चीनी अधिकारियों ने तिब्बत के पारंपरिक खाम प्रांत के कारजे (चीनी-गंजे) प्रीफेक्चर के सर्शुल काउंटी के द्जोवोन्पो शहर से छह तिब्बती भिक्षुओं और दो युवाओं को उस समय गिरफ्तार कर लिया जब तिब्बत की स्वतंत्रता के पक्ष में कुछ पत्रक स्थानीय चीनी सरकारी कार्यालय के परिसर में फेंके गए। इस महीने इस तरह की तीन अलग-अलग घटनाओं में गिरफ्तारियां की गईं हैं।
इस क्षेत्र से संपर्क रखनेवाले और निर्वासन में रह रहे एक सूत्र ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में 7 नवंबर को काउंटी के सरकारी कार्यालय के प्रांगण में तिब्बत की स्वतंत्रता का आह्वान करने वाले सैकड़ों हाथ से लिखे गए पत्रक मिले थे। उसी दिन रात में स्थानीय अधिकारी द्जावोन्पो गादेन शेद्रुप मठ में आए और चार भिक्षुओं कुंसल (20 वर्ष), तमी, सोइत्रा और त्सुल्त्रिम (लगभग 18 वर्ष) के साथ उनके गुरु शेरग्याम को गिरफ्तार कर लिया।
चार भिक्षुओं को अभी भी सेर्शुल काउंटी में मनमाने ढंग से हिरासत में रखा गया है, जबकि पांचवें भिक्षु और उनके शिक्षक को 11 दिनों तक हिरासत में रखने के बाद गत 18 नवंबर को रिहा कर दिया गया।
18 नवंबर को एक अलग घटनाक्रम में लगभग आधी रात को उसी मठ के एक किशोर वय के छठे भिक्षु जिसकी पहचान न्यिमी के रूप में की गई है, को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ऐसा माना जाता है कि न्येमी की गिरफ्तारी उसके द्वारा 7 नवंबर को इंटरनेट पर विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने और तिब्बतियों के खिलाफ चीनी नीतियों की आलोचना करने के कारण हुई है। तीन दिन बाद सरशूल में अधिकारियों ने शहर से दो और तिब्बती युवाओं को गिरफ्तार किया। इस तरह अब तक कारजे के सेर्शुल में आठ तिब्बतियों की गिरफ्तारी की जानकारी मिली है।
21 नवंबर, गुरुवार को स्थानीय समयानुसार दोपहर 2ः30 बजे दो आम युवाओं- योंटेन और चोएग्याल को जिनकी उम्र 20-25 के आसपास है, ने द्जावोन्पो शहर स्थित सरकारी कार्यालय के सामने तिब्बत की आजादी, मानवाधिकार और तिब्बत में खुलेपन के नारे लगाए। इस जोड़ी ने तिब्बत की आजादी और चीनी शासन का विरोध करने के लिए पत्रक भी वितरित किए। इसके अतिरिक्त, योंटेन और चोएग्याल ने सोशल मीडिया ऐप-वीचैट पर एक बयान पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने द्वावोन्पो शहर के भिक्षुओं की गिरफ्तारी के खिलाफ एकजुटता व्यक्त की। चोएग्याल 18 नवंबर को गिरफ्तार किए गए न्येमी का बड़ा भाई है।
इन दो युवकों ने अपनी गिरफ्तारी से पहले परम पावन दलाई लामा की तस्वीर के साथ दो लघु वीडियो और परम पावन की प्रशंसा में एक पाशर््व गीत के साथ ही साथ लाल स्याही से हाथ से लिखे पत्रक भी पोस्ट किए थे, जिसे उसी सूत्र के द्वारा सीटीए के मानव अधिकार डेस्क, डीआईआईआर को साझा किया गया।
कहा जाता है कि चीनी अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन के बाद कारज़े के सेर्शुल काउंटी के द्जोवोन्पो शहर में सात तिब्बतियों की गिरफ्तारी और उन्हें लगातार हिरासत में रखने की कार्रवाई असल में उनकी चीनी सरकार की ‘खानाबदोश पुनर्वास’ नीति के तहत कस्बों में स्थानीय तिब्बती खानाबदोशों के जबरन बसाने की घटना से प्रेरित रही है। हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में तिब्बती खानाबदोशों की संख्या में नाटकीय रूप से कमी आई है। नई आवास सुविधाओं में तिब्बतियों को परम पावन दलाई लामा के चित्रों को रखने से प्रतिबंधित किया गया है और इसके बजाय उन्हें चीनी कम्युनिस्ट नेताओं की तस्वीरों को लटकाने के लिए मजबूर किया जाता है। सूत्र ने बताया कि तिब्बती खानाबदोशों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की प्रशंसा करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसे फिल्माया जाता है और चीनी राज्य नियंत्रित जन मीडिया में दिखाया जाता है।
उन्होंने बताया कि ‘कुछ तिब्बती सरकारी प्रचार कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं, लेकिन अनेक खानाबदोशों ने यह कहते हुए सरकारी प्रचार में भाग लेने से इनकार कर दिया है कि वे अपनी जान दे देंगे लेकिन इस तरह के प्रचार अभियान में हिस्सा नहीं लेंगे। इससे तिब्बती लोगों के बीच असहजता और असहमति पैदा हुई है।‘ सूत्र ने यह भी बताया कि इस तरह के हालात पैदा कर चीनी सरकार स्थानीय समुदाय में तनाव और विभाजन पैदा करते हुए तिब्बतियों के गहरे विश्वास और भावनाओं को चोट पहुंचाने में सफल हो रही है।
डीआईआईआर के संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और मानव अधिकार डेस्क द्वारा प्रस्तुत