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१७ अगस्त २०२२
गुलामी के समकालीन रूपों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत (स्पेशल रिपोर्टियर) तोमोया ओबोकाटा द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन के झिंझियांग और तिब्बत में उग्यूर, कज़ाख और अन्य नस्लीय समूहों से जबरन श्रम करवाया जा रहा है।
अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन के अनुसार, स्पेशल रिपोर्टियर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त स्वतंत्र विशेषज्ञ हैं, जिन्हें विशेष संबंध, विशिष्ट देशों में मानवाधिकार स्थितियों और दुनिया भर में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर निगरानी करने, सलाह देने और सार्वजनिक रूप से रिपोर्ट करने का अधिकार है।
रिपोर्ट में कहा गया है,‘इसके अलावा जबरन श्रम के दौरान पीड़ित श्रमिकों पर प्रयोग की जाने वाली शक्तियों की प्रकृति और सीमा को देखते हुएअत्यधिक निगरानी, अपमानजनक जीवन और काम करने की स्थिति, नजरबंदी के माध्यम से आवागमन पर प्रतिबंध, धमकियों, शारीरिक और/या यौन हिंसा और अन्य अमानवीय या अपमानजनक स्थितियों सहितकई ऐसे उदाहरण हो सकते हैं जो मानवता के खिलाफ अपराध और दासता की श्रेणी में आते हैं। और इनके स्वतंत्र विश्लेषण की आवश्यकता है।‘
रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने दो प्रांतों- झिंझियांग में स्थानीय लोगों से जबरन श्रम करवाने के लिए अनिवार्य प्रणालियों को लागू कर रखा है। वहां व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से एक प्रणाली है जहां ‘अल्पसंख्यकों को हिरासत में लिया जाता है और काम पर रखा जाता है।‘ झिंझियांग में ‘श्रम हस्तांतरण के माध्यम से गरीबी उन्मूलन’ की एक विधि तैयार की गई है। यह विधि अधिशेष (सरप्लस) ग्रामीण मजदूरों को दोयम या तीसरे दर्जे के कार्य क्षेत्रों के काम में’ लगाती है।
रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि तिब्बत में भी इसी तरह की जबरन श्रम प्रणाली लागू की गई है ‘जहां एक व्यापक श्रम हस्तांतरण कार्यक्रम के तहत मुख्य रूप से किसानों, चरवाहों और अन्य ग्रामीण मजदूरों को कम-कुशल और कम वेतन वाले रोजगार में स्थानांतरित कर दिया गया है।‘
बीजिंग ने इन कार्यक्रमों को अल्पसंख्यकों के लिए उनकी आय बढ़ाने के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के तरीके के रूप में वर्णित किया है। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि झिंझियांग और तिब्बत में कई मामलों में ‘प्रभावित समुदायों द्वारा किए गए काम अनैच्छिक प्रकृति’ के है।
बीजिंग ने इन कार्यक्रमों को अल्पसंख्यकों के लिए उनकी आय बढ़ाने के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के तरीके के रूप में वर्णित किया है। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि झिंजियांग और तिब्बत में कई मामलों में “प्रभावित समुदायों द्वारा किए गए काम की अनैच्छिक प्रकृति” मौजूद है।
कुछ थिंक टैंक, अधिकार समूहों और अमेरिका ने हाल के वर्षों में चीन पर उग्यूरों से जबरन श्रम कराने का आरोप लगाया है। जून मेंअमेरिकी सरकार ने झिंझियांग से जबरन श्रम से संबंधित उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए उग्यूर जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम लागू किया।
बीजिंग लंबे समय से झिंझियांग में जबरन मजदूरी के आरोपों से इनकार करता रहा है और कहा है कि इस क्षेत्र में श्रम व्यवस्था केवल गरीबी उन्मूलन के लिए है और विभिन्न नस्लीय समूहों के लोग स्वतंत्र रूप से अपना काम चुन सकते हैं।
अमेरिका के आरोप
चीन पर कांग्रेस-कार्यकारी आयोग ने एक ट्विटर पोस्ट में कहा कि रिपोर्ट में ‘उग्यूरों, कजाखों और अन्य लोगों से कराए जा रहे जबरन श्रम की तुलना गुलामी के समकालीन रूप के तौर पर की गई है और सभी देशों से उग्यूर जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम के समान कानून बनाने की दिशा में उचित परिश्रम करने का आग्रह की जाती है।‘
वाशिंगटन स्थित उग्यूर ह्यूमन राइट्स प्रोजेक्ट (यूएचआरपी) ने ‘यूएन ऑफिस ऑन जेनोसाइड प्रिवेंशन’ से आग्रह किया कि ‘यूएन विशेषज्ञ की रिपोर्ट के आलोक में उग्यूरों और अन्य तुर्क लोगों की समस्या के समाधान का तुरंत आकलन करें और उचित सुझाव दें। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी सरकार की कार्रवाई दासता के बराबर हो सकती है जिसे मानवता के खिलाफ अपराध के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।‘
यूएचआरपी के कार्यकारी निदेशक ओमर कनाट ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र स्तर पर चीनी सरकार के खिलाफ मामला बनता जा रहा है।‘ संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और सदस्य देशों के लिए अब इन अत्याचारों की अनदेखी करना असंभव होता जा रहा है।‘
चीन की प्रतिक्रिया
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को ओबोकाटा की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने ‘अपने अधिकार का दुरुपयोग करने, विशेष प्रक्रिया की आचार संहिता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करने और चीन को बदनाम और कलंकित करने’ का काम किया है।
बीजिंग में एक संवाददाता सम्मेलन में वांग ने कहा, ‘पूर्व नियोजित स्पेशल रिपोर्टियर ने झिंझियांग के बारे में अमेरिका और कुछ अन्य पश्चिमी देशों और चीन विरोधी ताकतों द्वारा फैलाए गए झूठ और दुष्प्रचार पर ही विश्वास किया है।‘ उन्हें पता होना चाहिए कि झिंझियांग में ‘जबरन श्रम कभी नहीं कराया गया है।‘झिंझियांग में चीनी सरकार एक जन-केंद्रित विकास दर्शन का अनुसरण करती है और श्रमिकों के अधिकारों और हितों की रक्षा को बहुत महत्व देती है।‘
पिछले शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) में आयोजित एक समारोह मेंचीन के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत ने जबरन श्रम पर आईएलओ के दो मौलिक सम्मेलनों की पुष्टि की।
सोमवार कोवांग ने कहा कि चीन के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधिचेन जू ने आईएलओके महानिदेशक गाय राइडर को चीन द्वारा जबरन श्रम सम्मेलन द्वारा जबरन श्रम की पुष्टि करनेवाले और जबरन श्रम के उन्मूलन करनेवाले पारित प्रस्तावों की प्रति सौंपी।
वांग ने सोमवार को बीजिंग में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘जबरन श्रम उन्मूलन के क्षेत्र में वे सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कानूनी साधन हैं। चीनी सरकार लगातार जबरन श्रम के खिलाफ है। चीन की सरकार ने अपनी सहमति से दो सम्मेलनों का अनुसमर्थन पूरा कर एक बार फिर बेगार के विरोध और संघर्ष पर अपनी दृढ़ स्थिति स्पष्ट कर दी है।‘