देश बंधु, 2 मार्च 2014
चंडीगढ़ ! अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाल ही में तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के साथ मुलाकात पर चीन की आपत्ति को नजरअंदाज कर दिया। निर्वासित जीवन जी रहे दलाई लामा चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र आगे आए और तिब्बत की जटिल समस्या का समाधान करे।
तिब्बती निवार्सितों के सबसे बड़े एनजीओ तिब्बतन यूथ कांग्रेस (टीवाईसी) के नए अध्यक्ष तेनजिंग जिग्मे ने कहा है कि तिब्बत मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र को और ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने की जरूरत है।
10 मार्च को तिब्बत आंदोलन की 55वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 55 तिब्बती प्रदर्शनकारियों के जत्थे के साथ यात्रा कर रहे जिग्मे ने यहां आईएएनएस से कहा, “स्पष्ट कहा जाए तो अभी तक संयुक्त राष्ट्र ने अपना काम नहीं किया है। हम राष्ट्रपति ओबामा और दलाई लामा के बीच मुलाकात का स्वागत करते हैं, फिर भी इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र को और अधिक सक्रियता बरतनी चाहिए। क्योंकि उस पर ही तिब्बत मुद्दे को उचित तरीके से समाधान तय कराने की जिम्मेदारी है।”
यह कहते हुए कि राष्ट्रपति ओबामा और दलाई लामा के बीच जिस तरह की वार्ता हुई है उसका टीवाईसी स्वागत करता है, जिग्मे ने कहा, “अब आपको चीन को समीकरण में लाना होगा। सिर्फ समर्थन की बात कहने भर से तिब्बत का समाधान नहीं होने जा रहा। इस समस्या का समाधान तभी होगा जब वार्ता की मेज पर चीन के राष्ट्रपति जिंगपिंग, दलाई लामा और राष्ट्रपति ओबामा बैठें और वास्तव में सार्थक बातचीत हो।”
टीवाईसी तिब्बत की चीन से पूर्ण आजादी का पक्षधर है और दलाई लामा के मध्यमार्गी रुख से असहमति रखता है। संगठन का मानना है कि दलाई लामा चीन के साथ रहते हुए तिब्बत के लिए वाजिब स्वायत्तता चाहते हैं।
जिग्मे ने सवाल किया, “हम दलाई लामा के मध्यमार्गी रुख का सम्मान करते हैं। लेकिन हमारी विचारधारा पूर्ण आजादी के लिए है। जब दलाई लामा वहां थे तब तिब्बत मुद्दे का समाधान कर लेना चीन के हित में था। अभी तक चीन की सरकार ने कोई ईमानदारी नहीं दिखाई है तो हम उन पर कैसे भरोसा कर लें।”
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