धर्मशाला। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का शिक्षा विभाग दसवीं कक्षा के छात्रों के लिए २१ से २७ दिसंबर तक सप्ताह भर चलने वाली नेतृत्व कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की और पारंपरिक शैक्षणिक अनुभाग प्रमुख, अतिरिक्त सचिव तेनज़िन दोरजी, उप सचिव न्गोडुप तेनपा, संयुक्त सचिव जामयांग वांग्याल और अन्य संबंधित कर्मचारियों ने इसमें भाग लिया।
अतिरिक्त सचिव तेनज़िन दोरजी ने कार्यशाला में आए सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और परिचयात्मक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि कार्यशाला २ साल के कोविड प्रतिबंधों के बाद हो रही थी और कहा कि यह कार्यक्रम बुनियादी शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में कुल २७ स्कूल और ११४ विद्यार्थी भाग ले रहे हैं।
छात्रों को अपने संबोधन मेंसिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने उल्लेख किया कि इस बस्ती-के दौरे मेंउन्होंने धर्मशाला के अलावा अधिकांश स्कूलों में गए थे और वह इस कार्यशाला के माध्यम से सभी स्कूलों से संपर्क रखने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने छात्रों से कार्यक्रम की व्यवस्था का अध्ययन करने और आयोजकों को उनकी भविष्य की ऐसी कार्यशालाओं की योजना बनाने में मदद करने के लिए अपनी प्रतिक्रिया देने का आग्रह किया।
उन्होंने तिब्बतियों को स्थानीय लोगों के साथ सद्भाव बनाकर रहने के लिए याद दिलाया। साथ ही उन्होंने छात्रों से तिब्बती समुदाय की स्थितियों में सुधार करने में रुचि रखनेवाले प्रायोजकों द्वारा आयोजित की जानेवाली ऐसी कार्यशालाओं का अधिकतम लाभ उठाने की अपील की।
उन्होंने अपने इतिहास को जानने के महत्व को भी दोहराया और उस पूरे वृतांत को दोहराया कि किस तरह से तिब्बत में भारी दवाब के बीच तिब्बतियों को भागकर भारत जाना पड़ा था। उन्होंने बताया कि कैसे निर्वासन में आनेवाली तिब्बतियों की पहली पीढ़ी भारत के अत्यधिक गर्म और उमस भरे मौसम में सड़क निर्माण मजदूरों के रूप में काम कर रही थी, जिसके कारण इस पीढ़ी के तिब्बती काफी आराम में रह रहे हैं। उन्होंने छात्रों को तिब्बती इतिहास, लोकतंत्र के विकास, तिब्बत की जलवायु और पर्यावरण के बारे में भी बताया, जिनपर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।
छात्रों की आबादी का एक डेटाबेस और व्यवस्थित रिकॉर्ड रखने के महत्व पर जोर देते हुएउन्होंने कहा कि स्कूलों को बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए यह आवश्यक है।
इसके बाद उप सचिव न्गोडुप तेनपा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यशाला पहला सत्र ‘भविष्य के तिब्बत के नेता’ था, जिसमें सिक्योंग अतिथि वक्ता थे। इसकेबाद ‘मानकीकृत शर्तें’, ‘तिब्बत के पर्यावरण का महत्व’, ‘तिब्बती लोकतंत्र का विकास’, ‘धर्मनिरपेक्ष नैतिकता’, ‘तिब्बत पर चीन की नीति’ और ‘सीटीए का परिचय’ से संबंधित सत्र हुए। इसके बाद सीटीए विभागों का दौरा कराया गया।