दैनिक जागरण, 25 अप्रैल 2015
राकेश पठानिया, धर्मशाला
बीस साल से निर्वासित तिब्बत सरकार चीन से 11वें पंचेन लामा गेधून छयूकी नियमा की रिहाई की मांग कर रही है। रिहाई तो दूर, नियमा कहां हैं? किस हालात में है? इसकी भी जानकारी चीन ने नहीं दी।
वर्ष 1989 में दसवें पंचेन लामा छयूकी ग्यालसन के देहान्त के बाद 11वें पंचेन लामा की खोज के लिए दिल्ली में चीनी दूतावास के माध्यम से तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने तिब्बत की पवित्र झील ल्हामो लहात्सो में एक धार्मिक दल भेजने की इच्छा जाहिर की थी। जिससे इस अवतार की सही खोज हो सके, लेकिन चीन सरकार ने यह कहते हुए इसे अस्वीकार कर दिया कि किसी भी बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
करीब छह वर्ष बाद 11वें पंचेन लामा के रूप में दलाईलामा ने गेधून छयूकी नियमा को मान्यता प्रदान की थी। इसके बाद चीन ने नियमा को बंदी बना लिया। उस समय नियमा की आयु छह वर्ष थी। 25 अप्रैल, 1995 को जन्मे गेधून छयूकी नियमा को दलाईलामा ने 14 मई, 1995 को मान्यता दी और इसके तीन दिन के बाद ही नियमा को उसके माता-पिता सहित चीन ने गायब कर दिया। आज बीस वर्ष के बाद भी निर्वासित तिब्बत सरकार के लिए नियमा पहेली बने हैं।
कौन हैं पंचेन लामा
बौद्ध धर्म में पंचेन लामा अवतार की भूमिका बड़ी अहम है। पंचेन लामा का शाब्दिक अर्थ पंडित अर्थात महान विद्वान है। बौद्ध धर्म में पंचेन लामा को दूसरा बड़ा धर्मगुरु माना जाता है। इस पंचेन लामा के अवतार का सूत्रपात भी पांचवें दलाईलामा ने अपने कार्यकाल के दौरान 1385 में किया था। पांचवें दलाईलामा ने अपने गुरु को इस उपाधि से अलंकृत कर तशीलहुंपो बौद्ध मठ का स्वामित्व सौंपा था। इसके बाद से पंचेन लामा के अवतार की नई परंपरा शुरू हुई थी। बौद्ध धर्म के इन दोनों प्रमुख लामाओं को सूर्य व चांद के रिश्तों से देखा जाता है। क्योंकि दलाई लामा के अवतार में पंचेन लामा व पंचेन लामा के अवतार में दलाई लामा की भूमिका ही प्रमुख रहती है। दोनों की भूमिका गुरु और चेले के रूप में बदलती रहती है। यही वजह है कि जैसे ही दलाईलामा ने पंचेन लामा को मान्यता प्रदान की चीन ने गेधून को परिवार सहित ही गायब कर दिया।
चीन ने नोरबू को दी है मान्यता
चीन ने ग्यालसन नोरबू को पंचेन लामा के रूप में मान्यता प्रदान की है, जिससे की भविष्य में जब भी नए दलाईलामा को मान्यता का सवाल आए तो वह अपनी पसंद का दलाईलामा तिब्बतियों पर थोप सके।
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