२४ अक्तूबर, २०२२
गंगटोक, सिक्किम। स्थानीय तिब्बती विधानसभाओं, सेटलमेंट अधिकारियों, स्थानीय तिब्बती विधानसभाओं के सदस्यों के सेटलमेंट अधिकारियों और गंगटोक, रवंगला, दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और सोनादा के तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन के क्षेत्रीय सदस्यों के बीच जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की मजबूती का प्रशिक्षण देने के लिए निर्वासित तिब्बती संसद द्वारा सिक्किम में पांच दिवसीय कार्यशाला २१अक्तूबरको सफलतापूर्वक संपन्न हो गई।
कार्यशाला के पहले दो दिन के लिए प्रशिक्षक के तौर पर निर्वासित तिब्बती संसद की उपाध्यक्ष डोल्मा छेरिंग तेखांग और सांसद गेशे मोनलम थरचिन थे। उन्होंने कार्यशाला के लिए पंजीकृत प्रतिभागियों को संसदीय प्रक्रियाओं और बजट नियमों के बारे में शिक्षण- प्रशिक्षण दिया। जबकि कार्यशाला का तीसरा दिन कार्यशाला के अंतिम दो दिनों में आयोजित होनेवाले छद्म सत्र (मॉक सेशन) तैयार करने को समर्पित रहा।
उपरोक्त दोनों प्रशिक्षकों की देखरेख में छद्म सत्र उचित संसदीय प्रक्रियाओं और शासनादेशों का पालन करते हुए शुरू हुआ। दो दिवसीय मॉक सत्र की अध्यक्षता बारी-बारी से पहले उल्लेखित व्यवस्थित बस्तियों और यत्र-तत्र बसे हुए तिब्बती समुदायों के स्थानीय तिब्बती विधानसभाओं के अध्यक्षों द्वारा की गई।
प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से एकजुटता संकल्प, मृत्यु पर शोक प्रस्ताव, तारांकित प्रश्न, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, वार्षिक रिपोर्ट, विधायी संशोधन, निजी सदस्य विधेयक, विनियोग विधेयक और बजट से संबंधित अन्य दस्तावेज तैयार किए। वे वास्तविक स्थानीय विधानसभा सत्र की तरह कार्यशाला को चलाने के लिए उत्साहित थे। असेम्बली की कार्यवाही को बेहतर बनाने में आवश्यक सुझाव देने के लिए दोनों प्रशिक्षकों ने सत्रों के बीच-बीच में हस्तक्षेप किया।
समापन समारोह में डिप्टी स्पीकर ने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी के लिए सराहना की और साथ ही, स्थानीय तिब्बती विधानसभा में पारित प्रस्तावों पर अडिग रहने और उन्हें वास्तविक अभ्यास में लाने के महत्व को दोहराया। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को सलाह दी कि वे चीन के आक्रमण से पहले तिब्बत के एक स्वतंत्र देश होने के ऐतिहासिक तथ्यों और तिब्बत के अंदर की वर्तमान गंभीर स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाने में अपना योगदान दें। डिप्टी स्पीकर ने पांच तिब्बती बस्तियों और सिक्किम और पश्चिम बंगाल में बिखरे हुए तिब्बती समुदायों के प्रतिभागियों को सलाह दी कि वे अपने- अपने राज्य की विधानसभाओं में तिब्बत से संबंधित मामलों को उठाने के लिए सामूहिक प्रयास करें।
सांसद गेशे मोनलम थरचिन ने भी कार्यशाला के दौरान विशेष रूप से मॉक सत्र में, प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की और उन्हें पांच दिवसीय कार्यशाला में पढ़ाए जाने वाले बजट और संसदीय प्रक्रिया के नियमों और विनियमों के बारे में हमेशा पढ़ते रहने के लिए कहा। उन्होंने प्रतिभागियों को कार्यशाला के दौरान अर्जित ज्ञान को दूसरों के साथ भी साझा करने की सलाह दी।
एक संक्षिप्त समापन समारोह के बाद स्थानीय तिब्बती विधानसभा के सदस्यों के लिए जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने को लेकर आयोजित कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने कार्यशाला के आयोजन की सराहना की और भविष्य में इस तरह की और कार्यशालाओं का आयोजन करने की आग्रह किया।
यह १७वीं निर्वासित तिब्बती संसद द्वारा अपने गठन के बाद से आयोजित चौथी एलटीए कार्यशाला है। इससे पहले कि तीन एलटीए कार्यशालाएं क्रमशः धर्मशाला, ओडिशा और लद्दाख में आयोजित की जा चुकी हैं। एलटीए कार्यशालाओं का उद्देश्य प्रतिभागियों को केंद्रीय तिब्बती प्रशासन, निर्वासित तिब्बतियों के चार्टर, बजट नीति, संसदीय सत्र की कार्यवाही, आम जनता से संबंधित मुद्दों को समझने और उठाने, उचित निर्णय लेने और सार्वजनिक कार्यालयों को जवाबदेह बनाने की क्षमता और अन्य विषयों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करके जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है।