कैनबरा। सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने आज २१ जून २०२३ को ‘चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने और क्षेत्र में शांति हासिल करने’ के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलियाई नेशनल प्रेस क्लब को संबोधित किया।
घंटे भर की बातचीत के दौरान सिक्योंग ने तिब्बत के अंदर चीनी सरकार के दमन, ग्रिड-लॉक सिस्टम, लामाओं के पुनर्जन्म को मान्यता देने के लिए खुद को अधिकृत करने वाले चीनी सरकार के ऑर्डर नंबर- ५, मठों में निगरानी, और तिब्बत के लोगों की तिब्बत के बाहर- अंदर की भी आवाजाही को प्रतिबंधित कर तिब्बत को जेल जैसा बना देनेवाली चीनी सरकार की नीतियों पर चर्चा की। उन्होंने तिब्बत की ऐतिहासिक रूप से स्वतंत्र स्थिति पर भी प्रकाश डाला और अंतरराष्ट्रीय सरकारों से आग्रह किया कि वे तिब्बत के इतिहास की उचित जानकारी के बिना चीनी सरकार की ‘तिब्बत चीन का हिस्सा है’ जैसे बयानों को न दोहराएं।
मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के माध्यम से चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने के लिए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की प्रतिबद्धता का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से तिब्बत स्वतंत्र था। सीटीए स्कॉटलैंड की तरह तिब्बतियों के लिए वास्तविक स्वायत्तता चाहता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक तिब्बत की ऐतिहासिक स्वतंत्र स्थिति को मान्यता नहीं दी जाती, तब तक चीन का हमसे बात करने का क्या उद्देश्य हो सकता है।‘
सिक्योंग ने बताया कि परम पावन दलाई लामा के उत्तराधिकार मामलों में चीनी सरकार का हस्तक्षेप पूरी तरह से १५वें दलाई लामा को नियंत्रित करने और प्रभावित करने की एक रणनीति है। ऐसा करके वह आगामी दलाई लामा के माध्यम से तिब्बती लोगों और बौद्ध देशों को नियंत्रित करना चाहता है। हालांकि, उन्होंने एक उदाहरण के तौर पर चीन द्वारा नियुक्त पंचेन लामा का उल्लेख किया कि कैसे चीन अपने पंचेन लामा को तिब्बतियों के बीच वैधता दिलाने में विफल रहा है।
उन्होंने स्कॉटलैंड और साउथ टायरॉल का उदाहरण देते हुए प्रेस क्लब के सदस्यों से सवाल भी पूछे और बताया कि स्वायत्तता से उनका क्या मतलब है। उन्होंने बताया कि यदि तिब्बतियों को इस प्रकार की स्वायत्तता दी जाती है तो वे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के संविधान के ढांचे के तहत रहने में प्रसन्न होंगे। उन्होंने कहा, ‘बात यह नहीं है कि कौन शासन करता है, बात यह है कि शासन की गुणवत्ता कैसी है।‘
ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू के एंड्रयू टिलेट ने सवाल पूछा कि क्या अंतरराष्ट्रीय मीडिया में तिब्बत मुद्दे की लोकप्रियता कम हो गई है। सिक्योंग ने जवाब दिया कि शांतिपूर्ण प्रतिरोध को हिंसक संघर्षों की तुलना में कम मीडिया कवरेज मिलता है और कहा कि हालांकि ऐसा होना नहीं चाहिए। उन्होंने आगे सूचना प्रवाह पर प्रतिबंध के बारे में बात की और बताया कि तिब्बत पर समाचारों की कमी का मतलब यह नहीं है कि तिब्बत के अंदर समस्याओं की कमी हो गई है।
एबीसी के स्टीफ़न डेज़िडज़िक ने सिक्योंग से चीन के साथ सीमा संघर्ष के बाद तिब्बत मुद्दे पर भारत के दृष्टिकोण में बदलाव के बारे में पूछा। सिक्योंग ने कहा कि चीन के साथ सीमा पर झड़पों के मद्देनजर भारत अपने लिए खड़ा है और कहा कि केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का भारत सरकार के साथ बहुत पारदर्शी संबंध है। ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ ऑकस और क्वाड जैसे नए गठबंधनों के गठन के साथ भारत यह कहते हुए और अधिक मजबूत रुख अपना रहा है कि यदि सभी क्षेत्रों से सैनिक नहीं हटेंगे तो संबंध सामान्य नहीं होंगे। मैं वास्तव में भारत की मजबूत स्थिति की सराहना करता हूं।
सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड के मैथ्यू नॉट ने सिक्योंग से पूछा कि क्या मानवाधिकारों के हनन के दोषी चीन पर प्रतिबंध लगाने के लिए ऑस्ट्रेलिया का आह्वान करना दोनों व्यापारिक साझेदारों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के लिए हानिकारक नहीं होगा? इस पर सिक्योंग ने उत्तर दिया कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार को सभी देशों के प्रति एक समान नीति रखनी चाहिए और छोटे देशों पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए, जहां ऐसा करना अधिक सुविधाजनक है। जबकि चीन जैसे बड़े देश सब कुछ करके बच निकलते हैं।
एसबीएस से पाब्लो विनालेस ने सिक्योंग से पूछा कि क्या चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों में ठहराव तिब्बत मुद्दे की कीमत पर आया है? सिक्योंग ने इसका जवाब देते हुए कहा कि जब बात चीन की आती है तो वह इससे जुड़ी संवेदनशीलता को समझते हैं, खासकर जब यह राष्ट्रीय हितों से जुड़ा हो। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में चीन की सक्रियता के कारण ही ऑस्ट्रेलिया ऑकस और क्वाड का हिस्सा बना है और ऑस्ट्रेलिया को भी खुद को संरक्षित करने की आवश्यकता है। इसलिए, उन्होंने चीन को सही दिशा में ले जाने के लिए साझेदारों के साथ रणनीतिक रूप से काम करने का सुझाव दिया।
सिक्योंग ने तिब्बती प्रतिनिधियों और चीनी अधिकारियों के बीच पिछली वार्ता और भविष्य की वार्ता के दृष्टिकोण पर सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने बताया कि परदे के पीछे चर्चाएं हो रही थीं, लेकिन मामले की संवेदनशीलता के कारण वह इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते।
सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड और द एज के मुख्य राजनीतिक संवाददाता और प्रेस गैलरी, एनपीसी के पूर्व अध्यक्ष डेविड क्रो ने इस कार्यक्रम का संचालन किया।
कार्यक्रम से पहले सिक्योंग ने एनपीसी के अध्यक्ष टिम शॉ और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मौरिस रीली से भी मुलाकात की।
इससे पहले आज सुबह, सिक्योंग ने ऑस्ट्रेलियाई रणनीतिक नीति संस्थान का दौरा किया, जहां उन्होंने तिब्बत के भू-राजनीतिक महत्व और तिब्बत के अंदर मौजूदा स्थितियों से संबंधित विषयों पर बात की। एएसपीआई कैनबरा स्थित एक स्वतंत्र और निष्पक्ष थिंक टैंक है, जिसका रणनीतिक नीति और रक्षा पर विशेष ध्यान है।
एएसपीआई के कार्यकारी निदेशक जस्टिन बस्सी ने सिक्योंग और प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और आगे जुड़ाव और ज्ञान साझा करने में वृद्धि की उम्मीद जताई।
सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) की मुख्य चिंताओं से संवाददाताओं को अवगत कराया और फिर भारत-तिब्बत सीमा विवादों और चीन द्वारा तिब्बत में तिब्बतियों की समस्यामूलक डीएनए प्रोफाइलिंग से संबंधित विषयों पर अधिक विस्तृत चर्चा जारी रखी। एएसपीआई के विषय विशेषज्ञों ने भी व्यापक विषयों पर सिक्योंग से प्रश्न पूछने का अवसर लिया। सिक्योंग ने तिब्बती परिप्रेक्ष्य और ज्ञान के बारे में जानकारियां प्रदान कीं। सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने एएसपीआई के महत्वपूर्ण कार्यों को स्वीकार करते हुए बैठक का समापन किया, और समान लक्ष्यों के लिए काम कर रहे ऑकस (ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूएस के बीच त्रिपक्षीय साझेदारी) और क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के बीच राजनयिक साझेदारी) जैसी चल रहे बहुपक्षीय गठबंधनों को लेकर अपनी आशावादी दृष्टिकोण को व्यक्त किया। साथ ही एएसपीआई और सीटीए के बीच आगे संबंध बनाने और सामूहिक रूप से काम करने की उम्मीद जताई।
सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने ऑस्ट्रेलियाई राजधानी कैनबरा में सांसद शाइनी न्यूमैन, सीनेटर डीन स्मिथ, तिब्बत के लिए ऑस्ट्रेलियाई सर्वदलीय संसदीय समूह के सह-अध्यक्ष सांसद ल्यूक गोसलिंग और सांसद सुसान टेम्पलमैन के साथ ऑस्ट्रेलियाई संसद में दोपहर की बैठक के साथ आधिकारिक कार्यक्रम को संपन्न किया। सिक्योंग आज शाम ऑस्ट्रेलियाई शहर मेलबर्न के लिए रवाना हो गए।