२८ सितंबर, २०२२
टोक्यो। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने जापान की अपनी एक सप्ताह की आधिकारिक यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न की। २१सितंबर को नारिता हवाई अड्डा पहुंचने परप्रतिनिधि डॉ छेवांग ग्यालपो आर्य,तिब्बत कार्यालय के कर्मचारियों और स्थानीय तिब्बतियों ने पारंपरिक तिब्बती खता के साथ उनका स्वागत किया। जापान आगमन के पहले दिनसिक्योंग ने नागाटाचो में जापानी संसद भवन का दौरा किया, जहां ‘जैपनीज पार्लियामेंटरी ग्रुप फॉर तिब्बत’ के अध्यक्ष शिमोमुरा हकुबुन और सदस्यों ने संसद के सम्मेलन कक्ष में उनकी अगवानी की और उनका स्वागत किया।
जापान इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल फंडामेंटल्स के अध्यक्ष शिमोमुरा, वाइस चेयरमैन वतनबे और सकुराई योशिको ने सिक्योंग पेन्पा छेरिंगका स्वागत किया और उन्हें संसदीय समर्थक समूह के कामकाज से अवगत कराया। उन्होंने चीन-तिब्बत संघर्षों के समाधान के लिए उनके निरंतर समर्थन की भी पुष्टि की।
सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने जापानी सांसदों को पूरे दिल से समर्थन के लिए सभी तिब्बतियों की ओर से गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने परम पावन दलाई लामा के अच्छे स्वास्थ्य और उनकी चार प्रतिबद्धताओं के बारे में सांसदों को जानकारी दी, जिसका सांसदों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ समर्थन किया। सिक्योंग ने तिब्बती पठार के महत्व के बारे में चर्चा की और बताया कि यह कैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों और विश्व जलवायु को प्रभावित करता है। उन्होंने सांसदों को तिब्बत की वर्तमान स्थिति और कम्युनिस्ट चीन द्वारा तिब्बती पहचान, संस्कृति और भाषा को मिटाने की नापाक कोशिशों के बारे में भी ताजा जानकारी दी।
उन्होंने जापानी सांसदों से भी अमेरिकी कांग्रेस के समान प्रस्तावों को अपनाने और तिब्बत के लिए एक विशेष समन्वयक नियुक्त करने का आह्वान किया। इसके अलावा, सिक्योंग ने तिब्बती बस्तियों को जीवंत बनाने और मानव संसाधन के साथ ही भौतिक संसाधनों को बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता और सहयोग का अनुरोध किया।
जापानी सांसदों के साथ बैठक के बादसिक्योंग ने संसद भवन में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत शिंजो अबे के केबिन का दौरा किया और उनके चित्र के सामने खड़े होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी उनके लिए प्रार्थना की।
अगले दिन, सिक्योंग ने चिबा प्रान्त में दो प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों- चिबा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और रीताकू विश्वविद्यालय का दौरा किया, जहां उन्होंने छात्रों और संकाय सदस्यों को ‘अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में तिब्बत’ विषय पर व्याख्यान दिया। इसके अलावा, उन्होंने छात्रों के साथ बातचीत की और उनके द्वारा बनाए गए रोबोट का अध्ययन किया।
तीसरे दिन, सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने ‘तिब्बत, उग्यूरऔर दक्षिण मंगोलिया: ऑक्यूपायड नेशंस अंडर द सीसीपी, बिल्डिंग ए कॉमन ग्राउंड (तिब्बत, उग्यूरऔर दक्षिण मंगोलिया जैसे सीसीपी के कब्जे वाले देशों के बीच आम सहमति का निर्माण)’ विषयक एक संगोष्ठी में भाग लिया, जहां सिक्योंग मुख्य वक्ता थे। जापानी सांसदों, थिंक टैंक के सदस्यों, उग्यूर और दक्षिण मंगोलिया के प्रतिनिधियों और मीडिया के लोगों ने टोक्यो में बंक्यो सिविक सेंटर हॉल में आयोजित इस संगोष्ठी में उपस्थित रहे।
