धर्मशाला। अप्रत्याशित रूप से पहली बार ऐसा हुआ कि केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के काशाग ने तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर 11 देशों, दस संसदों और ताइवान व चीन के 60 सदस्यीय चीनी बुद्धिजीवियों की एक ऐतिहासिक सभा बुलाई।
तिब्बत की राजधानी ल्हासा में साठ साल पहले इसी दिन तिब्बती भावना से प्रेरित हजारों तिब्बतियों ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वारा तिब्बत पर अवैध कब्जे के खिलाफ शांतिपूर्ण राष्ट्रव्यापी विद्रोह शुरू कर दिया। इसके बाद के दिनों और हफ्तों में चीनी सेना ने शांतिपूर्ण विद्रोह को बर्बरतापूर्ण तरीके से दबाया, जिसके परिणामस्वरूप दस हजार तिब्बतियों की मौत हो गई।
इस वर्ष तिब्बती जनक्रांति दिवस के 60वें स्मरणोत्सव पर परमपावन दलाई लामा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की सीट पर बोत्सवाना गणराज्य के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम डॉ सेरत्से इयान खामा, सांसदों के एक समूह और दुनिया भर से चीनी बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।
इससे पहले आज सीटीए के आधिकारिक समारोह में बोलते हुए मुख्य अतिथि और बोत्सवाना के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम सेरत्से खामा इयान खामा ने कहा, ‘आज यहां हमारी उपस्थिति इस तथ्य का प्रमाण है कि 10 मार्च को तिब्बती देशभक्त शारीरिक रूप से पराजित हो गए लेकिन तिब्बत मुक्ति के लिए आध्यात्मिक संघर्ष आज भी जारी है। यह संघर्ष तिब्बतियों के मन मस्तिष्क में न केवल घरेलू स्तर पर और निर्वासन में चल रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है।‘
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के मध्यम मार्ग दृष्टिकोण और तिब्बत में पर्यावरणीय संकट की गंभीरता पर ध्यान आकर्षित करने के लिए इसकी सक्रिय वैश्विक गतिविधियों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह तथ्य है कि तिब्बती संघर्ष, जैसा कि यह परमपावन दलाई लामा की शिक्षाओं और कूटनीति में परिलक्षित होता है, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के राजनीतिक दायरे में परिलक्षित होने के साथ-साथ अहिंसा और संवाद से युक्त मध्यम मार्ग दृष्टिकोण पर आधारित है, जो अंततः चीनी राज्य के साथ सामंजस्य बनाने के उद्देश्य से पेश किया गया है। यह वास्तव में उल्लेखनीय है कि तिब्बती लोगों ने हमेशा चीनी अतिवाद को सहन किया है- माओ के शासन में भी और माओ के बाद के युग में भी।‘
उन्होंने कहा, ‘मैं इस तथ्य का स्वागत करता हूं कि केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने अपनी जिम्मे्दारी का पूर्णरूपेण निर्वाह करते हुए पर्यावरणीय मुद्दों पर सक्रिय रूप से विश्व समुदाय को दस सूत्रीय कार्यक्रम दस्तावेज़ के माध्यम से जोड़ा है। यह दस्तावेज संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समुदाय और साथ ही चीनी सरकार से आग्रह करता है कि वह मानवता के कल्याण के लिए रक्षा उपायों पर ध्यान केंद्रित करे और ‘दुनिया की छत’ के रूप में स्थित तिब्बत को बचाने का प्रयास करे।‘
पूर्व राष्ट्रपति ने 2017 में प्रस्तावित परमपावन दलाई लामा की बोत्सवाना की यात्रा पर धमकी देने के लिए चीन को कड़ी फटकार भी लगाई। हालांकि परम पावन की यह यात्रा नहीं हो सकी थी।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि बीजिंग के शासन को अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर बुनियादी स्वतंत्रता को दबाने की शक्ति और वैधता हो सकती है, लेकिन उन्हें दक्षिण चीन सागर में अवैध क्षेत्रीय दावे करने और अपनी सीमाओं के बाहर उसी तरह के दमनकारी उपायों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।‘
उन्होंने कहा, ‘मैं यह इस कारण से कह रहा हूं कि 2017 में जब मैं बोत्सवाना का राष्ट्रपति था, तब हमने चीनी सरकार की इस धमकी में आने से इनकार कर दिया था कि अगर हम बोत्सवाना में प्रवेश करने से परमपावन दलाई लामा को नहीं रोक सके तो अंजाम बुरा होगा।
उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा, ‘दुर्भाग्य से हमारे नीतिगत फैसलों के बावजूद परमपावन दलाई लामा सभा में शामिल नहीं हो पाए। इससे क्षेत्र और क्षेत्र के बाहर के सम्मानित प्रतिभागियों को निराशा भी हुई।‘
आगे फटकार लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘इसलिए यह कुछ लोगों के इस तर्क को गलत साबित कर देता है कि जो मानते हैं कि दूसरों को उसकी मौजूदगी से वंचित करके उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।‘
