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ब्रसेल्स। यूरोपीय संघ ने ब्रसेल्स में आयोजित यूरोपीय संघ-चीन मानवाधिकार वार्ता के ३८वें दौर के दौरान गैरकानूनी हिरासत, जबरन गायब करने, यातना और दुर्व्यवहार के मामलों पर चिंता व्यक्त की और चीन से मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन की जांच करने और इन उल्लंघनों को रोकने का आग्रह किया।
१७ फरवरी २०२३ को आयोजित एक दिवसीय बैठक में यूरोपीय संघ ने तिब्बतियों, उग्यूरों समेत धार्मिक, जातीय और भाषाई अल्पसंख्यकों की कमजोर स्थिति पर प्रकाश डाला और गो शेरब ग्यात्सो, रिनचेन सुल्ट्रिम और ताशी दोर्जे सहित तिब्बती कार्यकर्ताओं, लेखकों और धार्मिक नेताओं की तत्काल रिहाई का आह्वान किया।
उन्होंने तिब्बती क्षेत्रों, पूर्वी तुर्किस्तान, भीतरी मंगोलिया और हांगकांग में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और पत्रकारों पर कार्रवाई किए जाने को लेकर भी चर्चा की। वार्ता के अंत में यूरोपीय संघ द्वारा जारी प्रेस बयान में कहा गया कि बातचीत में यूरोपीय संघ और चीन दोनों में मानवाधिकारों पर विचारों का गहन आदान-प्रदान किया गया। इसने आगे कहा कि दोनों पक्षों ने मानवाधिकारों पर इस संवाद चैनल को फिर से शुरू करने का स्वागत किया।
प्रतिनिधि जेनखांग ने तिब्बती राजनीतिक कैदियों की तत्काल रिहाई का आह्वान करने और तिब्बत की स्थिति को लेकर चिंता जताने के लिए यूरोपीय संघ का स्वागत किया। यूरोपियन एक्सटर्नल एक्शन सर्विस में एशिया-पैसिफिक के उप प्रबंध निदेशक पाओला पंपलोनी और चीनी विदेश मंत्रालय में अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सम्मेलनों के लिए उप महानिदेशक सुन लेई ने चीनी जनवादी गणराज्य का प्रतिनिधित्व किया। झिंझियांग में मानवाधिकारों के हनन में शामिल चीनी अधिकारियों के खिलाफ यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों और यूरोपीय संसद के सदस्यों, अन्य व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ बीजिंग के जवाबी प्रतिबंधों के कारण यूरोपीय संघ और चीनी सरकार के बीच मानवाधिकार वार्ता २०१९ से रुकी हुई है।