मैकलोडगंज। सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्ति का फैसला ले चुके निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रमुख एवं बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने तिब्बती संसद की अपील को नामंजूर कर दिया है। शनिवार को दलाईलामा के निजी कार्यालय की ओर से आधिकारिक तौर पर दलाईलामा ने अपने फैसले पर अडिग रहने का फैसला सुनाते हुए संसद के प्रस्ताव को बैरंग वापस भेज दिया है। निर्वासित तिब्बती संसद ने बाकायदा त्रिस्तरीय कमेटी का गठन कर दलाईलामा के संन्यास लेने के फैसले पर विचार कर एक आग्रह पत्र धर्मगुरु को सौंपा था।
निर्णय वापस लेने का आग्रह किया था
लगभग 98 प्रतिशत तिब्बती सांसदों ने एक स्वर में दलाईलामा के इस फैसले को असंगत ठहराते हुए ज्ञापन में धर्मगुरु से सेवानिवृत्ति संबंधी उनका निर्णय वापस लेने का आग्रह किया था। निर्वासित तिब्बती संसद के स्पीकर पेंपा छेरिंग ने दलाईलामा द्वारा संसद के प्रस्ताव को नामंजूर किए जाने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि संसद अब रविवार को बजट सत्र के बीच एक अनौपचारिक बैठक बुलाएगी, जिसमें आगामी कार्यवाही को अंजाम दिया जाएगा। इसके लिए संसद को सत्र के दौरान अलग से समय देना होगा।
दलाईलामा ने तिब्बत के चार्टर के अनुच्छेद 37 को पूरी तरह से बदलने को कहा है। दलाईलामा ने कहा कि किसी भी देश की सत्ता पर किसी एक व्यक्ति के काबिज होने से उस देश की भलाई नहीं हो सकती। लिहाजा अब समय आ गया है कि वह सत्ता छोड़ें और भारत में निर्वासित लाखों तिब्बती एक चुनी हुई सरकार के साथ पूर्णतया लोकतांत्रिक माहौल में जी सकें। तिब्बत की जनता ने पहली बार 2001 में प्रधानमंत्री का चुनाव किया था। बकौल दलाई लामा मैं उसी वक्त से सेमी-रिटायरमेंट में था। अब वह तिब्बतियों के हित में तिब्बत की राजनीति से पूर्णतया संन्यास लेना चाहते हैं।
निर्वासित तिब्बती सरकार के चुनाव आज
दुनिया भर में रह रहे तिब्बती समुदाय के लोग 20 मार्च को अपने प्रधानमंत्री तथा सांसदों को चुनने के लिए मतदान करेंगे। इस बार प्रधानमंत्री की दौड़ में तीन प्रत्याशी हैं। समस्त स्थानों पर चुनाव आयोग तथा बूथ एजेंट मतगणना कर मंगलवार तक परिणाम केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (निर्वासित सरकार) के धर्मशाला स्थित कार्यालय में उपलब्ध करा देंगे। तीन माह बाद धर्मशाला से प्रधानमंत्री की घोषणा होगी। पूरे देश सहित विदेशों में तकरीबन 83 हजार शरणार्थी तिब्बती प्रधानमंत्री के उच्च पद के लिए अपनी पसंद के नेता का चुनाव करेंगे।
विश्व के प्रत्येक स्थानों पर जहां चुनाव संपन्न होंगे वहां स्थानीय चुनाव आयोग बूथ ऐजेंटों के साथ मिलकर मतगणना कर दो दिन बाद परिणाम धर्मशाला कार्यालय को उपलब्ध करा देगा। करीब तीन माह बाद विजयी प्रधानमंत्री को घोषणा की जाएगी जबकि 2 सितंबर को शपथ ग्रहण समारोह धर्मशाला में होगा। उत्तराखंड में नैनीताल, देहरादून तथा मसूरी समेत देश-विदेश में रह रहे तिब्बती रविवार को अपने-अपने मतों का प्रयोग करेंगे। तेनजिन नमज्ञाल (63), तशी वांगडू (63) और लोब्संग सेनगे (42) इस बार प्रधानमंत्री की दौड़ में हैं।
नैनीताल में चुनाव आयोग ने मतदान की समस्त तैयारियां पूरी कर ली हैं। सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक सुख निवास स्थित बौद्ध मठ में मतदान होगा। इसमें 18 वर्ष से ऊपर के समस्त तिब्बती हिस्सा ले सकते हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक एक व्यक्ति को एक प्रधानमंत्री तथा 10 सांसद चुनने का अधिकार होगा।
तिब्बती सांसद ने दिया इस्तीफा
निर्वासित कशाग (तिब्बती संसद) के एक सदस्य ने दलाईलामा की सेवानिवृत्ति को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच संसद से इस्तीफा दे दिया है। निर्वासित संसद ने सांसद का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। तिब्बती सांसद उग्येन तोपज्ञाल ने संसद में कहा कि वह धर्मगुरु दलाईलामा के आदर्शों का अनुसरण करते हुए राजनीति में आए थे। लेकिन अब धर्मगुरु ही सत्ता छोड़ रहे हैं तो उनका सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं। लिहाजा वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। तिब्बती संसद के स्पीकर पेंपा छेरिंग ने उग्येन तोपज्ञाल के इस्तीफे की पुष्टि की है।