गृह विभाग
निर्वासित तिब्बतियों की सभी प्रकार की पुनर्वास योजनाएं चलाने का काम गृह विभाग का है। इस विभाग द्वारा भारत में २१ खेति हर बस्तियों, ११ क्लस्टर ईकाइयों, आठ एग्रो उद्योगों और चार कालीन बुनाई सहकारी समितियों की देखभाल की जाती है। इसके अलावा इस विभाग द्वारा नेपाल और भारत में २० तिब्बती बस्तियों और हस्तशिल्प सोसाइटियों की देखभाल की जाती है।
यह विभाग भारत सरकार और उन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ घनिष्ठ सहयोग कायम करके काम करता है जो तिब्बतियों की दशा सुधरने में सहयोग के लिए कार्यरत हैं। अपने गठन के समय से ही इस विभाग का मुख्य लक्ष्य तिब्बती जनता में रोजगार सृजन और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना रहा है। जमीनी स्तर पर लोगों के पास यह अधिक होता है कि वे या तो अपने बस्ती/कल्याण अधिकारी का चुनाव कर लें या गृह विभाग से नियुक्त किए गए व्यक्तियों को स्वीकार करें। फिलहाल अधिकाश बस्तियों ने विभाग द्वारा नियुक्त अधिकारियों को स्वीकार करने की बात मानी है। लेकिन केंद्रीय तिब्बती प्रशासन लोगों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है कि वह खुद ही जमीनी स्तर पर मुखिया का चुनाव कर लें क्योंकि तिब्बती लोगों को राजनीतिक रूप से परिपक्व बनाने के लिए यह एक अनिवार्य कदम है। गृह विभाग सहकारी समितियों को एक दिशा देने के लिए भी विस्तृत योजना बना रहा है जिससे वह पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हो सकें। सहकारी समितियां खुद से जुड़ी हुई बस्तियों के लिए कच्चे माल खरीदने और उनके उत्पादन के विपणन के लिए जिम्मेदार होती हैं। यह समितियां प्रबंध्कीय कार्मिकों और कभी दीवालिया होने के कगार पर पहुंचने पर आर्थिक सहायता पाने के लिए गृह विभाग पर निर्भर होती हैं। अन्य परियोजनाओं के साथ ही विभाग अब इस बात की भी योजना बना रहा है कि रसायन आधरित खेती की जगह पर आर्गनिक और प्राकृतिक खेती का प्रचलन किया जाए।