(तिब्बतनरिव्यू.नेट, 08 सितंबर, 2018)
एक शोधकर्ता का हवाला देते हुए चीन के आधिकारिक सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने 6 सितंबर को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है कि हाल के दिनों में वैश्विक औसत से दोगुनी दर से बढ़े तापमान के कारण तिब्बती पठार और पड़ोसी क्षेत्रों पर ग्लेशियर पिछले 50 वर्षों में 15 प्रतिशत तक पिघल गया है। यह ऊंचे पठारों पर उगनेवाले और ज्यादातर तिब्बतियों के मुख्य भोजन जौ की फसल को प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा, पर्माफ्रॉस्ट का क्षेत्र 16 प्रतिशत घट गया है। रिपोर्ट ने तिब्बती पठार का व्यापक वैज्ञानिक परीक्षण करनेवाले चीन के दूसरे व्यापक वैज्ञानिक अभियान के मुख्य वैज्ञानिक याओ तांडोंग द्वारा 5 सितंबर को प्रारंभिक अभियान की खोजों को जारी करने के समय उनके हवाले से यह कहा है।
चीनी एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) में एक अकादमिशियन के तौर पर कार्यरत याओ ने कहा कि पिघलने वाले हिमनदों ने झीलों का विस्तार किया है और क्षेत्र से निकलने वाली नदियों में पानी का बहाव तेज हो गया है। नतीजतन, एक वर्ग किलोमीटर से बड़े झीलों की संख्या 1,081 से बढ़कर 1,236 हो गई है।
याओ के अनुसार, उच्च तापमान के कारण जल स्रोत की मात्रा अधिक हो गई, लेकिन पठार पर पहले से बना संतुलन भी बिगड़ गया। इसके परिणामस्वरूप ग्लेशियर ढहने सहित अधिक प्राकृतिक आपदाएं आईं।
रिपोर्ट में सीएएस के साथ तिब्बती पठार अनुसंधान संस्थान के पियाओ शिलांग ने कहा कि पठार पर पीआरसी में वनस्पतियों के कारण 15 से 23 प्रतिशत भूमि कार्बन के अवशोषण में योगदान दे रही थी। हालांकि, उन्होंने कहा है कि पिघला हुआ पर्माफ्रॉस्ट पहले फंसे हुए कार्बन को छोड़ सकता है। इस प्रकार जलवायु के गर्म होने की स्थिति और भी बुरी हो जाती है।
पियाओ ने कहा है कि जलवायु गर्म होने से तिब्बती पठार के ऊंचाई वाले स्थानों पर वहां की एक प्रमुख फसल- जौ के विकास पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।
उन्होंने कहा, ‘स्थानीय कृषि क्षेत्र के लिए जलवायु गर्म से चुनौतियों का समाधान करने के लिए भविष्य में यह एक महत्वपूर्ण और तत्काल कार्य है।’