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जेनेवा। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों कल 10 मार्च को यहां तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस की 61वीं वर्षगांठ के मौके पर ही आयोजित अपने 43वें नियमित सत्र में चीन और तिब्बत में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। जर्मनी, चेक गणराज्य, नीदरलैंड और 27 यूरोपीय देशों की ओर से यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने तिब्बत में मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए चीन का आह्वान किया।
दुनिया भर में मानवाधिकारों की स्थिति की ओर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का ध्यान आकृष्ट करते हुए जर्मनी के प्रतिनिधि ने चीन से झिंझियांग और तिब्बत में नागरिकों की ‘गैरकानूनी सामूहिक-हिरासत, यातना और राजनीतिक व धार्मिक अधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन’ को तुरंत समाप्त करने का आह्वान किया। जर्मनी ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयुक्त के चीन की ओर से मिले दौरा करने के निमंत्रण का स्वागत किया, और आशा व्यक्त की कि वहां मानवाधिकारों की आवश्यक शर्तें पूरी की जाएंगी।
चेक गणराज्य के प्रतिनिधि ने इस बात को उजागर किया कि चीन के ‘आर्थिक विकास का दावा अभी तक वहां मानव अधिकारों और कानून के शासन में प्रगति के साथ मेल नहीं खाता है।‘ अंतरराष्ट्रीय सामुदायिक की ओर से की जा रही मांग को ही दोहराते हुए चेक गणराज्य के प्रतिनिधि ने चीन से झिंझियांग या तिब्बत में कहीं भी ‘मानवाधिकारों पर सुनियोजित प्रतिबंधों को रोकने का आह्वान किया।‘ चेक प्रतिनिधि ने ‘सूचना तक पहुंच बनाने पर और स्वास्थ्य संकट के दौरान कम से कम नागरिक-पत्रकारों पर चीन के बढ़ते प्रतिबंधों पर चिंता व्यक्त की।‘
27 यूरोपीय देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले यूरोपीय संघ ने चीन के राजनीतिक पुनरू शिक्षा शिविरों, धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता पर व्यापक निगरानी और व्यवस्थित प्रतिबंधों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। आतंक निरोधक कानून के चीन में दुरुपयोग के बारे में बारह संयुक्त राष्ट्र विशेष प्रक्रियाओं के जनादेश धारकों द्वारा संयुक्त संचार की पुष्टि करते हुए यूरोपीय संघ ने संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं द्वारा पहले से उठाए गए चिंताओं के मुद्दों पर एक स्वतंत्र, उद्देश्यपूर्ण, निष्पक्ष और पारदर्शी मूल्यांकन का आह्वान किया। यूरोपीय संघ ने चीन से अपने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को बनाए रखने के लिए देश में और विशेष रूप से झिंझियांग और तिब्बत में अल्पसंख्यकों से संबंधित वयैक्तिक अधिकारों सहित मानवाधिकारों का सम्मान करने का भी आह्वान किया। यूरोपीय संघ ने आगे चीन को ताशी वांगचुक सहित सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को रिहा करने और संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त को वहां तक जाने देने की अनुमति प्रदान करने का आह्रवान किया।
नीदरलैंड के प्रतिनिधियों ने कहा कि नीदरलैंड साम्राज्य यूरोपीय संघ के बयान से पूरी तरह से सहमत है। नीदरलैंड चीन में धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता को लेकर, विशेष रूप से तिब्बती बौद्ध, मुस्लिम और ईसाइयों की धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता को लेकर चिंतित है। नीदरलैंड ने चीन को स्वतंत्र पर्यवेक्षकों, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त भी शामिल हैं, को सार्थक रूप से वहां जाने देने की अनुमति देने का आह्वान भी किया, ताकि जमीनी स्थिति का आकलन किया जा सके।
ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, फ्रांस, स्वीडन और इंग्लैंड सहित सभी सदस्य देशों ने चीन से अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने और संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त को वहां तक सार्थक पहुंच की अनुमति देने का आह्वान किया।