नवभारत टाइम्स, 1 जनवरी 2015
तिब्बती आध्यात्मिक गुरु एवं नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा गुरुवार को पहली बार गुजरात यात्रा पर आए और उन्होंने कहा कि वह भारतीयों को अपना गुरु मानते हैं।
दलाई लामा ने सूरत शहर के हवाई अड्डे पर कहा, ‘मेरे मस्तिष्क मे नालंदा के विचार हैं। वह एक प्राचीन भारतीय संस्थान था। लिहाजा मैं आप भारतीयों को अपना गुरु मानता हूं।’
उन्होंने कहा, ‘हम आपके चेले हैं। एक सामान्य चेला होने के नाते मैं अपने गुरु को अपनी शुभकामना और बधाई देना चाहता हूं।’
दलाई लामा अपने दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार को सूरत शहर पहुंचे। उन्हें सामाजिक कार्यों के लिए संतोकबा पुरस्कार दिया जाएगा। इस पुरस्कार के आयोजक श्रीरामकृष्ण फाउंडेशन की एक विज्ञप्ति में बताया गया कि संतोकबा पुरस्कार के तहत सोने की परत और हीरा जड़ित स्मृति चिन्ह एवं 25 लाख रुपये दिए जाएंगे।
सूरत के व्यापारी गोविन्द ढोलकिया ने अपनी मां की याद में यह पुरस्कार शुरू किया था। दलाई लामा का वीर नर्मदा दक्षिणी गुजरात विश्वविद्यालय के छात्रों और तिब्बती लोगों के साथ बातचीत का भी कार्यक्रम तय है।