परम पावन महान चौदहवें दलाई लामा के ८८वें जन्मदिन के शुभ अवसर पर कशाग तिब्बत के अंदर और बाहर के तिब्बती लोगों की ओर से परम पावन दलाई लामा को हमारी गहरी श्रद्धांजलि और शुभकामनाएं देना चाहता है। हम आज यहां उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों और दुनिया भर में इस महत्वपूर्ण दिन का जश्न मनाने वाले सभी लोगों का हार्दिक स्वागत करते हैं। आज का दिन जश्न मनाने का एक विशेष दिन है और एक खुशहाल जीवन और अधिक शांतिपूर्ण दुनिया बनाने की दिशा में परम पावन दलाई लामा के अद्वितीय नेतृत्व और विरासत को कृतज्ञता और गर्व के साथ प्रतिबिंबित करने का भी है।
तिब्बत में अमदो क्षेत्र के कुंबुम के एक छोटे से गांव में जन्मे परम पावन दलाई लामा ने ल्हासा में तिब्बत के दलाई लामाओं की पारंपरिक पीठ के सिंहासन पर आरूढ़ हुए। परम पावन दलाई लामा ने विद्वानों की विशाल सभा के बीच बौद्ध दर्शन में सर्वोच्च डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। सोलह वर्ष की छोटी उम्र में परम पावन दलाई लामा ने तिब्बत के आध्यात्मिक और राजनीतिक नेतृत्व को संभाला और सामाजिक सुधार लाने की पहल की। हालांकि, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के आक्रमण और कब्जे ने तिब्बत को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। इस कारण परम पावन दलाई लामा को निर्वासन की राह पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पिछले साल के कशाग के बयान में परम पावन दलाई लामा के गंभीर नेतृत्व और विरासत की झलक मिली, खासकर तिब्बती लोगों के प्रति, जिसमें तिब्बत के उचित उद्देश्य की प्राप्ति और तिब्बती राष्ट्रीय पहचान के संरक्षण के लिए निर्वासित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की स्थापना भी शामिल थी।
इस अवसर पर हमने वैश्विक स्तर पर परम पावन दलाई लामा की अहम मेधावी सेवाओं के एक अंश को उजागर करने का प्रयास किया है। परम पावन दलाई लामा ने १९६७ में जापान और थाईलैंड के बौद्ध देशों की अपनी पहली यात्रा की। १९७३ में यूरोप के ११ देशों की अपनी पहली यात्रा के दौरान परम पावन दलाई लामा ने दृढ़ता से इस बात पर जोर दिया कि भौतिक विकास के साथ-साथ, चाहे कोई आस्तिक हो या नास्तिक, सार्वभौमिक जिम्मेदारी विकसित करने और एक अच्छा दिल विकसित करने की आवश्यकता है।
परम पावन दलाई लामा ने १९७९ में अमेरिका के २४ शहरों और ४० से अधिक विश्वविद्यालयों और धार्मिक केंद्रों का दौरा किया, जिससे पश्चिमी समाज के साथ उनका सीधा संपर्क स्थापित हुआ। उस समय परम पावन दलाई लामा ने एक सामान्य दृष्टिकोण विकसित करने, दुनिया की विभिन्न धार्मिक परंपराओं के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखने और एक अहिंसक दृष्टिकोण को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला कर सके और एक अधिक करुणामय दुनिया का निर्माण कर सके।
यह सर्वविदित है कि परम पावन दलाई लामा की पश्चिमी विज्ञान में गहरी रुचि रही है जो उनके बचपन से ही मशीनों के प्रति उनकी गहरी जिज्ञासा से स्पष्ट है। १९७९ में परम पावन दलाई लामा ने यूरोप में डेविड बोहम जैसे प्रसिद्ध भौतिकविदों के साथ बातचीत शुरू की और १९८४ में एम्हर्स्ट कॉलेज में मनोविज्ञान, तंत्रिका विज्ञान, पारंपरिक चिकित्सा और पारिस्थितिकी के विशेषज्ञों के साथ इस तरह की और बातचीत हुई।
