साओ पाउलो। तिब्बती लोगों द्वारा लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेता सिक्योंग पेन्पा छेरिंग का ०३ अक्तूबर कोसाओ पाउलो असेंबली में गर्मजोशी से स्वागत किया गया। वहां के राष्ट्रपति आंद्रे डो प्राडो और उपराष्ट्रपति गिल डिनुज़ ने उनका स्वागत किया। यहां की असेंबली में अंतरराष्ट्रीय संबंध समिति के सदस्यों-पाउला फियोरिलो (वर्कर्स पार्टी) और रुई अल्वेस (रिपब्लिकन) समेत स्टेट असेंबली के सदस्यों ने भी सिक्योंग को साओ पाउलो असेंबली की पहली औपचारिक यात्रा पर बधाई दी।
सिक्योंग के साथ आए प्रतिनिधिमंडल में तिब्बत-ब्राजील कार्यालय के प्रतिनिधि जिग्मे छेरिंग, स्टेट असेंबली के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में लॉन्गविडेड एक्सपो+फोरम के अध्यक्ष वाल्टर फेल्डमैन, सैंड्रा फर्नांडिस एरिकसन, रंगज़ेन स्थित टीएचबी के अध्यक्ष लामा रिनचेन ख्येनराब, टीएचबी के मोविमेंटो तिब्बती लिवरे-ब्रासिल और डैनियल सेरमेंटो शामिल थे। एक घंटे से अधिक समय तक चली बैठक के दौरान सिक्योंग ने तिब्बत की भू-राजनीतिक प्रासंगिकता को रेखांकित किया। उन्होंने इसके गहन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव और दुनिया भर में गूंजने वाले गंभीर पर्यावरणीय संकटों को संबोधित करने में इसकी अपरिहार्य भूमिका पर प्रकाश डाला।
सिक्योंग ने टिप्पणी की,’पश्चिमी लोग तिब्बत को दुनिया की छत कहते हैं। एशियाई देश तिब्बत को एशिया के जल मीनार के रूप में देखते हैं और चीनी शोधकर्ताओं सहित कई वैज्ञानिक अब तिब्बत को तीसरे ध्रुव के रूप में मानते हैं।‘ सिक्योंग ने इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि तिब्बत न केवल एक राजनीतिक मुद्दा है बल्कि पूरी दुनिया के लिए पर्यावरणीय चिंता का विषय है।
तीव्र जलवायु परिवर्तन के बारे में ब्राज़ील के प्रत्यक्ष अनुभव को ध्यान में रखते हुए सिक्योंग ने बताया कि ब्राज़ील वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन अनुभवों पर बोलने के लिए असाधारण रूप से बेहतर देश है। ब्राजील के अमेज़न के जंगलों में बार-बार लगने वाली आग से वहां की जलवायु स्थितियां काफी गंभीर है। उन्होंने अमेज़न वर्षावन और तिब्बती पठार दोनों के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया और विशेष रूप से अमेज़न वर्षावन में जलवायु परिस्थितियों के तिब्बती पठार पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रत्यक्ष सह-संबंधों की ओर इशारा किया।
सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने स्टेट असेंबली के नेतृत्व से चीन और चीनी निवेश के संबंध में नीतिगत निर्णय सावधानी पूर्वक और जिम्मेदारी के साथ लेने की अपील की। उन्होंने चीनी नेतओं के साथ बातचीत करते समय वैश्विक पर्यावरण सुरक्षा की वकालत करने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्होंने मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बनाए रखने में ब्राजील जैसे लोकतांत्रिक देशों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
सिक्योंग ने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तिब्बत के चीनीकरण की नीति के तहत तिब्बत के अंदर की तिब्बती पहचान खत्म होने की कगार पर है। उन्होंने बताया कि तिब्बतियों की भावी पीढ़ियों का चीनीकरण करने की साजिश के तहत लगभग दस लाख तिब्बती बच्चों को सरकार द्वारा संचालित औपनिवेशिक आवासीय स्कूलों में जबरदस्ती भेजा जा रहा है। सिक्योंग ने तिब्बत के अंदर की गंभीर स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘तिब्बत में कम से कम १५८ तिब्बतियों ने पिछले एक दशक से अधिक समय में आत्मदाह कर अपनी जान दे दी है। उन लोगों को इस बात की उम्मीद नहीं बची थी कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनके बचाव में आएगा। ‘इसके साथ ही सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और डेप्युटीज़ को अपने भव्य स्वागत के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि उनका यह दौरा तिब्बत के अंदर रह रहे तिब्बतियों में ‘आशा का शक्तिशाली संदेश’ बनकर गूंजेगा।
असेंबली के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने जटिल और लंबे समय तक चले चीन-तिब्बत संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए पूरे दिल से समर्थन व्यक्त करते हुए सिक्योंग को उनकी पहली यात्रा के लिए बधाई दी। असेंबली के अध्यक्ष ने कहा कि जन प्रतिनिधियों की सभा के रूप में असेंबली शांति, बातचीत से समस्या का समाधान और सभी प्रकार के दमन को समाप्त करने की वकालत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सिक्योंग ने प्रतिउत्तर में आभार व्यक्त किया और स्टेट असेंबली नेतृत्व और उसके प्रतिनिधियों को धर्मशाला आने का निमंत्रण दिया। बैठक के बाद सिक्योंग ने साओ पाउलो सिटी हॉल का दौरा किया और शहर के मानवाधिकार सचिव सोनिन्हा फ्रांसिन और जलवायु परिवर्तन के कार्यकारी सचिव गिल्बर्टो नतालिनी से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने साओ पाउलो विश्वविद्यालय में भाषण दिया। यह सिक्योंग पेन्पा छेरिंग की ब्राज़ील की पहली औपचारिक यात्रा थी। लैटिन अमेरिका दौरे के तहत उनका अगला कार्यक्रम कोलंबिया और मैक्सिको जाने का है।