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नई दिल्ली। तिब्बती शहीदों की याद तथा उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दुनिया भर के तिब्बतियों और तिब्बत समर्थकों ने १० मार्च २०२२ को तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की ६३वीं वर्षगांठ मनाई। तिब्बत पर कम्युनिस्ट चीन के अवैध कब्जे के खिलाफ १९५९ में तिब्बत की राजधानी ल्हासा में तिब्बतियों द्वारा शांतिपूर्ण आंदोलन किया था। भारत में तिब्बत समर्थक समूहों ने इस दिवस पर तिब्बती शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की और कम्युनिस्ट चीनी सरकार के विरोध में विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया था।
झारखंड के हजारीबाग में भारत-तिब्बत मैत्री संघ ने ६३वां तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस मनाई, जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व विधेयक श्री महावीर लाल विश्वकर्मा और कई तिब्बत समर्थक उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज के क्षेत्रीय संयोजक श्री सुदेश कुमार चंद्रवंशी ने की। उन्होंने इस दिन के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए तिब्बत की वर्तमान स्थिति तथा तिब्बत के अंदर की धार्मिक एवं मानवाधिकार स्थिति पर संबोधित किया था। उन्होंने तिब्बत की आज़ादी और परम पावन दलाई लामा की तिब्बत वापसी की मांग हेतु तिब्बतियों द्वारा आत्मा-बलिदान दिये जाने के बारे में जानकारी दी।
बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, वैशाली, नवादा और सीतामढ़ी में भारत-तिब्बत मैत्री संघ ने तिब्बती शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित किया तथा इस दिन को याद करते हुए तिब्बत मुक्ति साधना की विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया था। आईटीएफएस दिल्ली ने लोकनायक जयप्रकाश इंटरनेशनल स्टडीज डेवलपमेंट सेंटर के सहयोग से शाम को ‘तिब्बत की आजादी और भारत की सुरक्षा’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया।
भारत-तिब्बत मैत्री संघ ने उत्तर प्रदेश के मऊ, महाराष्ट्र के भंडारा, राजस्थान के जोधपुर और ओडिशा में तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया था। बेंगलुरु में तिब्बती समुदाय तथा तिब्बत समर्थकों ने शांति प्रदर्शन में भाग लिया।
भारत-तिब्बत सहयोग मंच और भारत भर में इसके चैप्टर ने ६३वें तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस को चीनी शासन द्वारा तिब्बत पर अवैध रूप से कब्जे किये जाने पर धरना व विरोध प्रदर्शन का आयोजन के साथ किया था। साथ ही उन्होंने तिब्बत के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले तिब्बती शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस दिन को बीटीएसएम ने एक वीडियो जारी कर भारत सरकार और भारत के लोगों से अपने सीमा को सुरक्षित रखने तथा तिब्बत की आजादी के लिए चीन का बहिष्कार करने की अपील की हैं।
असम में ‘फ्री तिब्बत- ए वॉयस फ्रॉम असम’ ने ६३वें तिब्बती जनक्रांति दिवस पर गुवाहाटी के प्रागज्योतिष कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के सहयोग से तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन के महत्व पर एक व्याख्यान और संवादात्मक सत्र का आयोजन किया। कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज के क्षेत्रीय संयोजक और फ्री तिब्बत-ए वॉयस फ्रॉम असम के संयोजक श्री सौम्यदीप दत्ता इस सत्र के प्रमुख वक्ता थे। उन्होंने तिब्बत मुद्दे के प्रति समर्थन जुड़ाने के लिए भारतीय जनमानस में अधिक जागरूकता बढ़ाने से अवगत कराया।
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज के क्षेत्रीय संयोजक श्रीमती रूबी मुखर्जी ने तिब्बत समर्थकों के साथ भारत स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास के सामने कम्युनिस्ट चीन द्वारा तिब्बत पर अवैध कब्जे के खिलाफ प्रदर्शन की और तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने की मांग की।
अरुणाचल प्रदेश के तिब्बत समर्थक समूह जैसे भारत-तिब्बत सहयोग मंच, भारत तिब्बत मैत्री संघ तथा अन्य तिब्बत व बौद्ध समुदाय के नेतृत्व में तवांग में एक शांति रैली का आयोजन किया था। यह रैली तवांग मठ से जनरल परेड ग्राउंड तक निकली, जिसमें कम्युनिस्ट चीनी सरकार द्वारा तिब्बत पर अवैध कब्जे के खिलाफ नारे लगाए तथा तिब्बत की आज़ादी के लिए अपने समर्थन प्रकट की।
हिमाचल प्रदेश के भारत तिब्बत मैत्री संघ श्री विशाल ठाकुर ने मंडी में तिब्बती समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेकर इस दिवस को मनाई।
जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी में भारत-तिब्बत संवाद मंच ने तिब्बत देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले तिब्बती शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कम्युनिस्ट चीन द्वारा तिब्बत पर अवैध कब्जे की निंदा की और तिब्बत की स्वतंत्रता का आह्वान किया। इस अवसर पर उन्होंने परम पावन १४वें दलाई लामा की लंबी उम्र, ल्हासा के पोटाला पैलेस में उनकी अंतिम समय में वापसी और तिब्बत के लिए न्याय और जीत के लिए प्रार्थना की।