(चीन सरकार कई रेहड़ी–पटरी वाले दुकानदारों की आय का एकमात्र स्रोत छीनने की कोशिश कर रही है।)
rfa.org / ०३ अप्रैल, २०२३
चीन सरकार ने शहरों को साफ करने के प्रयास में तिब्बत की राजधानी ल्हासा और उसके आसपास सड़क किनारे रेहड़ लगाने वाले दुकानदारों की वीडियो निगरानी और निरीक्षण बढ़ा दिया है। स्वायत्त क्षेत्र के अंदर के सूत्रों का कहना है कि यह उपक्रम असल में तिब्बती फेरीवालों को सड़कों से हटाने के लिए किया जा रहा है।
सूत्रों ने सुरक्षा कारणों से अपनी पहचान बताने से इनकार करते हुए कहा कि स्थानीय अधिकारियों ने २० मार्च को लगभग ५,६०,००० आबादी वाले शहर में ‘क्लीन अप ल्हासा’ मुहिम की शुरुआत की जिसमें वे जोखांग या छुगलगखंग मंदिर और उसके आसपास के सभी रेहड़ी वालों और फेरी वालों का निरीक्षण कर रहे हैं।
तिब्बती ल्हासा के बरखोर स्क्वायर में चार मंजिला बौद्ध मंदिर को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण मंदिर मानते हैं। क्षेत्र के एक तिब्बती ने कहा, ‘चीनी अधिकारी उन तिब्बती दुकानदारों को भी प्रतिबंधित कर रहे हैं जो जौ, शा-कम्पो, या सूखे याक, भेड़ के मांस और अन्य खाद्य पदार्थों से बने तिब्बती प्रधान भोजन छम्पा बेचते हैं, उनका आरोप है कि उनके पास भोजन बेचने का उचित बैज नहीं है।
उन्होंने रेडियो फ्री एशिया को बताया, ‘हालांकि चीनी सरकार कह रही है कि अभियान का उद्देश्य ल्हासा शहर को स्वच्छ रखना है, लेकिन कोई भी देख सकता है कि इस अभियान के तहत केवल तिब्बती दुकानदारों को निशाना बनाया जा रहा है।‘ सूत्र ने कहा कि अधिकारी तिब्बती रेहड़ी-पटरी वालों को तिब्बती गीतों की सीडी बेचना बंद करने के लिए भी कह रहे हैं और बिना किसी कारण के उनसे पूछताछ कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इससे उन तिब्बतियों को बहुत परेशानी हो रही है, जो सड़क पर अपना जीवन यापन करते हैं।‘
सघन निगरानी
चीन तिब्बत पर अपना फौलादी शिकंजा कस कर रखे हुए है। वह तिब्बतियों की राजनीतिक गतिविधियों और बौद्ध उपासक के रूप में सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करता है। तिब्बती अक्सर चीनी अधिकारियों द्वारा भेदभाव और मानवाधिकारों के हनन की शिकायत करते हैं और उनका कहना है कि चीन सरकार की नीतियों का उद्देश्य उनकी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान को मिटा देना है।
इससे पहले हाल में ही ल्हासा और अन्य प्रमुख शहरों में राजनीतिक रूप से संवेदनशील वर्षगांठ से पहले सुरक्षा उपायों में भारी वृद्धि की गई थी। इस दौरान पुलिस ने क्षेत्र के बाहर के लोगों के साथ संपर्क की जांच के लिए लोगों और उनके सेल फोन की बेतरतीब ढंग से जांच की। सरकार का यह नवीनतम इसके बाद ही आया है।
२०२१ में ‘सोशल स्ट्रक्चरेशन इन तिब्बतन सोसायटी: एजुकेशन सोसायटी एंड स्प्रिच्युलिटी’ शीर्षक से पुस्तक लिखनेवाले ग्याल लो ने कहा, ‘चीनी सरकार इन सभी अभियानों के द्वारा अंतत: तिब्बती भाईचारे को दर्शानेवाले प्रत्येक स्थान या व्यवसाय को मिटाना या खत्म करना चाहती है।‘ ल्हासा पुलिस की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक अधिकारियों ने क्लीन अप ल्हासा’ अभियान के तहत लगभग ३० रेहड़-पटरी वालों से पूछताछ की है और फेरीवालों पर लगातार नजर रख रही है। एक अन्य तिब्बती सूत्र ने कहा, ‘कुछ दुकानदार सामान बेचना जारी रखे हुए हैं क्योंकि यह उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है।‘
उन्होंने कहा कि चीनी अधिकारियों से भिड़ने की कोशिश करने वाले लोगों को हिरासत में लिया गया है, हालांकि गिरफ्तार किए गए लोगों के बारे में या उन्हें कहां रखा जा रहा है, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘चीनी सरकार इस तरह के अभियानों की आड़ में इनमें से कई तिब्बती दुकानदारों के आय का एकमात्र स्रोत छीनने की कोशिश कर रही है।‘ न्यूयॉर्क में रह रहे एक चीनी वकील जियांग जिओजी ने कहा, ‘अभियान का एक संभावित मकसद यह हो सकता है कि ल्हासा को पर्यटन केंद्र होने के मद्देनजर चीनी सरकार अपने उस दावे को बनाए रखना चाहती है कि उसने तिब्बत के आर्थिक विकास में सुधार किया है।
उन्होंने आरएफए को बताया, ‘वे नहीं चाहते कि पर्यटक सड़क पर तिब्बतियों को फेरी लगाते हुए देखें। वे यह दर्शाना चाहते हैं कि तिब्बती अच्छा और आर्थिक रूप से संतुष्ट जीवन जी रहे हैं।‘