पंजाब केसरी, 3 सितंबर, 2016
मैक्लोडगंज: तिब्बतियन डैमोक्रेसी की 56वीं वर्षगांठ के मौके पर धर्मशाला पहुंचे सांसद डा. अरुण कुमार ने कहा कि तिब्बत की संस्कृति व लोकतंत्र के प्रति जो त्याग तिब्बतियों ने किया है, उस जज्बे को हम सलाम करते हैं। तिब्बत की गतिविधियों पर कार्य करके हम लोग तिब्बत के आंदोलन को गति देने का कार्य कर रहे हैं।
यदि हम लोग तिब्बत की संस्कृति को नहीं बचा सकते हैं तो भारत की संस्कृति को भी खतरा है। हम जरूरत महसूस करते हैं कि दुनिया में मानवीय प्राकृतिक आपदा आती है तो हम सभी लोग विश्व रक्षा के लिए विचलित होते हैं। उन्होंने कहा कि वह तहेदिल से निर्वासित सरकार के 56वें लोकतंत्र दिवस पर समूचे तिब्बती समुदाय का आभार प्रकट करते हैं। तिब्बत व भारतवर्ष की संस्कृति में कोई अंतर नहीं है।
वहीं तिब्बती लोकतंत्र की वर्षगांठ के मौके पर बौद्धमठ चुंगलाखंग बतौर मुख्यातिथि आए अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान राज्यसभा सांसद मुकुट मेंथी ने कहा कि धर्मगुरु दलाईलामा के आशीर्वाद से मुझे तिब्बत के लोकतंत्र की 56वीं वर्षगांठ में आने का अवसर मिला है। मैं अपनी ओर से तिब्बत व तिब्बत से बाहर रह रहे तिब्बतियों को इस शुभ अवसर पर बधाई देता हूं। उनका कहना है कि तिब्बत के लोगों ने आज तक जिस तरह से अपनी संस्कृति को संजोए रखा है, यह विषय खुद को गौरवान्वित करता है।
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