१९८७ में धर्मशाला आवास पर परम पावन दलाई लामा ने पश्चिमी वैज्ञानिकों के साथ बैठक के बाद २०२२ तक लगातार ३५ अभूतपूर्व मन और जीवन सम्मेलन में भाग लिया। प्रतीत्य- समुत्पाद के बौद्ध विज्ञान और अहिंसा की बौद्ध परंपरा पर आधारित परम पावन दलाई लामा तीन दशकों से अधिक समय तक आधुनिक वैज्ञानिकों के साथ भारत की प्रतीत्य- समुत्पाद की नालंदा परंपरा और आधुनिक विज्ञान के तुलनात्मक अध्ययन में लगे रहे। इससे वैज्ञानिक ज्ञान में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
इन संवादों में वैज्ञानिक तर्क और बौद्ध तत्वमीमांसा के बीच समानता खोजने, क्वांटम फीजिक्स और बिना किसी स्वतंत्र अस्तित्व वाली सभी घटनाओं और मन के माध्यमिका सिद्धांत के बीच समानताएं खोजने की कोशिश केवल बाहरी वास्तविकता के अस्तित्व को नकारने के लिए है। बौद्ध दृष्टिकोण के बीच ब्रह्मांड के आदी-अंत को लेकर मतभेद और बिग बैंग (महाविस्फोट) सिद्धांत की वैज्ञानिक अवधारणा, डार्विन के विकासवाद और पारिस्थितिकी के सिद्धांत के आधार पर जीवन के विकास पर स्पष्टीकरण, पौधों और फूलों में चेतना के आधार यह जांच करना कि क्या उनमें वस्तुओं की स्थिति को समझने की क्षमता है- जैसे विषयों पर विचार होता रहा है। बौद्ध धर्म ने आधुनिक विज्ञान में न्यूरोलॉजी और मनोविज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
परम पावन दलाई लामा ने इस बात पर जोर दिया है कि करुणा किसी भी वैज्ञानिक अनुसंधान की आधारशिला होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसके परिणाम संवेदनशील प्राणियों और पर्यावरण के लिए नुकसान का कारण नहीं बनेंगे। परम पावन दलाई लामा की वैज्ञानिकों के साथ बातचीत से न केवल उनके धर्म के वैज्ञानिक दृष्टिकोण में बदलाव आया है, बल्कि दुनिया भर में अनुसंधान के वैज्ञानिक क्षेत्र का क्षितिज भी व्यापक हुआ है। इसी तरह, माइंड एंड लाइफ डायलॉग्स ने चिंतनशील परंपरा को अध्ययन के एक वैध क्षेत्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य- दोनों के लिए इस परंपरा के लाभों को समझने में लाखों लोगों को आकर्षित किया है।
पिछले पचास वर्षों में तिब्बती बौद्ध धर्म न केवल एक धर्म के रूप में, बल्कि बौद्ध विज्ञान और संस्कृति के भंडार के रूप में भी दुनिया भर में फला-फूला जो पिछले १४०० वर्षों से चला आ रहा था। कुछ वैज्ञानिक यह विचार व्यक्त कर रहे हैं कि बौद्ध विज्ञान को प्राकृतिक विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के साथ-साथ विज्ञान की एक शाखा के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए।
दिल और दिमाग की शिक्षा पर एमोरी विश्वविद्यालय के साथ परम पावन दलाई लामा के सहयोग के परिणामस्वरूप सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक शिक्षा (एसईई लर्निंग) की अवधारणा विकसित हुई, जिसे अब १३० से अधिक देशों में प्रचारित किया जा रहा है। इसने शिक्षा के लिए एक नई दिशा प्रशस्त की है। जैसा कि एमोरी यूनिवर्सिटी ने कहा है, ‘एसईई लर्निंग वर्तमान और भविष्य के लिए एक अभिनव शिक्षा प्रणाली है, जिसे व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर लागू किया जा रहा है। यह करुणा का विज्ञान, जागरुकता का विकास और जुड़ाव के उपकरण प्रदान करती है। इस शिक्षा प्रणाली ने राज्य, राष्ट्र और आस्था से बंधे हुए सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों के विकास के माध्यम से संपूर्ण मानवता के लिए खुशहाल जीवन की पवित्र विधि की पेशकश की है।
