बत प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ल्हासा मेंअधिकारियों ने शहर के पर्यटन स्थलों में मुफ्त प्रवेश की घोषणा की है। जब महामारी का प्रकोप हुआतो सरकार की शून्य कोविड नीति के परिणामस्वरूप कठोर, अनुचित उपाय किए गए और तिब्बती लोगों के जीवन को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया गया। तिब्बत प्रेस ने बताया कि इसका प्रकोप ०७ अगस्त-२०२२ को शुरू हुआ और इसके तुरंत बाद लॉकडाउन शुरू हो गया। हमेशा की तरहचीन ने तिब्बत की स्थिति की गंभीरता का आकलन करने और इसके बारे में अधिक जानने का बहाना बनाकर पत्रकारों और अन्य पर्यवेक्षकों को तिब्बत में प्रवेश करने से रोक दिया।
सूचना का एकमात्र स्रोत चीनी मीडिया बच गया, जो निश्चित रूप से सबसे पक्षपाती चैनल है क्योंकि यह पूरी तरह से सरकार के आदेशों का अनुपालन करता है। तिब्बत प्रेस ने बताया कि चीनी सरकार ने इस बात को प्रचारित करना सुनिश्चित किया कि कोरोना वायरस का प्रकोप तिब्बती क्षेत्र में उत्पन्न हुआ हैऔर यह तीसरी पीढ़ी का उप-संस्करण ओमिक्रॉन प्रतीत होता है। उन्होंने यहां तक कहा कि विशिष्ट संस्करणअभी तक चीन में कहीं नहीं देखागया है। तिब्बती सूत्रों ने बताया कि दिसंबर की शुरुआत में चीनी अधिकारियों द्वारा बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए कड़े लॉकडाउन के बादचीन के तिब्बती हिस्सों में कोविड जनितमौतें बढ़ी हैं। तिब्बत में रहने वाले एक सूत्र के अनुसार, पूरे चीन में लंबे समय तक चले प्रदर्शनों के बाद०७ दिसंबर को शून्य-कोविड नीति मेंढील दी गई थीं, जिनमें तिब्बत की राजधानी ल्हासा में १०० से अधिक लोग मारे गए।
सूत्र के अनुसार, तिब्बत प्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ०२ जनवरी को अकेले मालड्रो गोंगकर में द्रिगुंग श्मशान में ६४मृतकों को जलाया गया है। इसके अलावा, ३० शवों का छेमोनलिंग श्मशान में, १७ शवों का सेरा श्मशान में, और अन्य १५ शवों का तोलेंग डेचेन में एक श्मशान में अंतिम संस्कार किया गया। अन्य स्रोतों ने बताया कि कोविडने पश्चिमी चीनी प्रांतों- सिचुआन, गांसु, किंघाई के न्गाबा, सांगचू, कार्देज़ और लिथांग- में तिब्बतियों के जीवन को लील लिया है। सिचुआन में न्गाबा के कीर्ति मठ में इतने शव ले जाए गए कि कुछ को गिद्धों को खाने के लिए छोड़ दिया गया।
सिचुआन के डर्ज काउंटी के एक तिब्बती निवासी के अनुसार, ‘कोविड तिब्बत के हर कोने में घुस गया है।‘तिब्बती व्यक्ति ने अधिकारियों की नजरों से बचने के लिए नाम न छापने की शर्त पर आरएफए कोयह बात बताई। जनता पहले से ही चिंतित थी कि प्रतिबंधों में ढील के बाद चीन महामारी की प्रगति के बारे में जानकारी छिपा सकता है।२५ दिसंबर को चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने भी घोषणा कर दी कि वह दैनिक कोविडमामलों की संख्या को प्रकाशित करना बंद कर देगा। आरएफएकी रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत में चीनी अधिकारी स्थानीय श्मशानों में फोटो या वीडियो रिकॉर्डिंग लेने से रोक रहे हैं, ताकि क्षेत्र में बढ़ती कोविड जनितमौतों की खबर बाहरी दुनिया तक न पहुंच सके। दिसंबर के पहले कुछ दिनों में अधिकारियों द्वारा बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बादचीन के तिब्बती क्षेत्रों में मरने वालों की संख्या फिर से बढ़ गई है। सुरक्षा कारणों से नाम न छापने की शर्त पर बात करने वाले एक स्थानीय सूत्र के अनुसार, अब प्रतिदिन १५ से २० शवों को तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के द्रिगुंग के श्मशान और ल्हासा शहर के अन्य श्मशानों में ले जाया जाता है।
तिब्बती लोगों की स्थिति ऐसी हो गई है कि इसमें अंतरराष्ट्रीय सहायता की जरूरतहै। साथ ही वहां ऐसी क्रूर और अनुचित गतिविधियों को रोका जाना चाहिए। ऐसे में जब दुनिया के बाकी हिस्से कोविड के प्रकोप से उबर रहे हैं, तिब्बती ठीक होने कीबजाय बुनियादी सेवाओं की सुविधा पाने के लिए संघर्ष करना जारी रखे हुए हैं। (एएनआई)