जागरण, 15 दिसंबर 2013
कार्यालय संवाददाता, धर्मशाला : दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति एवं अहिंसा के प्रबल समर्थक दिवंगत नेल्सन मंडेला की अंत्येष्टि में तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा शरीक नहीं होंगे। रविवार को दक्षिण अफ्रीका में होने वाली अंत्येष्टि में दुनियाभर के नामी लोग उपस्थिति दर्ज करवाएंगे, लेकिन परमपावन इससे दूरी बनाए रखेंगे।
हालांकि दलाईलामा पहले कई बार मंडेला से मिलने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं, लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों ने उनके कदम रोक दिए हैं। मंडेला काफी समय से बीमार चल रहे थे। ऐसे हालात में भी दलाईलामा ने उनके स्वास्थ्य कामना के लिए प्रार्थना की, लेकिन दक्षिण अफ्रीका जाना संभव नहीं हो पाया। परमपावन ने निस्संदेह दक्षिण अफ्रीका में चीन के हस्तक्षेप के चलते ऐसा किया है।
2011 में नोबेल पुरस्कार विजेता डेसमंड टुटु ने दलाईलामा को अपने जन्म दिन पर शरीक होने का विशेष निमंत्रण दिया था। इसके लिए उन्होंने वीजा आवेदन किया था, लेकिन चीन सरकार के दवाब के कारण दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने इसे देने से इन्कार कर दिया। इस कारण उनका दक्षिण अफ्रीका दौरा रद हो गया था। इस प्रकरण के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब हल्ला मचा था। बाद में डेसमंड टुटु ने मैक्लोडगंज आकर दलाईलामा से मिलकर दक्षिण अफ्रीका सरकार की कार्यप्रणाली पर खेद जताया था। इस बार किसी तरह का विवाद न हो, इसी कारण उन्होंने दक्षिण अफ्रीका न जाना ही ठीक समझा। इस मसले पर उन्होंने किसी तरह की टिप्पणी नहीं की है, लेकिन उनके न जाने का कारण यही दिख रहा है।
वहीं, निर्वासित तिब्बत सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री एवं दलाईलामा के करीबी सामदोंग रिपोंछे का कहना है कि नेल्सन मंडेला दलाईलामा के मित्र थे, लेकिन वह पहले भी इस तरह के आयोजनों में भाग नहीं लेते हैं। संभवत: उन्होंने दक्षिण अफ्रीका जाने के लिए वीजा आवेदन नहीं किया था।