दुनिया भर में यात्रा करते हुए परम पावन दलाई लामा ने पिछले कुछ वर्षों में पांच महाद्वीपों के लगभग ६० देशों का दौरा किया है। इनमें से परम पावन दलाई लामा ने अकेले अमेरिका का लगभग ६० बार, जर्मनी का ४७ बार, जापान का ४३ बार, स्विट्जरलैंड का ३२ बार, इटली का ३१ बार और फ्रांस का २६ बार दौरा किया है। परम पावन दलाई लामा की यात्राओं के दौरान सभागारों, स्टेडियमों और सार्वजनिक पार्कों में भारी भीड़ उमड़ती रही है। अब तक परम पावन दलाई लामा ने लगभग ५०० अंतरराष्ट्रीय दौरे किए हैं और लगातार बुद्धिजीवियों, वैज्ञानिकों और आम जनता से मुलाकात की है। परम पावन दलाई लामा ने लगभग ५०० वैश्विक राजनीतिक और धार्मिक नेताओं से भी मुलाकात की। परम पावन दलाई लामा की मानवता के प्रति सराहनीय सेवा को देखते हुए सरकारों, संसदों, संस्थानों और फाउंडेशनों ने उन्हें २०० से अधिक मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी है और अनेक पुरस्कार प्रदान किए हैं, जिनमें अकेले अमेरिका में लगभग ७३ पुरस्कार शामिल हैं।
परम पावन दलाई लामा ने १९८७ में अमेरिकी कांग्रेस में पांच सूत्री शांति योजना का प्रस्ताव रखा और १९८८ में स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संसद में मध्यम-मार्ग दृष्टिकोण के अपने विचार पर विस्तार से प्रकाश डाला। २००८ में तिब्बती लोगों के लिए वास्तविक स्वायत्तता पर एक ज्ञापन चीनी सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया गया। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन मध्यम मार्ग नीति के आधार पर बातचीत के माध्यम से चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
मानवीय मूल्यों का प्रणयन, धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा, तिब्बती धर्म, संस्कृति और पर्यावरण की सुरक्षा और प्राचीन भारतीय ज्ञान के पुनरुद्धार पर परम पावन दलाई लामा की चार प्रमुख प्रतिबद्धताओं को कुछ पैराग्राफों में पर्याप्त रूप से व्याख्यायित नहीं किया जा सकता है। परम पावन दलाई लामा सामान्यतः विश्व और विशेष रूप से तिब्बतियों के लिए आश्रय और प्रेरणास्रोत हैं।
तिब्बत के संरक्षक देवताओं के शुभ विवेक और परम पावन दलाई लामा द्वारा बार-बार दिए गए आश्वासन के अनुसार, प्रत्येक तिब्बती को परम पावन दलाई लामा के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में काम करना, उनकी लंबी आयु और समृद्धि सुनिश्चित करना अपना पवित्र कर्तव्य समझना चाहिए। निरर्थक विभाजनकारी क्षेत्रवाद और संप्रदायवाद को त्यागकर उनकी सराहनीय सेवाओं के द्वारा तिब्बती लोगों के बीच एकता कायम करना और मौजूदा वैश्विक स्थिति के तहत तिब्बत के उचित मुद्दे को साकार करने के सुनहरे अवसरों का लाभ उठाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह परम पावन दलाई लामा के जन्मदिन के सम्मान में एक वास्तविक भेंट और श्रद्धांजलि होगी। इसलिए कशाग प्रत्येक तिब्बती से अपील करता है कि वह हमारे सामान्य उद्देश्य के सामने आने वाले अवसरों और खतरों का विवेकपूर्वक आकलन करे।
इस अवसर का लाभ उठाते हुए कशाग परम पावन दलाई लामा की सुरक्षा और देखभाल की जिम्मेदारी लेने के लिए भारत की केंद्र और राज्य सरकारों की गहरी सराहना करता है और धन्यवाद देना चाहता है। हम उन सभी को भी धन्यवाद देते हैं जिनका परम पावन दलाई लामा के वैश्विक दृष्टिकोण और नेतृत्व में अटूट विश्वास और भक्ति है।
अंत में, कशाग परम पावन दलाई लामा की लंबी आयु और उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करता है। कशाग परम पावन दलाई लामा की पोटाला पैलेस में शीघ्र वापसी और तिब्बत के अंदर और बाहर के तिब्बतियों के पुनर्मिलन के लिए भी उत्साहपूर्वक प्रार्थना करता है। तिब्बत की सच्चाई की जल्द ही जीत हो और दुनिया भर में शांति का प्रकाश फैले।
कशाग