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जिनेवा। १३वें दलाई लामा द्वारा तिब्बती स्वतंत्रता की घोषणा के ऐतिहासिक दिन को याद करते हुए स्विस-तिब्बती समुदाय ने १३ फरवरी को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद कार्यालय के सामने धरना दिया।
इस अवसर पर तिब्बती समुदाय के सदस्य वहां एकत्र हुए और तिब्बत के ऐतिहासिक स्वतंत्र तथ्यों को उजागर करने के साथ ही तिब्बत पर चीन के निरंतर अवैध कब्जे का विरोध किया। इस अवसर पर उन्होंने तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज फहराया। प्रदर्शनकारियों ने तिब्बत में गंभीर स्थिति को दर्शाने वाले बैनर लिए हुए थे। इसके अलावा, ‘तिब्बत कभी चीन का हिस्सा नहीं था लेकिन मध्यम मार्ग एक व्यवहार्य समाधान है’ शीर्षक वाले बैनर के साथ समुदाय के सदस्यों ने तिब्बत के ऐतिहासिक तथ्यों और चीन के नियंत्रण में रह रहे तिब्बती लोगों की वर्तमान स्थिति के साथ बीजिंग के दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ठोस प्रयास करने का आह्वान किया।
तिब्बती समुदाय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, १३ फरवरी के इस अवसर को तिब्बत के ऐतिहासिक तथ्यों पर दोबारा गौर करने, बीजिंग के काले कारनामों को सफेद करने के लिए उसके द्वारा चलाए जा रहे प्रचार तंत्र का प्रतिरोध करने और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के उल्लंघन को उजागर करने के लिए किया।’ प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि भले ही चीन तिब्बत में अपने काले कारनामों को सफेद करने का कितना भी प्रयास करें, तिब्बती और तिब्बत समर्थक उसकी सच्चाई को उजागर करना जारी रखेंगे।
तिब्बत ब्यूरो के प्रतिनिधि छिमे रिग्ज़ेन, स्विट्जरलैंड और लिकटेंस्टीन के तिब्बती समुदाय के अध्यक्ष कर्मा छोहएक्यी और जिनेवा-सेक्शन प्रभारी त्सेसुत्सांग योंगा ने तिब्बती समुदाय की सभा को संबोधित किया। आयोजन के वक्ताओं ने तिब्बत के जमीनी ऐतिहासिक तथ्यों के साथ तिब्बत के न्यायोचित मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए समुदाय के सदस्यों के सामूहिक प्रयासों के समर्पण की सराहना की। स्विट्ज़रलैंड और लिकटेंस्टीन के तिब्बती समुदाय के उपाध्यक्ष तेनज़िन वांगडु ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।