हिमाचल दस्तक, 28 मार्च 2014
शिमला। आज से सौ साल पूर्व तीन जुलाई 1914 का शिमला में मैकमोहन समझौता हुआ था। जिसके बाद चीन की साम्राज्यवादी सरकार ने तिब्बत को अवैध तरीके से अपने अधीन कर लिया। मैकमोहन लाइन समझौते के सौ वर्ष के अवसर पर शुक्रवार को शिमला में हिमालय की सुरक्षा पर मंथन किया गया। हिमालयन कमेटी फाॅर एक्शन आॅन तिब्बत ने तिब्बत व हिमालय की सुरक्षा पर गहरी चिंता जताई। कमेटी ने इस बात का विरोध किया है कि मैकमोहन लाइन व इस समझौते का चीन सरकार बार-बार उल्लंघन कर रही है। इससे भारत की एकता एवं अखंडता के साथ एशिया में अशांति बरकरार है। हिमालयन कमेटी फॅार एक्शन आॅन तिब्बत के महासचिव भगत सिंह किन्नर ने कहा कि भारत एवं संपूर्ण हिमालय क्षेत्र की सुरक्षा के लिए तिब्बत समस्या का समाधान जरूरी है।
उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म गुरू दलाईलामा की प्ररेणा से चल रहे शांतिपूर्ण तिब्बती आंदोलन में सक्रिय भागीदारी समय की मांग हैं। भगत सिंह किन्नर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिब्बती आंदोलन के पक्ष में बढ़ते जा रहे समर्थन को निर्णायक संघर्ष तक ले जाना सबका नैतिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि चीन द्वारा भारत को अपमानित एवं कमजोर करने के निंदनीय षड्यंत्र निरंतर जारी है। ऐसे में हिमालयन कमेटी फाॅर एक्शन आॅन तिब्बत आने वाले समय में आंदोलन का रास्ता अपनाने को भी तैयार है। भगत सिंह किन्नर का कहना है कि जुलाई माह में मैकमोहन लाइन समझौते पर एक महा-सम्मेलन का आयोजन करने का भी प्रस्ताव है।