20 जुलाई 2011
तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने भारत की धर्मनिरपेक्ष परंपरा की सराहना की है. दलाई लामा का कहना है कि भारत उनके दूसरे घर जैसा है और इससे उन्होंने बहुत कुछ सीखा है।
76 वर्षीय दलाई लामा ने शिकागो में एक कार्यक्रम में भारत की सराहना की. उन्होंने कहा, “मेरी पहली वचनबद्धता आंतरिक शांति को बढ़ावा देना है.” शांति का नोबेल पुरस्कार जीत चुके दलाई लामा का कहना है कि वह शांतिपूर्ण तरीके से तिब्बतियों के लिए व्यापक अधिकार चाहते हैं और उन्हें चीनी शासन मंजूर है. उनके साथ पैनल में विभिन्न धर्मों के लोग मौजूद थे जिन्होंने एकता विषय पर अपने विचार रखे.
इस कार्यक्रम के सूत्रधार इबो पटेल ने कहा, “सबसे बड़ी बात यह है कि अलग अलग धर्मों के मूल्य साझा हैं.” पटेल शिकागो में स्थित इंटरफेथ यूथ कोर के संस्थापक हैं. उनका मानना है कि विभिन्न देशों को उन चीजों पर काम करना चाहिए जो उनके बीच साझा है. पटेल कहते हैं, “धर्म को प्रेरणा का स्रोत और तालमेल का सेतु होना चाहिए. उसे विभाजन की बाधा या विध्वंस का बम नहीं होना चाहिए.”