वाराणसी । तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिनपोछे ने आज कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ (युएनओ) एक ऐसी संस्थां है जिससे तिब्बत के बारे में आशा करना बेकार है । श्री रिनपोछे ने यहां कहा कि तिब्बत की आजादी के मसले पर उससे बात करना व्यर्थ है। केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविधालय में पत्रकारों से अनौपचारिक वार्ता करते हुए श्री रिनपोछे ने कहा कि चीन अधिकृत तिब्बत में संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार हनन रोकने में असफल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि 21 वीं सदी में भी गैर प्रजातांत्रिक तरीके से चल रहा संघ एक निष्प्रभावी संस्था है । तिब्बत के हालात चिन्ताजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि 60 लाख की आबादी वाले तिब्बत में चीन ने औसतन हर सात नागरिक पर एक सैनिक तैनात कर रखे है। मानवाधिकार जैसे शब्द का वहां कोई महत्व नहीं है। श्री रिनपोछे ने कहा कि तिब्बती अपनी आजादी की मांग से पीछे नहीं हटे है। श्री रिपोछे ने कहा कि भारत अपनी सीमाओं में हो रहे अतिक्रमण को हल्के से ले रहा है। इस बारे में भारत को सोचना होगा । उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह चीन के राष्ट्रपति हू जिताओ से अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा की प्रस्ताविक मुलाकत में तिब्बत का भी मसला उठेगा । उन्होंने कहा कि निर्वासित तिब्बती सरकार का चुनाव आगामी 20 मार्च को होगा । विश्व भार में फैले 80 हजार मतदाता इसमें अपना प्रतिनिधि चुनेंगे।
यूनएओ से तिब्बत की आजीदी बात करना व्यर्थ रिनपोछे।
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