दैनिक जागरण, 30 May, 2011
धर्मशाला। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने निर्वासित तिब्बती सरकार के संविधान में संशोधनों पर दस्तखत कर राजनीतिक और प्रशासनिक भूमिका से औपचारिक तौर पर सन्यास ले लिया है।
तिब्बती संसद के प्रवक्ता तेनजिन नोरबू ने बताया कि संशोधनों पर तिब्बती संसद के तीन दिन के विशेष सत्र में चर्चा हुई और इन्हें दलाई लामा के समक्ष पेश किया गया जिन्हें उन्होंने स्वीकार कर लिया। अधिकतर संशोधन 75 वर्षीय दलाई लामा की राजनीतिक और प्रशासनिक शक्तियों से संबंधित हैं।
उन्होंने कहा कि तिब्बती चार्टर [संविधान] में संशोधनों को दलाई लमा द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद पूर्व में उनके और केंद्रीय तिब्बत प्रशासन [सीटीए] द्वारा संचालित सभी राजनीतिक शक्तियां अब सीटीए और इसके लोकतांत्रिक नेतृत्व के पास रहेंगी और दलाई लामा अपनी इच्छा के अनुरूप केवल आध्यात्मिक प्रमुख रहेंगे।
विशेष सत्र 26 से 28 मई तक चला और संसद ने चार्टर की धारा-1 के तहत दलाई लामा को नई भूमिका और नई जिम्मेदारियों को मंजूरी दे दी। चार्टर की धारा-1 के तहत दलाई लामा तिब्बत और तिब्बती लोगों के रक्षक एवं प्रतीक हैं।
तिब्बती लोगों के भौतिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आधार को बढ़ावा देने के लिए परामर्श देने जैसे कार्य दलाई लामा की भूमिका में आएंगे। तिब्बत के सवाल के संतोषजनक समाधान और तिब्बती लोगों के अपेक्षित उद्देश्यों की पूर्ति के प्रयास जारी रखने जैसे काम भी उनकी भूमिका के दायरे में हैं। दलाई लामा खुद की पहल तथा संबंधित इकाइयों के आग्रह पर समुदाय और निर्वासन में मौजूद इसके संस्थानों सहित तिब्बती लोगों के महत्व से संबंधित मामलों में तिब्बत की मंत्रिपरिषद को परामर्श उपलब्ध कराएंगे।
मंजूर किए गए संशोधनों के मुताबिक दलाई लामा तिब्बत के लोगों की ओर से विश्व नेताओं और अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों से मुलाकात कर उनकी चिंताओं तथा आवश्यकताओं पर चर्चा करेंगे।
इसके साथ ही वह विश्व के किसी भी हिस्से में रह रहे तिब्बती लोगों के हितों की देखरेख के लिए प्रतिनिधियों और विशेष दूतों को मनोनीत करेंगे जिनकी नियुक्ति मंत्रिमंडल द्वारा की जाएगी। कार्यकारिणी प्रमुख के रूप में धारा 19 के तहत दलाई लामा को प्राप्त शक्तियां प्रधानमंत्री को दी गई हैं जो अब निर्वासित तिब्बती संसद द्वारा विधेयकों और नियमनों को मंजूर एवं लागू कर सकते हैं। अन्य जिम्मेदारियां संसद एवं न्यायपालिका को दी गई हैं।
अप्रैल में हावर्ड के विद्वान लोबसांग संगय को प्रधानमंत्री निर्वाचित किया गया था। संसद ने निर्वासित तिब्बत सरकार का नाम बदलकर तिब्बत प्रशासन किए जाने को भी मंजूरी दे दी। बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई कि महामहिम देश के औपचारिक प्रमुख की भूमिका निभाएं।
दलाई लामा ने इस भूमिका को स्वीकार करने से इंकार कर दिया, लेकिन संविधान की धारा-1 के तहत भूमिका और जिम्मेदारियों को स्वीकार कर लिया। दलाई लामा के लिए नई जिम्मेदारियां हालांकि बाध्यकारी नहीं हैं। तिब्बती संसद के अध्यक्ष ने दलाई लामा की औपचारिक शक्तियों के हस्तांतरण को तिब्बत की ऐतिहासिक घटना करार दिया।