‘इस तरह दलाई लामा को अफ्रीका में आने से रोकने के लगातार प्रयासों से हमारे पूरे महाद्वीप में उनकी प्रतिष्ठा में काफी इजाफा ही हुआ है।‘
तिब्बत के लोगों के लिए आशा के संदेश के साथ अपना संबोधन समाप्त करते हुए महामहिम ने कहा, ‘जब आपका खुद का संघर्ष लंबा और दर्दनाक रहा है तो आप इस तथ्य को आत्मसात कर सकते हैं कि आप अपराजित हैं।‘ मन से तो आप पहले से ही आजाद हो चुके हैं। इस तरह की मानसिकता और आपके सामूहिक दृढ़ संकल्प की शक्ति के कारण आपकी जीत अंततः निश्चित है।‘
‘संघर्ष जारी है, लेकिन जीत निश्चित है और सत्ता हमारी है।‘
तिब्बती लोगों द्वारा लोकतांत्रिक रूप से चुने गए राष्ट्रपति डॉ लोबसांग सांगेय ने पिछले 60 वर्षों में चीन द्वारा तिब्बती लोगों के क्रूर दमन और तिब्बती भाषा, संस्कृति, विशिष्ट पहचान और आध्यात्मिक रिवाजों पर नकेल कसने के लिए चीन की जोरदार निंदा की।
उन्होंने कहा, ‘संक्षेप में, चीन जान-बूझकर तिब्बती सभ्यता को इस धरती से मिटाने पर अमादा है।‘ उन्होंने कहा, ‘तिब्बत में 60 वर्षों से चले आ रहे दमन को समाप्त करने के उपाय खोजने के बजाय, चीन सरकार एक ‘जीरो और 100 रणनीति’ के साथ सामने आई है। इस नई रणनीति के तहत, अंतरराष्ट्रीय मीडिया और निर्वासित तिब्बतियों के समाचारों को तिब्बत में आगमन को पूरी तरह से रोक देना और तिब्बती निर्वासितों व दुनिया को तिब्बत के बारे में सौ प्रतिशत सरकारी प्रचार भेजने रहना शामिल है। इसलिए, हमें सतर्क रहना चाहिए।
अपने देश के पुरुषों और महिलाओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘दुनिया भर में फैले मेरे तिब्बती भाइयों और बहनों, हम इतिहास के सबसे बुरे दौर में रहने के बावजूद, एकता के साथ एक साथ खड़े हुए हैं और सभी बाधाओं के खिलाफ कई महान चीजें हासिल की हैं। पिछले छह दशकों में हमारी यात्रा आशा, सौहार्दता और प्रतिरोध की भी रही है।‘
उन्होंने ‘थैंक यू ईयर’ को सफल वार्षिक समारोह के रूप में चिह्नित किया और डॉ सांगेय ने अंतरराष्ट्रीय मित्रों और समर्थकों को इसके लिए धन्यवाद दिया। इनमें तिब्बत समर्थक समूहों का ‘अजेय समर्थन’ शामिल था। उन्होंने 54 विभिन्न देशों में गठित तिब्बत सहायता समूहों (टीएसजी) की प्रशंसा की, इनमें 40 देशों ने संसदीय समर्थक समूहों का गठन किया है। जापान ने सबसे बड़े सर्वदलीय संसदीय तिब्बत समर्थक समूह गठित किया है जिसमें जापानी संसद के 90 सदस्य शामिल हैं। चेक संसदीय समूह यूरोप में सबसे बड़ा है जिसमें चेक संसद के दोनों सदनों- चैंबर ऑफ डेप्युटी और सीनेट से 50 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हैं।
तिब्बती मुक्ति संग्राम को बनाए रखने और इसे सफल बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रपति ने समारोह में आधिकारिक रूप से 2019 को ‘प्रतिबद्धता का वर्ष’ घोषित किया।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि तिब्बत का मुक्ति संग्राम आगे बढ़ रहा है, काशाग ने आज आधिकारिक तौर पर 2019 को ‘प्रतिबद्धता का वर्ष’ घोषित कर दिया है। मैं दुनिया के स्वतंत्रता-प्रेमी लोगों से तिब्बत में उत्पीड़न को समाप्त करने और असुरक्षा के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध होने का आह्वान करना चाहता हूं। तिब्बती लोगों को हर जगह न्याय के लिए संघर्ष करने की अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखना चाहिए। आइए हम अपनी सौहार्दता को मज़बूत करते रहें ताकि हम तिब्बत में अपने भाइयों और बहनों के साथ आज़ादी में एकजुट हो सकें। आइए हम पोटाला पैलेस में परमपावन 14वें दलाई लामा की वापसी के लिए प्रतिबद्ध हों- जहाँ रहने के वे अधिकारी हैं।‘
इस यादगार समारोह में बोलने वाले अन्य विशिष्ट अतिथियों में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में भारतीय संसद के सदस्य माननीय श्री शांता कुमार, जर्मन बुंडेस्टैग के सदस्य श्री माइकल ब्रांड, यूरोपीय संसद के सदस्य श्री थॉमस मान, तिब्बत इंटरेस्ट- ग्रुप के अध्यक्ष, अल्बर्टा के संसद के सदस्य और कंजर्वेटिव पार्टी ऑफ कनाडा के प्रतिनिधि श्री गार्नेट जेनुउंस, स्लोवाक नेशनल काउंसिल की उपाध्यक्ष श्रीमती लूसिया ड्यूरिस निकोलसनोवा, ताइवान की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की सांसद सुश्री मेई नु यू, दक्षिण अफ्रीका की डेमोक्रेटिक एलायंस की सांसद सुश्री सैंडी कल्याण, पेरू की लिबरल पार्टी की सांसद श्री अल्बर्टो डी बेलांडे और सिटीजन पावर इनिशिएटिव फॉर चाइना की सुश्री एंटोनेला इंसेरी और डॉ यांग जियानली शामिल थे।