खास खबर, 15 सितम्बर, 2012
धर्मशाला। निर्वासित तिब्बती लोग तिब्बत में जारी आत्मदाह के ज्वलंत मुद्दे पर एक विशेष सत्र में चर्चा करेंगे। ज्ञात रहे, बीजिंग की दमनकारी नीतियों के खिलाफ और अपने धर्मगुरू दलाई लामा की मातृभूमि वापसी की मांग को लेकर 2009 से अबतक 51 तिब्बती आत्मदाह कर चुके हैं।
इस मसले पर पहला सत्र नवम्बर 2008 में उस समय हुआ था, जब ल्हासा में दंगे हुए थे और वह दंगा पश्चिमी चीन के अन्य हिस्सों में फैल गया था। उस समय केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने कहा था कि चीनी कार्रवाई में 200 से अधिक लोग मारे गए थे और 1,200 से अधिक घायल हो गए थे। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सूचना एवं अंतरराष्ट्रीय सम्बंध विभाग की सचिव ताशी ने कहा कि तिब्बतियों की दूसरी आम बैठक की अध्यक्षता निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री लोबसांग सांगय करेंगे जो 25 सितम्बर से शुरू होगी।
बैठक में तिब्बत की मौजूदा आवश्यकता और नाजुक स्थिति से निपटने के तरीकों व उपायों पर चर्चा की जाएगी। ताशी ने कहा कि तिब्बती मंत्रिमंडल और संसद के सदस्यों व पूर्व सदस्यों, बौद्ध स्कूलों व गैरसरकारी सगठनों के प्रमुखों तथा दुनियाभर के स्वयंसेवकों, खासतौर से नेपाल, भूटान, अमेरिका व यूरोप से, सहित 350 से अधिक प्रतिनिधि चार दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।