जयपुर। 25 और 26 जनवरी 2020 को जयपुर में आयोजित चिंतन बैठक में 41 राज्यों के 66 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक का प्रमुख विषय तिब्बत के मुद्दे के समाधान के संबंध में प्रभावी उपायों और कार्यक्रमों की तलाश करना था।
5 मई 1999 को परम पावन दलाई लामा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक स्वर्गीय सुदर्शन जी के आशीर्वाद से श्री इंद्रेश कुमार ने इस संगठन को ‘तिब्बत की आजादी- भारत की सुरक्षा और कैलास-मानसरोवर की मुक्ति’ नारों के साथ जोड़ा। इस आयोजन में संगठन के 20 साल के सफर पर चर्चा हुई। संगठन की शुरुआत कुछ चुनिंदा सदस्यों से हुई थी जो अब बढ़कर भारत के 382 जिलों के 5000 से अधिक सक्रिय सदस्यों तक फैल गया है।
कार्यक्रम में पंजाब सरकार के पूर्व परिवहन मंत्री मास्टर मोहन लाल, आरएसएस की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार, केंद्रीय कार्यकारी सदस्य, भाजपा के राजस्थान के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री अशोक परनामी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री सतीश पूर्णिया, भारत-तिब्बत सहयोग मंच के कार्यकारी अध्यक्ष सरदार हरजीत सिंह गरेवाल और मंच के राष्ट्रीय महासचिव पंकज गोयल ने संबोधित किया।
श्री इंद्रेश कुमार ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि उन्होंने 20 साल में जो कुछ हासिल किया है, उस पर करीबी समन्वय बनाकर काम करें और इस संबंध में और क्या किया जा सकता है, इसकी पहचान करें। उन्होंने पिछले 20 वर्षों में मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रमों को याद किया। इनमें 2012 में मात्र छह सदस्यों की भागीदारी से आयोजित की गई तवांग यात्रा अहम थी जो 2019 में बढ़कर 460 सदस्यों से साथ हुई थी।
यह बैठक जयपुर के बाहरी इलाके में सूरजपोल के पास अरिहंत वाटिका में आयोजित की गई थी। बैठक की आयोजन समिति के प्रमुख बीटीएमएस के राज्य अध्यक्ष सौरब सारस्वत थे।