समय Live, 24 नवम्बर 2012
तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने संपूर्ण मानव जाति से आह्वान किया कि वह 21 वीं सदी को शांति का युग बनाए.
दलाई लामा ने कहा कि शांति महज संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारित प्रस्तावों से नहीं आएगी बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर करुणा और भातृत्व की भावना से आएगी.
उन्होंने यहां शिवगिरि में ‘श्रीनारायण मठ के 80 वें वाषिर्क तीर्थ की संदेश उद्घोषणा’ को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के महज प्रस्ताव पारित करने से शांति नहीं आएगी. यह करुणा और दूसरों की भावनाओं के सम्मान से आएगी.
उन्होंने कहा कि 20 वीं सदी को हिंसा और रक्तपात की सदी के तौर पर वर्णित किया जा सकता है. यहां तक कि मानव के खिलाफ परमाणु हथियारों का भी इस्तेमाल किया गया था. इसलिए, इस सदी को शांति की अवधि बनाने के लिए प्रयास करना है. इस सदी को शांतिपूर्ण बनाने का एक अवसर है.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अच्छे प्रस्ताव शांति नहीं लाएंगे. करुणा खुशी का वैकल्पिक सोत है. दलाई लामा ने कहा कि 21 वीं सदी विकास की भी सदी है. खासतौर पर प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लेकिन प्रौद्योगिकी शांति नहीं लाएगी.
उन्होंने कहा कि भारत की ‘अहिंसा’ और धर्मनिरपेक्षता की परंपरा मौजूदा दुनिया में काफी प्रासंगिक है. उन्होंने कहा कि व्यक्तियों और देशों के बीच संबंध सिर्फ विश्वास के आधार पर बनाए जाने चाहिएं.
शिवगिरि मठ में संत एवं समाज सुधारक श्री नारायण गुरु की समाधि है जिन्होंने ‘एक जाति, एक धर्म और सभी लोगों के लिए एक भगवान’ का संदेश दिया था. मठ में 30 दिसंबर से एक जनवरी के बीच चलने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान काफी दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं.