tibet.net, २६ जुलाई २०२१
२४ जुलाई २०२१, मेरठ। भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम), मेरठ प्रांत ने २४-३१ जुलाई २०२१ तक प्रकृति संरक्षण सप्ताह के उपलक्ष्य में २३ जुलाई की शाम को ‘सावन महीने में भगवान शिव की पूजा और कैलाश-मानसरोवर मुक्ति संकल्प’ विषय पर पहला वेबिनार आयोजित किया। वेबिनार में अतिथि वक्ताओं में भारत-तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वामी दिव्यानंद जी महाराज, भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय, दिल्ली के समन्वयक श्री जिग्मे त्सुल्ट्रिम और भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम), मेरठ प्रांत के अध्यक्ष डॉ संदीप चौधरी शामिल थे।
वेबिनार को संबोधित करते हुए श्री जिग्मे त्सुल्ट्रिम ने सदियों पुराने भारत-तिब्बत संबंधों और उनके महत्व के बारे में जानकारी दी। उन्होंने तिब्बत मुक्ति साधना के लिए लंबे समय से काम कर रहे विभिन्न भारत-तिब्बत समर्थक समूहों और तिब्बती मुद्दों के लिए इन सभी समूहों के साथ समन्वय स्थापित करने में भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय की भूमिका के बारे में जानकारी दी। उन्होंने आगे भारत और तिब्बत दोनों के लिए कैलाश-मानसरोवर के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि तिब्बत के लिए प्रकाश भारत की भूमि से ही निकलेगा।
स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने अपने संबोधन में भगवान शिव और कैलाश-मानसरोवर के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत और एशिया की चार प्रमुख नदियों- सिंधु, सतलुज, गंगा और ब्रह्मपुत्र का उद्गम मानसरोवर झील का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भारत-तिब्बत सहयोग मंच की मुख्य प्रतिज्ञाओं में से एक कम्युनिस्ट चीन के फौलादी कब्जे से कैलाश- मानसरोवर को मुक्त कराना है।
डॉ. संदीप चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और तिब्बत के लिए मुख्य समस्या कम्युनिस्ट चीन है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम सभी को चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने का कठोर संकल्प लेना चाहिए, जो परोक्ष रूप से भारत पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत-तिब्बत सहयोग मंच इस मुद्दे पर बातचीत और क्रियाकलापों में आगे बढ़ रहा है और तिब्बत मुक्ति साधना के कार्य को तब तक जारी रखेगा जब तक तिब्बत को आजादी नहीं मिलती और कैलाश-मानसरोवर कम्युनिस्ट चीन से मुक्त नहीं हो जाता।
अंत में, वेबिनार के मेजबान भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम), मेरठ प्रांत के उपाध्यक्ष श्री नीरज करण सिंह ने सभी को कैलाश-मानसरोवर को मुक्त कराने के लिए एक ‘श्रावण संकल्प’ लेने के लिए प्रेरित किया, जिसमें कहा गया है कि, ‘आज श्रावण के महीने में गंगाजल से भगवान शंकर का अभिषेक करते हुए मैं यह संकल्प लेता हूं कि मैं भगवान शिव के निवास कैलाश-मानसरोवर को चीन के प्रभुत्व से मुक्त कराने का भरसक प्रयास करूंगा। मैं इस दिशा में हरसंभव प्रयास में सहयोग करूंगा। भगवान शंकर मुझे इस संकल्प को पूरा करने की शक्ति दें।’