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धर्मशाला, ०८ जुलाई। भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दलाई लामा को उनके ८७वें जन्मदिन पर बधाई देने पर चीन द्वारा की गई आलोचना को खारिज कर दिया। भारत ने कहा कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता भारत के सम्मानित अतिथि हैं।
मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने पिछले साल भी दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक संवाददाता सम्मेलन में बीजिंग की आपत्तियों की निंदा करते हुए कहा कि यह हमारी सरकार की एक सतत नीति रही है कि उन्हें भारत में एक अतिथि के रूप में और एक सम्मानित धार्मिक नेता के रूप में माना जाए। दलाई लामा के भारत में बड़ी संख्या में अनुयायी हैं।‘
इससे पहले चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने भारत की इस नीति की तीखी आलोचना की थ। झाओ ने कहा कि नई दिल्ली को ‘१४वें दलाई लामा के चीन विरोधी अलगाववादी चरित्र को अच्छी तरह से पहचानना चाहिएऔर चीन के प्रति बोलने और कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धता का विवेकपूर्ण ढंग से पालन करना चाहिए और चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत संबंधित मुद्दों का उपयोग करना बंद करना चाहिए।‘बागची ने इसका जवाब देते हुए कहा कि दलाई लामा के ‘इस देश में बड़ी संख्या में अनुयायी हैं और उनका जन्मदिन भारत और विदेशों में भी मनाया जाता है।‘
उन्होंने कहा, ‘परम पावन को भारत में उनकी धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का संचालन करने के लिए सभी उचित शिष्टाचार और स्वतंत्रता प्रदान की जाती है। परम पावन को उनके ८७वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री द्वारा जन्मदिन की बधाई को इस समग्र संदर्भ में देखा जाना चाहिए।‘
इसके अलावा, चीन ने दलाई लामा को बधाई देने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को भी आड़े हाथों लिया।
इस बीच, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रवक्ता तेनजिन लेक्षे ने कहा कि चीन दलाई लामा को अलगाववादी कहना सच्चाई से परे है और यह चीन की एक थोथी दलील भर है।
लेक्षे ने एक ट्वीट में कहा,‘परम पावन दलाई लामा चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा करने के बाद भारत में निर्वासन में आए। परम पावन राजनीति से परे हैं और सार्वभौमिक रूप से शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में पहचाने जाते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय का उन्हें अलगाववादी कहना उसकी थोथी दलील है, जिसमें सच्चाई का लेशमात्र भी आधार नहीं है।‘
परम पावन १४वें दलाई लामातेनज़िन ग्यात्सो का जन्म ०६जुलाई १९३५को पारंपरिक तिब्बती प्रांत अमदो के तकत्सेर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था।