संगोष्ठी के बादसिक्योंग ने एक संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया, जहां जापान के बारह प्रमुख मीडिया संस्थानों के पत्रकारों और संवाददाताओं ने उनके साथ बातचीत की। उन्होंने मध्यम मार्ग के दृष्टिकोण और तिब्बती स्वतंत्रता की ऐतिहासिक वास्तविकता को स्पष्ट किया और तिब्बत की उसकी स्थिति का वर्णन किया।
चौथे दिन, सिक्योंग ने तिब्बत कार्यालय का दौरा किया और जापान में रह रहे तिब्बतियों से मुलाकात की। उन्होंने कशाग की नीति की व्याख्या की और तिब्बतियों से अनुरोध किया कि वे कम्युनिस्ट शासन के तहत पीड़ित अपने भाइयों और बहनों को न भूलें। उन्होंने उन्हें तिब्बती के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाने और तिब्बती पहचान को बनाए रखने की याद दिलाई।
दोपहर में, सिक्योंग सैतामा प्रिफेक्चर के लिए रवाना हुए और सैतामा मेडिकल यूनिवर्सिटी का दौरा किया, जहाँ विख्यात डॉ. मारुकी सेमेई के पोते डॉ. कियोयुकी मारुकी (एमडी) डॉक्टर हैं। दादा डॉ. मारुकी ने १९६०के दशक की शुरुआत में पहले पांच तिब्बती छात्रों और बीस तिब्बती नर्सों को शिक्षित करने में मदद की। मारुकी और उनकी चिकित्सा टीम ने चिकित्सा विश्वविद्यालय पर एक प्रस्तुति दी। सिक्योंग ने डॉ. मारुकी (एमडी) और सदस्यों को उनकी मदद और सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। इस दौरान डॉ.छेवांग निशिकुरा और डॉ. तामडिंग सेदाईजी भी टीम में शामिल रहे। बाद मेंसिक्योंग ने सैतामा में तिब्बतियों से मुलाकात की और उनके द्वारा आयोजित रात्रिभोज में भाग लिया।
पांचवें दिन, सिक्योंग ने जापान के बारह प्रमुख तिब्बत समर्थक समूहों के प्रतिनिधियों और सदस्यों के साथ मुलाकात की। उन्होंने उन्हें उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें तिब्बत की स्थिति और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की नीति से अवगत कराया। दोपहर में, सिक्योंग ने तिब्बत हाउस के समर्थकों, प्रायोजकों, स्वयंसेवी अनुवादकों और सहायकों से मुलाकात की। तिब्बत हाउस ने टोक्यो के अकबोनोबाशी में ताशी डेलेक रेस्तरां में सिक्योंग और स्वयंसेवकों के लिए रात्रिभोज का आयोजन किया।
छठे दिन, सिक्योंग ने कुछ महत्वपूर्ण अतिथियों और प्रायोजकों से मुलाकात की और उन्हें उन क्षेत्रों की जानकारी दी जहां तिब्बती प्रशासन को समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है। बाद में, सिक्योंग ने तिब्बत हाउस स्टाफ क्वार्टर का दौरा किया। एक सप्ताह की व्यस्त और फलदायी यात्रा पूरी करने के बाद ०७ तारीख की सुबह सिक्योंग दिल्ली के लिए रवाना हो गए। कोरोना वायरस महामारी संबंधी प्रतिबंधों के कारण, स्वागत समारोह और खाने-पीने के आयोजनों को कार्यक्रम से हटा दिया गया था।
यात्रा की प्रमुख उपलब्धि संसद सदस्यों के साथ बैठक करना और उनसे निरंतर सहायता और समर्थन का आश्वासन प्राप्त करना था। सिक्योंग ने जापान में तिब्बतियों के लिए प्रशिक्षण और रोजगार की स्थिति के बारे में पता लगाने के लिए कुछ नेताओं और प्रभावशाली लोगों के साथ अलग से मुलाकात की। सैतामा चिकित्सा विश्वविद्यालय जापानी भाषा के अच्छे जानकार तिब्बती नर्सों को लेने के लिए सहमत हो गया। एक जापानी भाषा स्कूल की स्थापना पर भी चर्चा की गई। समर्थक समूह के सदस्यों और सामान्य समर्थकों के साथ बैठक के दौरान तिब्बती मुद्दे के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और संचार को मजबूत करने में मदद मिली।
सांसद, विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य और समर्थक सिक्योंग पेन्पा छेरिंग के तर्कों और राजनयिक दृष्टिकोण से प्रभावित थेऔर उन्होंने तिब्बत मुद्दे पर अपने पूरे समर्थन का आश्वासन दिया। इसके अलावासंसद सदस्यों के साथ सिक्योंग की बैठक, शिंजो अबे के केबिन की यात्राऔर प्रेस कॉन्फ्रेंस की समाचार-पत्रों और स्थानीय मीडिया में अच्छी तरह से रिपोर्टिग की गई।