नोएडा। भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ), नई दिल्ली और शिव नादर यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा के शिव नादर इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हिमालयन स्टडीज ने परिसर में १३ सितंबर २०२३ को संयुक्त रूप से ‘विदेश नीति से परे तिब्बत (तिब्बत बियांड फॉरेन पॉलिसी)’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया।
.
सेमिनार में वक्ता के रूप में ग्रेटर नोएडा स्थित शिव नादर इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हिमालयन स्टडीज के प्रतिष्ठित फेलो, लेखक और तिब्बतविज्ञानी क्लॉउडे अर्पि और इंटरनेशनल तिब्बत नेटवर्क की वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. लोबसांग यांग्त्सो शामिल हुईं।
सेमिनार की शुरुआत शिव नादर इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हिमालयन स्टडीज के स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज के निदेशक डॉ. जबिन टी. जैकब की परिचयात्मक टिप्पणियों के साथ हुई। डॉ. जैकब ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आज की दुनिया में तिब्बत का अपना महत्व है और दुनिया को इसे समझने के लिए तिब्बत को विदेश नीति से परे देखने की जरूरत है।
क्लॉउडे अर्पि ने ‘तिब्बत अंडर चाइना: सेट अप एंड इंफ्रास्ट्रक्चर (चीन के अधीन तिब्बत: स्थापना और बुनियादी ढांचा)’ शीर्षक से अपनी प्रस्तुति दी। अपने संबोधन में उन्होंने १९५९ में चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे के बाद तिब्बत में नीतियों और विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने तस्वीरों का उपयोग करते हुए तिब्बत में चीन अपनाई जा रही नीतियों को सावधानीपूर्वक समझाया। तिब्बत में चीनी अधिकारियों का उद्देश्य तिब्बती संस्कृति को खत्म करना और तिब्बती रीति-रिवाजों को चीनी जीवन शैली में आत्मसात करने को प्रोत्साहित करना है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने तिब्बत में बुनियादी ढांचे के विकास पर चर्चा की, जिससे बहुसंख्यक हान चीनी बहुमत को फायदा होगा। जबकि तिब्बती पठार को मजबूत करने के चीन के प्रयासों से उसकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को रणनीतिक सैन्य लाभ भी मिलेगा। अर्पि की प्रस्तुति में सोशल मीडिया पर व्यापक निगरानी और चीनी अधिकारियों द्वारा दमनकारी निगरानी के साथ तिब्बत के अंदर तिब्बतियों की स्थिति पर प्रकाश डाला गया। हान चीनी निवासियों और लाखों हान पर्यटकों के तिब्बत में आगमन से तिब्बत की उभरती जनसांख्यिकीय संरचना ने तिब्बतियों को अपनी ही मातृभूमि में अल्पसंख्यक बना दिया है, जो तिब्बत के भीतर रहने वाली तिब्बती आबादी के लिए एक बेहद परेशान करने वाला मुद्दा है।
डॉ. लोबसांग यांग्त्सो ने ‘तिब्बत्स रिवर्स एंड इट्स सिग्निफिकेंस फॉर इंडिया (तिब्बत की नदियां और भारत के लिए इसका महत्व)’ विषय पर एक प्रस्तुति दी। इसमें उन्होंने तिब्बत से निकलने वाली और भारत और निचले देशों में बहने वाली प्रमुख नदियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की। उनकी प्रस्तुति तिब्बत में इन नदियों के दोहन और चीनी अधिकारियों द्वारा व्यापक खनन गतिविधियों पर प्रकाश डालती है, जो भारत और पड़ोसी देशों के लिए महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। डॉ. यांग्त्सो ने तिब्बत से निकलने वाली इन नदियों का भारत और अन्य पड़ोसी देशों के लिए महत्व पर प्रकाश डाला और तिब्बत की नदियों के पारिस्थितिकीय दोहन और विनाश से रक्षा के लिए सभी संबंधित देशों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की चर्चा कीं।
शोध पत्र प्रस्तुति सत्र के बाद सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हिमालयन स्टडीज में एसोसिएट फेलो डॉ. देवेन्द्र कुमार ने चर्चाकर्ताओं की टिप्पणियां प्रस्तुत कीं। इनमें क्लाउडे अर्पि और डॉ. लोबसांग यांग्त्सो द्वारा प्रस्तुत तथ्यों के अनुरूप ही तिब्बत के अंदर की वर्तमान स्थिति, विशेष रूप से सीमा पर गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया था।
सत्र के बाद प्रश्नोत्तर सत्र हुआ जहां वक्ताओं ने श्रोताओं, विशेषकर छात्रों के साथ विचारों का गहन आदान-प्रदान किया।
सेमिनार के अंत में आईटीसीओ नई दिल्ली के समन्वयक थुप्टेन रिनज़िन ने समापन भाषण दिया और ग्रेटर नोएडा स्थित शिव नादर इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हिमालयन स्टडीज के अमूल्य सहयोग के लिए सेंटर के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। सेंटर ने आयोजन की शानदार सफलता में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने अतिथि वक्ताओं को उनकी उत्कृष्ट प्रस्तुतियों के लिए धन्यवाद दिया। उनके शोध पत्रों में तिब्बत के विभिन्न आयामों और इसकी समकालीन प्रासंगिकता को स्पष्ट किया गया है।
श्री थुप्टेन ने इसके अलावा तिब्बती स्थिति को समझने और तिब्बती मुद्दे को समर्थन देने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने तीन प्रमुख पहलुओं पर जोर दिया- पहला भारत पर तिब्बत का ऐतिहासिक प्रभाव, दूसरा तिब्बत में चल रहे विकास का भारत पर प्रभाव और तीसरा तिब्बत से संबंधित मुद्दों का भविष्य में भारत पर अनुमानित प्रभाव।
सराहना के प्रतीक के रूप में भारत- तिब्बत समन्वय कार्यालय ने अतिथि वक्ताओं और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हिमालयन स्टडीज, शिव नादर इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस, ग्रेटर नोएडा के सदस्यों को सम्मानित किया।
सम्मेलन में धर्मशाला से तिब्बत संग्रहालय को भी आमंत्रित किया गया था, जहां उन्होंने परिसर में ‘भारत-तिब्बत संबंध’ शीर्षक से एक फोटो प्रदर्शनी का प्रदर्शन किया, जिसमें विश्वविद्यालय के छात्रों और संकायों की भीड़ उमड़ पड़ी।
नई दिल्ली स्थित भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय ने सम्मेलन के दौरान तिब्बत से संबंधित पुस्तकें भी वितरित कीं।