०६ अक्तूबर, २०२२
लंदन। ब्रिटेन के किसी सत्तारूढ़ दल के सम्मेलन स्थल में पहली बार तिब्बत पर वार्ता आयोजित की गई। इसका आयोजन ब्रिटेन स्थित तिब्बत समर्थक दो बहन संगठनों- तिब्बत हाउस ट्रस्ट और तिब्बत कार्यालय द्वारा किया गया।
बर्मिंघम में सोमवार, ०३अक्तृबर २०२२को कंजर्वेटिव पार्टी सम्मेलन के ९०मिनट के फ्रिंज कार्यक्रम के दौरान ‘एक अनसुलझा संघर्ष- तिब्बत क्यों मायने रखता है (व्हाई तिब्बत मैटर्स- एन अनरिसोल्व्ड कंफ्लिक्ट)’ विषय पर चर्चा की गई। इस चर्चा में तीन प्रख्यात वक्ताओं में से प्रत्येक ने इंग्लैंड की सरकार और यहां के लोगों के लिए तिब्बत की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए एक विशिष्ट विषय पर ध्यान केंद्रित किया। इस चर्चा में अनेक सांसद, विधायक, शोधकर्ता और कार्यकर्ता दर्शक के तौर पर उपस्थित थे और बातचीत में हिस्सा लिया। तिब्बत कार्यालय, लंदन के सचिव लोचो समतेन ने सत्र का संचालन किया।
प्रतिनिधि सोनम फ्रैसी ने तिब्बत के भीतर वर्तमान दमनकारी स्थिति पर प्रकाश डालते हुए तिब्बतियों के मध्यम मार्ग दृष्टिकोण (एमडब्ल्यूए) को चीन-तिब्बत संघर्ष को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का आदर्श साधन बताया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से तिब्बत को चीन का हिस्सा मानने वाले २००८ के अपने बयान को वापस लेने की अपील की।
दूसरे वक्ता पूर्व लिबरल पार्टी के सांसद नॉर्मन बेकर थे, जिन्होंने गठबंधन सरकार के दौरान परिवहन मंत्री के रूप में कार्य किया था। वह लंबे समय से तिब्बत के कट्टर समर्थक और तिब्बत सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष हैं। तिब्बत सोसाइटी, स्वतंत्र तिब्बत में रहने वाले ब्रिटिश सरकार के पूर्व अधिकारियों द्वारा पश्चिम में स्थापित पहला तिब्बत समर्थन समूह है। बेकर परम पावन दलाई लामा से भी कई बार मिल चुके हैं। ब्रिटेन, चीन और तिब्बत के मुद्दों से अच्छी तरह वाकिफ होने के कारण बेकर ने २०वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिश सरकार के संबंध और तिब्बत के साथ द्विपक्षीय संधियों की ओर इशारा करते हुए अपनी बात की शुरुआत की, जिसमें चीन कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा था। उन्होंने गठबंधन सरकार के दौरान अपनी मंत्रिस्तरीय भूमिका में पीआरसी सरकार से निपटने के अपने व्यक्तिगत अनुभवों के बारे में भी बात की। दिलचस्प बात यह है कि बीजिंग द्वारा परम पावन दलाई लामा से मिलने को लेकर ब्रिटेन को ठंडे बस्ते में डालने के बाद चीन में ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले बेकर पहले व्यक्ति थे। उन्होंने चीन को इतना ज्यादा क्रोधित होते हुए महसूस किया कि ब्रिटिश सरकार बदले में कुछ भी प्राप्त किए बिना चीन सरकार को खुश करने के लिए झुक गई थी। इसके बाद २००८ में उपरोक्त स्थिति में बदलाव की स्थिति बनने लगी। उन्होंने ब्रिटिश संसद में तिब्बत मुद्दे को जीवित रखने के लिए तिब्बत पर ब्रिटिश सर्वदलीय संसदीय समूह के सह-अध्यक्ष, कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद टिम लॉटन और दक्षिणपंथी सांसद माननीय इयान डंकन स्मिथ और उनके जैसे अन्य जैसे कंजर्वेटिव सांसदों को भी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने एक अधिक सकारात्मक बात कहते हुए अपने वक्तव्य को समाप्त किया कि ज्वार हाल ही में ब्रिटिश सरकार द्वारा चीन के हिंकले परमाणु ऊर्जा स्टेशन और हुआवेई आदि पर पर प्रतिबंधों के माध्यम से पीआरसी पर कदम पीछे खींचने के लिए बाध्य किया जा रहा है। इसके साथ ही पहले के हालात बदल रहे हैं।
क्या चीन की सरकार में बड़े बदलाव के साथ वहां अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है, इस सवाल पर एमपी बेकर ने अपने मजबूत नेटवर्क और संगठनात्मक क्षमता के माध्यम से ऐसी स्थिति में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) की क्षमता पर विश्वास व्यक्त किया, जिसे उन्होंने भारत स्थित सीटीए की अपनी यात्रा के दौरान देखा था।
पेरिस के शोधकर्ता तेनज़िन चोएक्यी ने पूरी दुनिया के लिए तिब्बत के पर्यावरण की प्रासंगिकता और तिब्बती पठार पर घटते ग्लेशियरों और पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से वैश्विक समुदाय को होने वाले संभावित खतरों पर बड़ी शिद्दत से अपनी बात रखी।
यह आयोजन तिब्बत हाउस ट्रस्ट, ब्रिटेन के सचिव तेनज़िन ज़ायधन के धन्यवाद ज्ञापन के साथ समाप्त हुआ।
इससे पहले दिन में प्रतिनिधिमंडल ने पत्रक वितरित करके, सूचना स्टालों पर जाकर और सम्मेलन स्थलों पर अन्य कार्यक्रमों में भाग लेकर तिब्बत की पैरवी करने का पूरा प्रचार किया था। उन्होंने एमबीई एमपी टॉम तुगेंदत, राज्य सचिव (सुरक्षा) से मुलाकात कर उनका समर्थन मांगा और उन्हें धन्यवाद दिया।