तिब्बतनरिव्यू्.नेट, 23 अक्तूबर, 2018
इंडिया टूडे की 22 अक्तूबर की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने कहा है कि उसने 22 अक्तूबर को भारत के साथ द्विपक्षीय चर्चा के दौरान भारत के गृह राज्यमंत्री श्री किरेन रीजिजू की उपस्थिति का विरोध किया था, जबकि रीजिजू ने इस तरह के किसी विरोध के बारे में जानकारी से इनकार कर दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, रीजिजू शुरुआत में आंतरिक सुरक्षा पर वार्ता के लिए गठित प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। यह वार्ता गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में गठित भारतीय प्रतिनिधिमंडल और चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री झाओ के नेतृत्व में गठित टीम के बीच होनी थी। लेकिन चीनी पक्ष के आग्रह पर रीजिजू का नाम हटा दिया गया था।
लेकिन बाद में सिंह और झाओ के बीच एक गोपनीय वार्ता चल रही थी तो राज्यमंत्री को प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता में भाग लेने के लिए बुलाया गया था। वह दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने में भी शामिल थे। रिपोर्ट में ‘इस विकास पर गुप्त स्रोत’ के हवाले से यह बात कही गई है।
एक चीनी स्रोत को उद्धृत करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमने इस व्यवस्था का विरोध करने के लिए मजबूत और ठोस पक्ष रखा है और और इस गलत कदम को सुधारने के लिए कहा है।’
हालांकि, रिपोर्ट ने भारतीय गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता के हवाले से कहा है कि चीनी पक्ष की ओर से किसी भी विरोध की जानकारी नहीं है। प्रवक्ता को कहते बताया गया है, ‘मुझे चीनी पक्ष द्वारा व्यक्त किसी भी नाराजगी के बारे में पता नहीं है।’
रीजिजू सीमावर्ती राज्या अरुणाचल प्रदेश से हैं, जिसे चीन एक ‘विवादित’ क्षेत्र और तिब्बत के एक हिस्से के रूप में अपने शासन के तहत मानता है। चीन राज्य के लोगों को नियमित वीजा जारी नहीं करता है। असल में इसने पहले राज्य के लोगों को कोई वीजा जारी करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वे चीनी नागरिक हैं और उन्हें चीन जाने के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद में भारत की आपत्तियों को देखते हुए नियमित वीजा के बजाय उनके पासपोर्टों के साथ नत्थी वीजा जारी करना शुरू कर दिया।