tibet.net / रिपब्लिक वर्ल्ड
दलाई लामा की लद्दाख यात्रा के बाद चीन द्वारा तिब्बतियों पर नकेल कसने के मद्देनजर रिपब्लिक टीवी ने निर्वासित तिब्बती सांसद थुप्टेन ग्यात्सो से विशेष बात की। थुप्टेन ग्यात्सो ने विस्तार से बताया कि कम्युनिस्ट देश चीन लोगों के खिलाफ दमन क्यों तेज कर रहा था। थुप्टेन ग्यात्सो ने रिपब्लिक को बताया कि तिब्बती लोगों के खिलाफ चीनी दमन कोई नई बात नहीं है।चीन दलाई लामा को ‘दानव’ की तरह पेश कर रहा था, क्योंकि वह स्वतंत्र तिब्बत के जीवित प्रतीक के रूप में खड़े थे।
ग्यात्सो ने कहा,‘तिब्बती लोगों के प्रति चीनी सत्ता को बिल्कुल भरोसा नहीं है। वे घनघोर दमन का सहारा ले रहे हैं, और भारी संख्या में गिरफ्तारियां नियमित आधार पर की जाती हैं। दलाई लामा भारत सरकार के अतिथि हैं और इसीलिए भारत के विभिन्न क्षेत्रों में यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं। लद्दाख भारत का हिस्सा है, और वह वहां यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं। इसमें कोई मिलीभगत नहीं है। दुर्भाग्य से, तिब्बतियों का दमन और गिरफ्तारी १९४९ में चीनी कब्जे के बाद से हो रहा है। पिछले ७० वर्षों मेंहमें कठोर दमन का सामना करना पड़ रहा है।‘
उन्होंने आगे कहा, ‘यहां मुख्य मुद्दा परम पावन दलाई लामा द्वारा तिब्बत का प्रतिनिधित्व करना है। वह चीनी आक्रमण से पहले स्वतंत्र तिब्बत के जीवित प्रतीक हैं। परम पावन हिमालयी देशों और उन सभी क्षेत्रों में तिब्बतियों के संप्रभु और सर्वोच्च नेता हैं जहां तिब्बती बौद्ध धर्म अपनाया गया है। चीनी सरकार परम पावन के प्रभाव और ताकत को अच्छी तरह से जानती है। परम पावन चीन के भीतर भी बहुत सारे लोगों को आकर्षित करते है। यही कारण है कि चीन उन्हें बदनाम करने और उसके प्रभाव को कम करने की कोशिश करता रहा है। हालांकि परम पावन का एजेंडा सिर्फ लद्दाख जाना था।
पिछले हफ्ते चीनी पुलिस ने तिब्बती आध्यात्मिक नेता की तस्वीर रखने के लिए यूडॉन नाम की एक २०वर्षीया महिला को गिरफ्तार किया था। उन पर अपनी बहन जुमकर के साथ अपने घर में दलाई लामा की एक तस्वीर रखने का आरोप लगाया गया था। दलाई लामा की लद्दाख यात्रा के बाद क्षेत्र के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की मनमानी गिरफ्तारी देखी गई है।