धर्मशाला। चीन के सिचुआन प्रांत में शामिल कर दिए गए कार्दजे तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर अंतर्गत लिथांग काउंटी के ग्योंगपा टाउनशिप निवासी ५६ वर्षीय प्रमुख तिब्बती भिक्षु की कथित तौर पर अज्ञात अस्वस्थता के कारण २६ जनवरी २०२३ को मृत्यु हो गई है। भिक्षु पिछले साल मार्च से पुलिस स्टेशन में हिरासत में बंद थे।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, गेशे फेंडे ग्यालत्सेन अक्सर अपने शिष्यों को धार्मिक शिक्षा देने में लगे रहते थे। वह लिथांग में शेड्रुब धारग्येलिंग मठ के जीर्णोद्धार में भी सक्रिय रूप से लगे हुए थे। मार्च २०२२ में उन्हें स्थानीय प्राधिकरण द्वारा काउंटी में दो पक्षों के बीच विवाद में मध्यस्थता करने पर मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया और कारावास की सजा सुनाई गई। प्राधिकरण ने उनके शव को ग्योंगपा में उनके पैतृक शहर में तो पहुंचाया, लेकिन तीन दिनों के लिए आंतरिक आवाजाही पर प्रतिबंध लगाकर लोगों को उनके अंतिम दर्शन से रोक दिया। कई दिनों के बाद शव को बीजिंग भेज दिया गया।
गेशे फेंडे ग्यालत्सेन का जन्म लिथांग काउंटी के ग्योंगपा टाउनशिप में हुआ था। वह १९८५ में बौद्ध तंत्र विद्या का अध्ययन करने के लिए भारत आए थे और दक्षिण भारत के बाइलाकुप्पे में सेरा मे मठ के पोमरा खंगत्सेन में गेशे की डिग्री प्राप्त की थी। उसके बाद, तिब्बत लौटने से पहले उन्होंने विद्वानों को तंत्र और ध्यान पर शिक्षा देने के लिए धर्मशाला, मनाली, दार्जिलिंग, भूटान आदि की लंबी आध्यात्मिक यात्राएं कीं।